इन्वेस्टमेंट के नाम पर नेशनल क्रिकेटर से 72 लाख ठगे:एमपी में एक महीने में ही सायबर फ्रॉड की 600 शिकायतें

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‘मेरे मोबाइल पर एक वॉट्सऐप ग्रुप Accel Student Group H 53 की इन्फॉर्मेशन आई थी। मैंने इस ग्रुप को 14 मई को जॉइन किया। मई से लेकर 23 जुलाई तक ग्रुप पर शेयर मार्केट और आईपीओ को लेकर जानकारियां साझा की गईं। इसमें कुछ केस स्टडी भी थी कि कैसे लोगों को फॉरेन ट्रेडिंग में इन्वेस्ट करने से फायदा मिला। इसी को देखते हुए मैंने भी 72 लाख रु. इन्वेस्ट किए। बाद में मुझे पता चला कि मैं धोखाधड़ी का शिकार हो गया हूं।’ ये आपबीती मध्यप्रदेश के रहने वाले एक नेशनल क्रिकेट प्लेयर की है। वे रणजी टीम का हिस्सा रह चुके हैं, मगर खुद का नाम नहीं बताना चाहते। कहते हैं कि नाम बताने से क्या होगा, मैं तो ठगी का शिकार हो गया हूं। अपनी आपबीती शेयर कर दूसरे लोगों को जागरूक करना चाहता हूं। उन्होंने इस मामले की शिकायत साइबर क्राइम से की है। फॉरेन ट्रेडिंग के नाम पर ठगी का ये कोई पहला मामला नहीं है। मप्र में ये ट्रेंड बढ़ रहा है। भोपाल जिला साइबर सेल में जुलाई के महीने में साइबर फ्रॉड से जुड़ी 600 शिकायतें दर्ज हुई हैं। इनमें से 50 से ज्यादा शिकायतें तो फॉरेन ट्रेडिंग में इन्वेस्टमेंट को लेकर हैं। दैनिक भास्कर ने ट्रेडिंग एप के शिकार पीड़ितों से बात कर समझा कि आखिर वे लोग कैसे साइबर ठगों के जाल में फंस गए? एक्सपर्ट से बात कर जाना कि फॉरेन इन्वेस्टमेंट के नाम पर कैसे होता है फ्रॉड और इससे बचने का क्या तरीका है? पढ़िए रिपोर्ट.. पहले इन 3 केस से समझिए कैसे ठगी की गई… केस 1: सायबर जालसाजों ने वॉट्सऐप ग्रुप जॉइन करवाया ये ठगी हुई नेशनल क्रिकेट प्लेयर के साथ। 31 जुलाई को उन्होंने भोपाल सायबर सेल में इस ठगी की शिकायत की है। 14 मई को उन्होंने Accel Student Group H 53 को जॉइन किया था। इस ग्रुप में शेयर मार्केट तथा आईपीओ को लेकर जानकारियां मिलने लगीं। इनमें ऐसे केस भी बताए जाते थे, जिन्हें फॉरेन इन्वेस्टमेंट से फायदा मिला। उन्होंने अलग-अलग कंपनियों के शेयर में इन्वेस्टमेंट की इच्छा जताई तो उनसे इन्वेस्टमेंट की प्रोसेस करवाई गई। 10 पॉइंट्स में जानिए, क्या थी पूरी प्रोसेस और कैसे हुई ठगी केस 2: इंस्टाग्राम पर विज्ञापन देखकर किया इन्वेस्टमेंट, 1.15 करोड़ का फ्रॉड ये फ्रॉड हुआ शाहपुरा, भोपाल के रहने वाले बिजनेसमैन मनीष बोहरा के साथ। मनीष ने बताया- एक दिन मैं इंस्टाग्राम पर रील देख रहा था। उसी समय नजर फॉरेन ट्रेडिंग के एक एडवरटाइजमेंट पर पड़ी। इस लिंक को ओपन किया और एक वॉट्सऐप ग्रुप से जुड़ गया। उस ग्रुप में कई कंपनियों के आईपीओ और शेयर मार्केट से जुड़ी जानकारी भेजी गई। ग्रुप में उनके स्क्रीन शॉट्स भी भेजे गए थे, जिन्हें इन्वेस्टमेंट से प्रॉफिट मिला था। मुझे जब भरोसा हुआ तो मैंने भी पहली ही बार में 88 लाख रु. इन्वेस्ट कर दिए। 10 दिन बाद मैंने अकाउंट से 2 लाख रु. भी निकाले। मुझे और ज्यादा भरोसा हो गया कि कोई फ्रॉड नहीं है। इसके बाद मुझसे आईपीओ में और ज्यादा इन्वेस्ट करने के लिए कहा गया। मैंने कहा कि मेरे पास इतना पैसा नहीं है, तो उन्होंने कहा कि अच्छा प्रॉफिट मिलेगा। मैंने मार्केट से उधार लेकर फिर पैसा इन्वेस्ट कर दिया। इसके बाद मुझे अकाउंट में 1 करोड़ 22 लाख का प्रॉफिट दिखने लगा। जब इस पैसे को निकालने की कोशिश की तो 20% सर्विस चार्ज मांगा गया। केस 3: डिजिटल करेंसी के जरिए हर महीने 12% लाभ का लालच दिया मेटिक एक क्रिप्टो करेंसी है, जिसे मार्केट रेट पर ऑनलाइन खरीदा और बेचा जा सकता है। इस तरह की ठगी