माहेश्वरी समाज के सबसे अहम त्यौहार सातुड़ी तीज की माहेश्वरी परिवारों में मनाया जा रहा है। हर घर में सत्तू की मिठाई बनाई गई है, जिसे महिलाएं तीज अर्थात 22 अगस्त को रात में चंद्रमा दिखने के बाद भगवान को भोग लगाकर ग्रहण करेंगी। महिला संगठन की अध्यक्ष सीमा माहेश्वरी, मंत्री पूनम मालपानी व शोभना मूंदड़ा ने बताया कि हर साल इस त्यौहार का इंतजार हर माहेश्वरी बंधु, बहनें एवं बच्चों को रहता है। इस त्यौहार की तैयारी एक माह से प्रारम्भ हो जाती है। इस त्यौहार के लिए सत्तू की मिठाई हर घर में बनाई जाती है जो अत्यन्त स्वादिष्ट होती है। चना, चावल एवं गेहूं से तीन तरह का सत्तू बनाया जाता है। चना, चावल और गेहूं को सेंक कर पीसा जाता है फिर देशी घी एवं शकर मिलाकर पिण्डे बनाए जाते हैं। पश्चिमांचल महिला संगठन की शोभा माहेश्वरी, जिला अध्यक्ष डिम्पल माहेश्वरी एवं मंत्री पुष्पा मौलासरिया ने बताया कि इस त्यौहार में पति की लम्बी आयु की कामना के लिए महिलाएं पूरे दिन उपवास रखती हैं। रात में चांद देखने के बाद सामूहिक पूजन करने के बाद सत्तू को परोसा जाता है एवं भोजन के रूप में ग्रहण किया जाता है। महिलाएं श्रृंगार कर कई तरह के खेल भी खेलती हैं। अन्य समाज के लोग भी चाव से खाते हैं सत्तू महासभा के मीडिया प्रभारी रामस्वरूप मूंदड़ा ने बताया कि सत्तू मिठाई इतनी स्वादिष्ट होती है कि अन्य समाज के लोग अपने परिचित माहेश्वरी परिवारों से सत्तू अवश्य बुलवाते हैं। कई दिनों तक ख़राब नहीं होने से हर घर में यह मिठाई 15 – 20 दिन तक मौजूद रहती है।