इंदौर में कब्जा हटाने गए तहसीलदार और पटवारी पर फायरिंग की घटना से अब प्रशासनिक अधिकारियों में असुरक्षा का भाव है। डर के चलते मैदानी अमले में शामिल अधिकारी अब लाइसेंसी हथियार देने की डिमांड करने लगे हैं। इस बीच एक नायब तहसीलदार द्वारा रिटायरमेंट (स्वैच्छिकस सेवानिवृत्ति) की मांग भी चर्चा में है। हालांकि नायब तहसीलदार मेडिकल ग्राउंड पर पहले ही वीआरएस के लिए आवेदन देने की बात कर रहे हैं। लेकिन फिलहाल इसे मौजूदा घटनाक्रम से जोड़ कर ही देखा जा रहा है। इधर कलेक्टर आशीष सिंह का कहना है कि फायरिंग की घटना के आरोपी सुरेश पटेल व अन्य के खिलाफ रासुका की कार्रवाई की जा रही है। ऐसी घटना कतई बर्दाश्त नहीं की जाएगी। सुरेश पटेल की अवैध कोठी पर रविवार सुबह 7:00 बजे नगर निगम की टीम बुलडोजर चलाएगी। गोली कांड से जोड़कर देख रहे VRS आवेदन खास बात यह कि इस गोली कांड की आवाज प्रदेश सरकार के कानों तक भी पहुंची। इस बीच मल्हारगंज क्षेत्र के नायब तहसीलदार जितेंद्र वर्मा ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (VRS) के लिए आवेदन दिया है। उनका आवेदन इन दिनों काफी चर्चाओं में है। वह इसलिए कि घटना वाले दिन तहसीलदार शैवाल सिंह और उनकी टीम अरबिंदो हॉस्पिटल की जमीन पर कब्जा हटाने पहुंची थी। इसमें नायब तहसीलदार जितेंद्र वर्मा भी शामिल थे। उनके साथ पटवारी प्रदीप चौहान और मयंक चतुर्वेदी भी थे। एफआईआर में उनकी मौजूदगी का भी जिक्र है। ऐसे ही वीडियो में वे खुद की जान बचाकर भागते हुए भी दिख रहे हैं। नजदीकी लोगों का कहना है कि उन्हें हार्ट की तकलीफ है। इससे उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता है। उन्होंने डॉक्टरों की सलाह पर वीआरएस मांगा है। दरअसल अवैध निर्माण, कब्जे आदि हटाने के कई मामलों में जबरदस्त विरोध पहले भी हुए हैं और टीम को समय देकर लौटना पड़ा है। कई बार तो आत्महत्या की धमकी, प्रयास जैसे मामले भी हुए हैं। पिछले दिनों न्याय नगर मामले में भी एक महिला आत्महत्या पर उतारु हो गई थी। फिर वह बदहवास हो गई थी। हालांकि इस दौरान पुलिस फोर्स भी रहता है, लेकिन अब फायरिंग की घटना से टीम में डर बना हुआ है। टीम में अब लाइसेंसी हथियार की अनुमति की सुगबुगाहट शुरू हो गई है। गौरतलब है कि पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कुछ साल पहले तहसीलदार-पटवारी को लाइसेंस देने की घोषणा की थी। इसके बाद मामला ठंडे बस्ते में चला गया।