गुना जिले और आसपास के इलाकों में गाड़ी चोरी जाने के मामलों में नई प्रथा शुरू हुई है। नाम है ‘झेला’। गाड़ी चोरी जाने पर एक बिचौलिया (दलाल) मालिक से संपर्क करता है। वह चोर और मालिक के बीच सेटलमेंट कराकर रकम तय करता है। तय रकम अदा करने के बाद गाड़ी उसके मालिक को वापस दे दी जाती है। दो महीनों में इसी तरह कई बाइक और ट्रैक्टर गाड़ी मालिकों के पास वापस पहुंचे हैं। एक समय जब मवेशी चोरी होना आम बात थी, तब इलाके में एक झेला (बिचौलिया) भी होता था। मवेशी चोरी होते ही लोग थाने के बजाए झेला के पास जाते थे। झेला जैसा भी सौदा पट जाए, वैसा पटाकर मवेशी वापस कराने की अगली तारीख दे देता था। उस तारीख को मवेशी झेला के बताए ठिकाने पर वापस मालिक को मिल जाते थे। झेला का मतलब होता है- किसी बात की जिम्मेदारी लेने वाला। गुना के गांव-देहात में झेला शब्द बड़ा फेमस है। शुद्ध रूप में झेला शब्द चोर और साहूकार के बीच की कड़ी या बिचौलिया रहने वाले व्यक्ति के लिए उपयोग किया जाता है। चोरी गए मवेशी वापस दिलाने के एवज में झेला को भी कमीशन मिलता था। चोर को भी पैसा मिलता था। पहले जानिए, गाड़ी चुराने से लौटाने तक की प्रोसेस… अब चोरी गए वाहनों के वापस लौटाने के तीन किस्से… 1. 90 हजार में छूटा ट्रैक्टर सकतपुर गांव के पास से 22 जुलाई को किसान का ट्रैक्टर चोरी चला गया। ट्रैक्टर पांच साल पुराना था। किसान ने बताया कि उसने थाने पहुंचकर आवेदन दिया। पुलिस ने कहा कि कुछ दिन अपने स्तर पर भी तलाश करो, नहीं मिलेगा तो एफआईआर दर्ज कर लेंगे। अगले दिन 23 जुलाई को उसके पास एक व्यक्ति का कॉल आया। बोला कि उसे पता है कि उसका ट्रैक्टर कहां है? वापस दिला सकता है। इसके एवज में कुछ पैसे देने होंगे। बस इस बारे में पुलिस को पता नहीं चलना चाहिए। बिचौलिए ने पहले दो लाख रुपए मांगे। किसान को पैसे ज्यादा लगे तो उसने कम करने को कहा। आखिर में 90 हजार रुपए में सौदा तय हुआ। किसान ने अगले दिन पैसों का इंतजाम कर बिचौलिए को बताया। उसने कहा कि वह सिंघाडी गांव के पास मिले। किसान पैसे लेकर वहां पहुंचा, तो बिचौलिए ने पैसे ले लिए और बताया कि गांव से ही कुछ दूरी पर एफडीडीआई संस्थान के पीछे छोटे नाले में ट्रैक्टर है। वहां से ट्रैक्टर ले जाओ। किसान वहां पहुंचा और उसे अपना ट्रैक्टर मिल गया। 2. 20 हजार में बाइक वापस मिली शहर के एक सुनार की नई बाइक चोरी हुई। कोतवाली में रिपोर्ट दर्ज कराई। इस बीच झेला ने किसी के जरिए उन्हें सूचना दी कि बाइक मधुसूदनगढ़ में है। वह बाइक के बदले 20 हजार रुपए मांग रहा है। तुम अपने वाले हो इसलिए मैंने सोचा कि बता दूं, तुम देख लेना। सूचना देने वाले ने विश्वास दिलाने के लिए बाइक के फोटो भी उपलब्ध कराए। साथ में कहा कि पुलिस के चक्कर में मत पड़ना, नहीं तो बाइक नहीं मिलेगी, उन लोगों का रोज का काम है। बाइक मालिक ने 20 हजार रुपए दिए और वापस अपनी गाड़ी उठा लाया। कहानी बनी कि कोई अज्ञात व्यक्ति ले गया था, जो वापस छोड़ गया। 3. पुलिसकर्मी को भी देने पड़े पैसे एक मामला झागर क्षेत्र से भी है। यहां के पारदी बदमाश गुना से एक बाइक चुरा ले गए। झेला ने बाइक के फोटो वॉट्सऐप पर संबंधित बाइक मालिक के बेटे को पहुंचाए। फिर बाइक के बदले 20 हजार की डिमांड हुई। आगे क्या हुआ, पता नहीं। बाइक किसी पुलिस वाले की ही थी। उसकी बाइक तो वापस मिल गई, लेकिन उसने इस बारे में बताने से साफ इनकार कर दिया। एमपी में 2023 से अब तक 30 हजार से ज्यादा वाहन चोरी…