मैं स्वयं जनजातीय समुदाय से हूं इसलिए मैं जनजातीय भाइयों एवं बहनों के जीवन शैली को भली-भांति जानता हूं। जनजातीय भाई बहनों की समस्याओं के निराकरण एवं उनकी समस्याओं की सुनवाई नहीं होने पर वे मुझसे संपर्क कर सकते हैं। मैं भले ही दिल्ली में हूं, पर अब दिल्ली उनसे दूर नहीं है, एक सादे कागज पर वे अपनी समस्या लिखकर मुझे डाक से भेज सकते हैं या ऑनलाइन भी भेज सकते हैं। मैं अवश्य ही उनकी समस्याओं को गंभीरता के साथ निराकरण करने का प्रयास करूंगा। राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष अंतर सिंह आर्य ने उक्त बातें बुधवार को पीएम कालेज ऑफ एक्सीलेंस शहीद भीमा नायक महाविद्यालय बड़वानी में आयोजित संवाद कार्यक्रम के दौरान जनजातीय भाइयों एवं बहनों से कहीं। इस दौरान उन्होंने जनजातीय भाइयों को बताया कि वे पूरे भारत वर्ष में भ्रमण कर जनजातीय समुदाय के लोगों से चर्चा कर उनकी समस्याओं एवं मांग को सुनकर उसका वार्षिक प्रतिवेदन बनाकर राष्ट्रपति जी को प्रस्तुत करेंगे। राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग का गठन ही संविधान के बनने के साथ इसलिए हुआ था कि जनजाति वर्ग के लिए बनाए गए कानूनों का पालन हो, अनुसूचित जनजाति के कल्याण और सामाजिक एवं आर्थिक विकास से संबंधित कार्य हो और इन कार्यों को देखने के लिए आयोग ने उन्हें अध्यक्ष बनाया है। संवाद के दौरान उन्होंने वनाधिकार अधिनियम के बारे में विस्तार से बताते हुए वनाधिकार पट्टे के लाभार्थियों से भी चर्चा की।