में रीवा के एक दंपती संदीप और पार्वती चतुर्वेदी का नाम सामने आया है। दोनों ने मिलकर भोपाल समेत आसपास के जिलों में सैकड़ों लोगों को ठगा है। गिरोह में भोपाल की दो महिलाएं शामिल हैं। भोपाल के शाहपुरा की रहने वाली सोनिका सिंह ने कहा- संदीप और पार्वती ने बताया था कि इन्वेस्टमेंट पर हर महीने 12 फीसदी का कमीशन मिलेगा। उनके कहने पर मैंने ऑस्कर नाम का एप डाउनलोड किया। पहले मैंने 20 हजार रु. इन्वेस्ट किए। इसके बाद दो बार में 1 लाख 66 हजार रु. इन्वेस्ट किए। इस तरह से मेरे 1 लाख 80 हजार रुपए के इन्वेस्टमेंट पर रोजाना मुझे 720 रु. का कमीशन दिखने लगा। संदीप और पार्वती ने मुझे कहा था कि 25 महीने बाद 1 लाख 80 हजार रु. का 5 लाख 40 हजार रु. मिलेगा। उसके बाद ये पैसा निकाल सकते हैं। तीन महीने बाद 1 जुलाई को जब मैंने एप चेक किया तो मेरे वॉलेट में पैसा ही नहीं था। बैलेंस जीरो बता रहा था। ज्वेलरी खरीदने का पैसा इन्वेस्टमेंट कर गंवा दिया ऐसी ही कहानी बावड़िया कलां में रहने वाली सोनिका की सहेली अरुणा श्रीवास्तव की भी है। उन्होंने इस एप पर 1 लाख 60 हजार रुपए इन्वेस्ट किए थे। अरुणा कहती हैं- ये पैसा मैंने ज्वेलरी खरीदने के लिए रखा था। जब वे दोनों मेरे घर पहुंचे तो उन्होंने पूरे परिवार का ब्रेन वॉश किया। मेरे पति को शक हुआ तो उन्होंने पूछा- इतना रिटर्न कौन देता है? उन्होंने मुझे समझाया था, लेकिन मैंने उनकी बात नहीं मानी। शिवपुरी के सर्विस सेंटर चलाने वाले से 10 लाख की ठगी संदीप और पार्वती ने शिवपुरी के हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी के रहने वाले रामनारायण कुशवाहा से भी इसी तरह 10 लाख रु. का फ्रॉड किया। कुशवाहा ने बताया- पैसों की वजह से मेरी बेटी की शादी टूटने की कगार पर थी। मेरे घर पर एक दिन मुंहबोली बहन काजल आई। वह भोपाल में रहती है। उसके साथ संदीप और पार्वती भी थे। दोनों ने मुझे बताया कि वे इन्वेस्टमेंट का काम करते हैं। उन्होंने कहा कि पैसा इन्वेस्ट करेंगे तो फायदा होगा। उन्होंने मुझे मेटिक करेंसी के बारे में बताया। इसके बाद ट्रस्ट वॉलेट डाउनलोड करवाया। पहले मैंने 10 हजार रु. इन्वेस्ट किए। मुझे 12 फीसदी के हिसाब से 40 रु. रोज वॉलेट में दिखाई देने लगे। संदीप ने कहा- ज्यादा पैसा इन्वेस्ट करेंगे तो ज्यादा कमीशन मिलेगा। अब ट्रेडिंग एक्सपर्ट से समझिए, कैसे बचा जा सकता है फ्रॉड से… ऑनलाइन ट्रेडिंग और सायबर एक्सपर्ट प्रियांशु सहाय कहते हैं- किसी भी एप को डाउनलोड करने से पहले ये देखना जरूरी है कि वह सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया यानी सेबी (SEBI) से रजिस्टर्ड है या नहीं और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की गाइडलाइन को फॉलो करता है या नहीं? यदि ऐसा नहीं है तो उस एप पर इन्वेस्ट नहीं करना चाहिए। प्रियांशु के मुताबिक, फ्रॉड के मामले वॉट्सएप और टेलीग्राम से ज्यादा होते हैं। ये ग्रुप क्रिप्टो और फॉरेन ट्रेडिंग के नाम पर इन्वेस्ट करवाते हैं, प्रॉफिट का लालच देते हैं। ये सभी फ्रॉड कंपनियां होती हैं। इन्वेस्टमेंट को लेकर सेबी की एडवाइजरी सेबी भी समय-समय पर शेयर ट्रेडिंग को लेकर एडवाइजरी जारी करता है। सेबी के मुताबिक, कोई कंपनी बहुत ज्यादा रिटर्न का वादा करती है तो ये धोखा हो सकता है। शेयर बाजार में हाई रिटर्न के साथ हाई रिस्क भी होता है। अगर कोई आपको जल्दबाजी में निवेश करने के लिए दबाव डाल रहा है, तो संभावना है कि यह घोटाला हो सकता है। अज्ञात व्यक्तियों या कंपनियों से आने वाले निवेश के प्रस्तावों से सावधान रहें। अपनी पर्सनल जानकारी, बैंक डिटेल्स या पासवर्ड किसी को न दें।