पारसडोह सिंचाई परियोजना को काम पूरे किए बिना इसे विभाग को हैंडओवर किए जाने और इसके लिए एनओसी जारी किए जाने की प्रक्रिया का विरोध तेज हो गया है। इसके पीछे योजना का किसानों को पूरी तरह लाभ न मानना बताया जा रहा है। बैतूल जिले में पारसडोह मध्यम उदवहन सिंचाई परियोजना 6 साल पहले निर्मित की गई है। जिसमें 5 सालो से पानी तो संग्रहित किया जाता है। इस योजना से 45 ग्रामों के 20 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई प्रस्तावित तो की गई हे लेकिन किसानों को व्यवस्थित सिंचाई नही दी जा रही है। आरोप है की ठेकेदार के झूठे आकडों से विभाग ने कृषकों को झूठे सिंचाई बिल भी प्रस्तुत किये गए है। आज इस मुद्दे पर जिला पंचायत सदस्य उर्मिला गवाहड़े के साथ दर्जनों किसानों ने कलेक्टर की गैर मौजूदगी में अपर कलेक्टर से मुलाकात कर अपना विरोध दर्ज कराया।उन्होंने परियोजना के हैंड ओवर रोकने और ठेकेदार को एनओसी न देने की मांग की है। यह है किसानों के आरोप जिला जल उपयोगिता समिति के प्रस्ताव अनुसार 42 गांव के 19,785 हेक्टेयर क्षेत्र में पानी देना प्रस्तावित है लेकिन यह नहीं मिलने के कारण किसानों की फसल सूख जाती है। 2. पारसडोह सिंचाई प्रणाली से नहर छोड़ने की सूचना न तो सबचक (पेटी) पर मिलती है, न पंचायत में। 3. पारसडोह सिंचाई प्रणाली की पाईपलाईन निश्चित गहराई में नही होने वजह से खेतों की जुताई करते वक्त प्लाउ कलटीवेटर में फंसकर टूट-फूट जाती है। 5. 45 ग्रामों में कही भी सिंचाई व्यवस्था सुचारू संचालित नही की है ।जिससे जनता है 225 करोड रूपये का क्षेत्र एवं जिले को प्रतिवर्ष नुकसान होगा। 6. किसी भी ग्राम में गत 5 वर्षों में गेहूं की फसल को नियमानुसार तीन पानी देकर नहीं पकाया गया है। जिससे जनता एवं शासन का भारी नुकसान हो रहा है।