इंदौर में साइबर क्राइम पर सेमिनार:साइबर धोखा बहुत बड़ी चुनौती, इनसे जुड़ा अदृश्य खतरा बहुत खतरनाक -डॉ. वरुण कपूर

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अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत के संयोजन में अरिहन्त कॉलेज में 17 अगस्त को स्पेशल एडिशनल डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस डॉ. वरुण कपूर ने एक सेमिनार को संबोधित किया। उन्होंने बताया कि साइबर धोखा एक बहुत बड़ी चुनौती है क्योंकि यह अदृश्य है। ई – दुनिया ने हमें सभी सुविधाएं, मनोरंजन, बैंक, अकाउंट, फोटो, चैटिंग, शॉपिंग, टिकिट बुकिंग जैसे सभी साधन उपलब्ध करवाए हैं, लेकिन इनसे जुड़ा अदृश्य खतरा ज्यादा खतरनाक है। हमें बड़े जाल में उलझा देती है छोटी- सी गलती डॉ. वरुण कपूर ने बताया आईटी एक्ट (2008) के अनुसार- किसी भी प्रोग्रामिंग वाली इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस का उपयोग करके होने वाले अपराध “साइबर अपराध” हैं, जिनके लिए हम 24 घंटे दरवाजा खुला रखते हैं। किसी की अनुमति प्राप्त किए बिना ही उसके किसी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस या अकाउंट तक पहुंचना एक गम्भीर अपराध है, इसके लिए आई टी एक्ट में 3 वर्ष की सजा का प्रावधान है । हमारी एक छोटी- सी गलती हमें बड़े जाल में उलझा देती है । जैसे, किसी भी क्यू आर कोड को स्कैन करना, अनजान लिंक पर क्लिक करना, अपरिचित व्यक्ति की फ्रेंड रिक्वेस्ट स्वीकृत करना और प्रत्येक समय स्टेटस अपडेट करना। ऐसे किसी जाल के कारण समस्या आने पर परिजन और मित्र से अवश्य साझा करना चाहिए, क्योंकि हम अपराधी नहीं हैं । किसी की गलती के कारण उस अपराध में घिर जाते हैं । इस साइबर धोखे के कारण स्वयं के लिए घातक कदम नहीं उठाना चाहिए । वास्तविक दुनिया से परे यह काल्पनिक दुनिया है, जिसके तौर- तरीके अलग हैं, इसलिए किसी को भी अपना कोई इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस उपयोग नहीं करने देना चाहिए। ​​​​​​​बड़े अधिकारियों को भी फंसा लेते हैं अपने जाल में डॉ. वरुण कपूर ने लोगों को धोखाधड़ी से बचने के लिए भय और लालच से दूर रहते हुए सतर्कता पर जोर दिया। किसी प्रकार की घटना होने पर यूआरएल को प्रमाण के रूप में बचाकर रखें । हमारी जानकारी एकत्र करके होने वाला अटैक “सोशल इंजीनियरिंग अटैक” है। सुरक्षित सोशल मीडिया का उपयोग नहीं करने के कारण ऐसे अटैक होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। ऐसे अपराध करने वाले धीरे- धीरे एक्सपर्ट हो जाते हैं और बड़े- बड़े अधिकारियों को भी अपने जाल में फंसाते हैं । उन्होंने युवा वर्ग को चेतावनी दी कि स्वयं तो सुरक्षित रहें, लेकिन यह भी ध्यान रखें कि इस प्रकार के धोखाधड़ी करने पर 10 वर्ष तक की सजा का भी प्रावधान है। साइबर बुलिंग बहुत तेजी से फैलती है, ज्यादा लोगों तक पहुंचती है और 24 घंटे साथ रहती है । हमें बार- बार किसी अनजान नंबर के कॉल, मैसेज या सोशल मीडिया पर रिक्वेस्ट आते हैं, तो इसे साइबर स्टॉकिंग (पीछा करना) कहा जाता है । इस स्थिति में एक भी गलत कदम उठाने से धोखा हो सकता है । स्वयं लिंक टाइप करें, उसके बाद ही सर्च करें । पांच या दस लोगों को फॉरवर्ड करने वाले मैसेज से दूर रहें अन्यथा आप भी अपराधी बन सकते हैं। पूर्ण ज्ञान एकत्रित करें, जल्दबाजी नहीं करें और किसी पर भी आंख बंद करके विश्वास नहीं करें। डॉ. कपूर ने प्रश्नों का सही उत्तर देने वाले चयनित विद्यार्थियों को प्रमाण- पत्र और विशिष्ट बेज से सम्मानित किया। इस अवसर पर अरिहन्त महाविद्यालय के जयंत कासलीवाल, डॉ. कविता कोठारी (कासलीवाल), डायरेक्टर कुणाल कासलीवाल, प्रसिद्ध समाजसेवी सागर छाबड़ा, अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत के इन्दौर महानगर अध्यक्ष देवेन्द्र दुबगे विशेष रूप से उपस्थित रहे । उद्बोधन पूर्ण होने के पश्चात अतिथिगण ने पौधारोपण किया। प्रोफेसर प्रत्यंचा सारवान ने मंच संचालन किया। ग्राहक पंचायत इन्दौर महानगर सहसचिव डॉ. शशिकला चौधरी ने आभार माना।