बैतूल में एक हजार बहनों का भाई:राखी बंधवाने के लिए लगवाना पड़ता है टेंट

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रक्षाबंधन पर भाइयों की कलाई पर सजने वाली राखियां जहां भाइयों को बहन के प्यार दुलार से भर देती है। वही बहनों के स्नेह को और ज्यादा बढ़ा देती है। आज (18 अगस्त) हम आपको एक ऐसे शख्स से मिलवाएंगे जिनकी कलाई रक्षाबंधन पर राखियो से भर जाती है। जिनकी एक दो बहने नहीं बल्कि एक हजार से ज्यादा बहने है। जिन्हें राखी बंधवाने के लिए शहर के हर वार्ड हर इलाके में पहुंचना पड़ता है। बहनों की बड़ी तादाद के चलते उन्हें धर्मशाला में राखिया बंधवानी पड़ती है। बहनों का दुलारा यह भाई बैतूल का है जो बहनों के हर दुःख तकलीफ को दूर करने हमेशा तैयार रहता है। तस्वीर में बहनों से घिरे ..ये है बैतूल के राजेंद्र सिंह चौहान उर्फ़ केन्डू बाबा .. पेशे से पान व्यवसाई यह शख्स शहर के हर वार्ड हर इलाके की महिलाओं में खासा लोकप्रिय है। महिलाओं के इस भाई की एक हजार से ज्यादा बहने है जो इन्हें रक्षा बंधन पर राखी बांधकर इस पवित्र रिश्ते को और ज्यादा मजबूत बनाती है। त्योहार के दो दिन पहले से ही अपनी इतनी सारी बहनों से राखिया बंधवाने राजेन्द्र सिंह को घर से निकलना पड़ता है वे हर वार्ड हर मोहल्ले में पहुंचते है। जहां महिलाएं उनका राखी बांधने के लिए इंतजार करती मिलती है। हालांकि, अब एक धर्मशाला में राखी बांधने का कार्यक्रम किया जाता है। केन्डू बाबा को राखी बांधकर वे खुद को गौरवान्वित महसूस करती है तो बाबा अपनी बहनों के स्नेह से भाव विहल हो जाते है | पिछले 26 साल से जारी इस सिलसिले को राजेन्द्र सिंह बनाए रखे हुए हैं। हर मर्ज का इलाज है राजेंद्र भैया दरअसल, इलाके के नल पानी नहीं उगल रहे हो ,साफ़ सफाई का मामला हो या फिर सामाजिक सुरक्षा या फिर वृद्धावस्था पेंशन का मामला , बच्चो की कोई समस्या हो या फिर भृषटाचार से जुड़ा कोई सवाल केन्डू बाबा हर मर्ज का इलाज करने इन महिलाओं के साथ खड़े नजर आते है। समस्याओं को सुलझाने.. मोर्चा निकालने से लेकर धरना प्रदर्शन और ज्ञापन,आवेदन तक के लिए केन्डू बाबा की मदद इन महिलाओं के साथ होती है। अपना काम धंधा छोड़कर यह शख्स मैदान में उतर जाता है और फिर तभी पीछे हटता है। जब तक समस्या का समाधान नहीं हो जाता। यही वजह है कि बाबा की एक दो नहीं एक हजार से ज्यादा बहने पिछले 26 सालो से अब तक बन चुकी है। जिन्हें राखी बांधने के लिए कभी वार्डों में इकट्ठा होना पड़ता है। कई जगह टेंट लगाकर अपने इस भाई की आरती उतारनी पड़ती थी। हालांकि, अब एक धर्मशाला में राखी बांधने का कार्यक्रम होता है। केंडुु बाबा को राखी बांधने मेला सा लग जाता है। बहने ऐसा भाई पाकर खुद को धन्य समझती है। पिंकी हो या सबाना सबको प्रिय है यह भाई पिंकी हो सिंधु हो अर्चना हो या फिर नीलू और उन जैसी सैकड़ों महिलाएं अपने वीरा की तारीफ़ करते नहीं थकती। घर से बाहर की समस्या के अलावा पारिवारिक मामला हो या फिर घरेलु दिक्कतें, केन्डू बाबा को हर मुश्किल में बहने याद करती है। जो बहने अपने सगे भाइयों को दूरी की वजह से राखी नहीं बांध पाती वे केन्डू बाबा को राखी बांधकर अपना दुःख हल्का कर लेती है। सिर्फ हिंदू ही नहीं मुस्लिम, महिलाएं भी इन्हें राखी बांधती है। बहने इस रिश्ते को जिंदगी भर निभाने का वादा भी करती है। इन मुस्लिम महिलाओं का कहना है की भाई बहन के रिश्ते के आगे धर्म बड़ा नहीं होता वे 12 सालों से अपने हिन्दू भाई को राखी बांधती आ रही है। शबाना परवीन, रुबीना जैसी बहने अपने भाई राजेंद्र के लिए हरदम दुआएं करती है। बच्चो से लेकर बुजुर्ग तक से मिलता है दुलार बुजुर्ग महिलाओं से लेकर बच्चों तक हर कोई अपने भाई केन्डू बाबा को राखी बांधता है । इस भाई को राखी बांधने के लिए बहने भी रक्षा बंधन से दो चार दिन पहले ही अपनी तैयारियां शुरू कर देती है।
अपनी एक हजार से ज्यादा बहनों को हर बार राजेन्द्र सिंग नए अंदाज में गिफ्ट देते है। पिछले साल उन्होंने स्वच्छता का संदेश देने बहनों को डस्टबीन भेंट किए थे। जिससे उनकी बहने अपने घर को साफ़ सुथरा रख सके। तो एक साल हेलमेट देकर उन्होंने बहनों को सड़क सुरक्षा का पाठ पढ़ाया। इस बार उनकी राखी की थीम शहीद जवान है। जिनकी स्मृति में उन्होंने बहनों को पौधे भेंट कर उनको पालने का संकल्प लिया है। वे बहनों को उपहार में हेलमेट, घड़ी ,छाते, डस्टबीन,सिलाई मशीन ,साड़ियां , जैसी वस्तुएं देते रहे है। 64 साल के केडू पार्षद भी रहे राजेंद्र सिंह दो बार पार्षद भी रह चुके है। साल 2005 में वे भाजपा से जवाहर वार्ड के पार्षद रहे तो साल 2015 में उन्होंने जाकिर हुसैन वार्ड से निर्दलीय चुनाव जीता। 20 साल पहले उन्होंने लोगो की समस्या हल करने समस्या निवारण समिति बनाई थी। इसी के बैनर तले वे जुलूस रैली निकालकर प्रशासन तक पहुंचते रहे। इसके बाद में इस समिति का नाम अटल सेना कर दिया गया। उनकी बैतूल गंज इलाके में पैतृक पान की दुकान है। 70 साल से यह दुकान चल रही है।जिसमे पहले उनके पिता बैठा करते थे।