इंदौर हाई कोर्ट की खंडपीठ ने दहेज प्रताड़ना के एक मामले में बुजुर्ग दंपती, ननद व अन्य के खिलाफ दर्ज केस को निरस्त कर दिया है। पति की मृत्यु हो जाने के बाद भी पत्नी ने ससुराल पक्ष पर दहेज मांगने के आरोप में केस दर्ज करवा दिया था। हाई कोर्ट ने सुनवाई के बाद न केवल केस खारिज किया बल्कि यह भी कहा कि यह स्वीकार करने में कोई झिझक नहीं है कि महिला द्वारा कानून का दुरुपयोग किया गया है। जस्टिस सुबोध अभ्यंकर की खंडपीठ के समक्ष इस मामले की सुनवाई हुई थी। याचिकाकर्ता रामदयाल पाटीदार व अन्य ने अधिवक्ता आकाश शर्मा के माध्यम से पुलिस द्वारा दर्ज किए गए केस को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। याचिका में उल्लेख किया कि उनके डाॅक्टर बेटे दीपेश की शादी 2020 में हुई थी। शादी के एक साल बाद ही दीपेश की हार्टअटैक से मौत हो गई। वहीं बेटी चित्रा भी इंदौर के सरकारी मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस कर रही है। बेटे की मौत के बाद उसकी पत्नी द्वारा संपत्ति हासिल करने के लिए विवाद किया जा रहा था। संपत्ति नाम नहीं करने पर दर्ज करवाया केस संपत्ति बहू के नाम पर नहीं किए जाने पर उसने दहेज प्रताड़ना के आरोप में फंसाने की धमकी दी। जबकि शादी के बाद से बेटे की मृत्यु होने तक किसी तरह का विवाद नहीं हुआ था। बेटा और बहू दोनों खुश थे। वहीं याचिकाकर्ता सास, ससुर उम्रदराज हैं। बेटी भी मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई कर रही है। बेवजह दहेज मांगने के आरोप में केस दर्ज कर लिया। पुलिस ने भी मामले की पड़ताल किए बगैर ही सीधे केस दर्ज कर लिया। एफआईआर में पति पर कोई आरोप नहीं कोर्ट ने सुनवाई के दौरान रिकॉर्ड पर यह भी पाया कि संपत्ति को लेकर विवाद चल रहा था। अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर इसकी शिकायत भी हुई है। आईजी को भी पत्र लिखा था। वहीं शादी से पहले दहेज को लेकर कोई विवाद नहीं हुआ। एफआईआर में भी पति पर किसी तरह का आरोप नहीं लगाया गया। वहीं पत्नी की ओर से कहा गया कि ससुराल पक्ष द्वारा 5 लाख रुपए मायके से लाने के लिए दबाव बनाया जा रहा था। हाई कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद कहा कि महिला द्वारा कानून का दुरुपयोग किया जा रहा है। हाई कोर्ट ने एफआईआर निरस्त कर दी।