खरगोन नगर के अधिष्ठाता सिद्धनाथ महादेव आज नए रथ पर सवार होकर नगर भ्रमण पर निकलेंगे। इसमें पुलिस बैंड 1-बटालियन, इंदौर की 18 सदस्यीय टीम शामिल होगी। प्रधान आरक्षक किशोर कुमार ने बताया पालकी यात्रा में सिद्धनाथ महादेवजी का अभिवादन करेंगे। डोले में पौराणिक 21 झांकियां, 15 नृत्य दल, 10 ढोल-ताशा दल, 2 नगाड़ादल व कई अखाड़े शोभा बढ़ाएंगे। एसपी धर्मराज मीणा ने शिवडोला को लेकर सुरक्षा व्यवस्था की है। लोकल पुलिस के अलावा विभिन्न कंपनियों के लगभग 1000 पुलिसकर्मी तैनात है। शहर में 225 से ज्यादा सीसीटीवी कैमरे लगाए हैं। ड्रोन कैमरा से डोला मार्ग की चेकिंग कराई गई है। कलेक्टर ने शिवडोला पर्व को लेकर बुधवार को खरगोन अनुभाग में अवकाश के साथ ड्राई डे घोषित किया है। शहनाज अख्तर का शिवडोला आया है… गीत भी डोले में बजेगा। 11 क्विंटल बंटेगी भांग व सूखे मेवे की प्रसादी भगवान श्री सिद्धनाथजी महादेव की मुख्य झांकी से भांग, शकर व सूखे मेवे से तैयार 11 क्विंटल प्रसादी बंटेगी। यह लोकनृत्य शामिल रहेंगे काठी नृत्यदल हरदा, राधाकृष्ण नृत्यदल धार, श्रीनाथ, यमुनाजी व महाप्रभुजी नृत्यदल इंदौर, शिव-पार्वती नृत्यदल धार, शिव बाहुबली अघोरी नृत्यदल धार, महाबली हनुमानजी एवं वानरसेना धार, रामलला झांकी व वानर डांसग्रुप धार, 30 मुखी कालिका माता नृत्यदल धार, कच्ची घोड़ी नृत्यदल देपालपुर, कालबेलिया व भारतमाता नृत्यदल इंदौर, मयूर राधाकृष्ण नृत्य व राजस्थानी दल इंदौर, भगोरिया नृत्यदल अंबापुरा राजगढ़, लोकनृत्यदल इंदौर। स्वागत मंच, गुलाल, पानी पाउच, केले पर प्रतिबंध शिवडोला में स्वागत मंच नहीं लगेंगे। व गुलाल उड़ाना पूर्णतः प्रतिबंधित है। गुलाब पत्ती व फूलों की वर्षा की जाएगी। सेवा मंच से पानी पाउच व केला वितरण नहीं होगा। आपत्तिजनक व फिल्म गीतों पर प्रतिबंधात्मक कार्रवाई होगी। नागयोनी ने बनाया सिद्धु मंदिर के गर्भगृह में जहां शिवलिंग हैं, वहां नाग देवता की समाधि है। किंवदती है संवत् 1708 (ईस्वी सन 1651) में नगर के मल्लीवाल (भावसार) वंश के पृथ्वीराजजी (पिथाजी) तथा जानकीबाई के चार पुत्रों में सबसे छोटे शंभूनाथ जिन्हें परिवार व समाजजन सिद्धू व सिद्धनाथ कहते थे, नागयोनी में जन्मे थे। पारिवारिक बंटवारे में शंभूजी ने तीन भाइयों में बंटी संपत्ति को अपने फन से एकत्रित कर दिया। तब संपत्ति के चार हिस्से किए गए। शंभूजी के देवलोकगमन बाद उनकी समाधि पर चौथे हिस्से की संपत्ति से श्री सिद्धनाथ महादेव मंदिर निर्माण हुआ। पृथ्वीराजजी के नौवीं पीढ़ी के वंशज अशोक गुलाबचंद भावसार व प्रमोद कैलाशचंद्र भावसार मल्लीवाल परिवार का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। 1969 में ठेलागाड़ी पर निकला था शिवडोला प्रवक्ता प्रकाश भावसार ने बताया श्री सिद्धनाथजी महादेव का वार्षिक नगर भ्रमण (शिवडोला) शिवडोला की शुरुआत ईस्वी सन् 1969 में पालकी व चंद ठेलागाड़ियों से हुई थी। चुनौतियों व बाधाओं के बाद अब यह प्रदेश के प्रमुख आयोजनों में शामिल हैं। समापन महाआरती में एसपी कलेक्टर भागीदारी करते हैं। रोजाना चौसर खेलते हैं भगवान मंदिर के गर्भगृह में रोजाना शयन आरती के दौरान चौसर बिछाई जाती है। सुबह गर्भगृह के पट खुलने पर चौसर की गोटियां व पासे चले हुए पाए जाते हैं। श्रद्धालुओं का मानना है भगवान भोलेनाथ व मां पार्वती चौसर खेलते हैं।