पंचम काल में हम मोक्ष से और मोक्ष मार्ग से अंधे हैं। हमें नहीं पता तीर्थंकर कैसे करुणा करते हैं। हमें नहीं पता तीर्थंकरों का निर्वाण होता है। सम्यक दर्शन क्या होता है हमें पता नहीं। ये ग्रंथ सर्वज्ञ की आंखों की वसीयत है। आज सीमंधर स्वामी नहीं है, प्रभु आदिनाथ भी नहीं है, हमने जो भी सीखा है, गुरुओं से सीखा है। उक्त विचार सोमवार को छत्रपति नगर के दलाल बाग में मुनि विनम्र सागर जी महाराज ने अपने प्रवचन में व्यक्त किए। उनहोंने कहा कि अंधे होने के बाद भी आप दिए जला के रखो। दान का दिया , तीर्थ यात्रा का दिया, मंदिर जाने का दिया , प्रभु की पूजा करने का दिया, निर्वाण कल्याण का दिया यदि बुझ गया तो निश्चित ही तुम परेशानी में आओगे। अभिषेक, शांति धारा दीपक है , तुम्हारी जिंदगी के । तुमको तुम्हारे दान की कीमत नहीं पता । जब आप पूजा की एक थाली से द्रव्य दूसरी थाली में डालते हो तो तुम निमित्त बनते हो किसी को भगवान बनाने में। जब कभी भी मंदिर के उपकरणों का उपयोग करते हो तो सोचना तुम किसी को मंदिर लाने में निमित्त बनोगे। मुनिवर ने बताया कि रक्षाबंधन पर्व की एक पौराणिक कथा है, जिसमें अकम्पनाचार्य महाराज के 700 मुनियों के संघ के उपसर्ग को विष्णु कुमार मुनि ने आज ही के दिन दूर करवाया था। उनके संघ की रक्षा हुई थी, इसीलिए जैन धर्मावलंबी आज के दिन को रक्षाबंधन पर्व के रूप में मनाते हैं। दिगंबर जैन समाज सामाजिक संसद के प्रचार प्रमुख सतीश जैन ने बताया कि दो दिवसीय वात्सल्य एवं रक्षाबंधन महामंडल विधान में दो दिनों में 700 अर्घ समर्पित किए गए। आज श्रीजी के अभिषेक एवं शांति धारा भी पंडाल में ही की गई। सम्मेद शिखरजी स्थित श्रेयांशनाथ भगवान की टोंक (प्रतिकृति) पर निर्वाण लाडू समर्पित किया गया। आज मुनि विनम्र सागर जी महाराज की पिच्छिका में रक्षा सूत्र बांधने का सौभाग्य सतीश डबडेरा परिवार को, मुनि निस्वार्थ सागर जी महाराज जी की पिच्छिका में रक्षा सूत्र बांधने का सौभाग्य मनोज बाकलीवाल परिवार को एवं निसर्ग सागर जी महाराज की पिच्छिका में रक्षा सूत्र बांधने का सौभाग्य प्रदीप जैन परिवार को प्राप्त हुआ। इस अवसर पर मनीष नायक, सचिन जैन, शिरीष अजमेरा, सतीश जैन, आनंद जैन, सचिन जैन, कमल अग्रवाल , अखिलेश सोंधिया, राकेश सिंघई , कैलाश जैन , रितेश जैन, पार्श्वनाथ ग्रुप छत्रपति नगर के साथ ही बड़ी संख्या में समाजजन से मौजूद थे। प्रतिदिन सुबह 8.30 बजे से आचार्य श्रीजी की पूजन के बाद मुनिश्री के प्रवचन 9 बजे से दलाल बाग में होते हैं।