पोस्ट ग्रेजुएशन की सीट छोड़ने पर मेडिकल स्टूडेंट के ओरिजिनल डॉक्यूमेंट कॉलेज ने रख लिए। डॉक्यूमेंट के लिए उसने मेडिकल कॉलेज के चक्कर लगाए लेकिन उससे पेनल्टी के रूप में 30 लाख रुपए की डिमांड की गई। इसके चलते वो डिप्रेशन का शिकार हो गया। मामले में ग्वालियर हाईकोर्ट में याचिका लगाई गई। हाईकोर्ट ने प्रमुख सचिव, डीएमई और जीआर मेडिकल कॉलेज डीन को नोटिस जारी कर 4 हफ्ते में जवाब मांगा है। कॉलेज को बिना रुपए लिए डॉक्यूमेंट लौटाने के डायरेक्शन दिए हैं। जानिए क्या है पूरा मामला… एक स्टूडेंट की तरफ से ग्वालियर हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। उसे भी ओरिजिनल डॉक्यूमेंट नहीं दिए जा रहे थे। जिस वजह से वो डिप्रेशन का शिकार हो गया था। 16 अगस्त को ग्वालियर हाईकोर्ट में डबल बेंच के समक्ष आर्ग्युमेंट हुए। गजराराजा मेडिकल कॉलेज ग्वालियर को हाईकोर्ट ने डायरेक्शन दिया है कि स्टूडेंट को तुरंत बिना 30 लाख रुपए लिए ओरिजिनल डॉक्यूमेंट वापस किए जाए। साथ ही डायरेक्टर मेडिकल एजुकेशन, मप्र राज्य के प्रमुख सचिव, डीन मेडिकल कॉलेज को नोटिस जारी कर 4 हफ्ते में हाईकोर्ट ने जवाब मांगा है। स्टूडेंट के ओरिजिनल डॉक्यूमेंट रोक लिए जाते हैं। जिस वजह से स्टूडेंट आगे की पढ़ाई नहीं कर पाते हैं। इसके कारण स्टूडेंट इतना डिप्रेशन में आ जाता है कि वो सुसाइड की तरफ चला जाता है। डॉक्यूमेंट स्टूडेंट की पसीने की कमाई, 30 लाख की डिमांड गैर कानूनी एडवोकेट आदित्य संघी ने बताया कि मध्यप्रदेश के लिए ये गंभीर मामला है। पढ़ने में आता है कि मेडिकल हॉस्टल में कई बार स्टूडेंट्स सुसाइड कर लेते हैं। ये मामला उसकी जड़ तक जाता है। 9 फरवरी 2024 को इस मामले पर पार्लियामेंट में भी डिस्कशन हुआ था। पार्लियामेंट के प्रश्नोत्तर काल के बाद नेशनल मेडिकल कमीशन को डायरेक्शन दिया गया कि मध्यप्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में पीजी की सीट छोड़ने पर सरकार 30 लाख रुपए की पेनल्टी लगाती है। स्टूडेंट के ओरिजिनल डॉक्यूमेंट रोक लिए जाते हैं, जो एडमिशन के समय उसने जमा किए थे। जिस वजह से स्टूडेंट आगे की पढ़ाई नहीं कर पाते है। इसके कारण स्टूडेंट इतना डिप्रेशन में आ जाता है कि वो सुसाइड की तरफ चला जाता है। इस वजह से कई स्टूडेंट सुसाइड कर चुके हैं। इस पर याचिका लगाई गई थी कि डॉक्यूमेंट स्टूडेंट की पसीने की कमाई है। उसे नहीं रोक सकते। 30 लाख रुपए की मांग गैर कानूनी है।