22 साल पहले 19 अगस्त 2002 को बड़े तालाब को रामसर साइट घोषित किया गया था। 22 साल बाद भी तालाब में जलकुंभी आ रही है। यानी अभी भी इसमें सीवेज मिल रहा है। इन दिनों झील संरक्षण प्रकोष्ठ का अमला हर रोज 10 डंपर से ज्यादा जलकुंभी निकाल रहा है। रविवार को करबला में जलकुंभी का पहाड़ खड़ा हो गया। सबसे ज्यादा जलकुंभी रेतघाट, गौहर महल, भोज प्रतिमा व करबला में पहुंच रही है। शहर के पर्यावरण प्रेमी सोमवार को बोट क्लब के पास तालाब के लिए रक्षा सूत्र बांधेंगे।