भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव पर्व इस बार उज्जैन में महाकालेश्वर मंदिर, गोपाल मंदिर और सांदीपनि आश्रम, इस्कॉन मंदिर और वैष्णव सम्प्रदाय के मंदिरों में एक ही दिन 26 अगस्त मनाया जाएगा। कारण है कि सोमवार को प्रात: से देर रात तक अष्टमी तिथि रहेगी। वहीं, जन्म के समय रोहिणी नक्षत्र और अष्टमी तिथि संयुक्त रूप से रहेंगे। साथ ही, सर्वार्थसिद्धि योग रहेगा। प्रसिद्ध श्री कृष्ण मंदिरों में जन्माष्टमी पर्व की तैयारी शुरू हो गई है। पं. अमर डिब्बावाला ने बताया कि भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी पर भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव हुआ। इसी दिन श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर्व को मनाने की परंपरा भी चली आ रही है। इस बार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का त्यौहार सोमवार के दिन कृतिका नक्षत्र उपरांत रोहिणी नक्षत्र व हर्षण योग की उपस्थिति में आ रहा है। इस दिन विशेष यह है कि प्रात: 5:15 से ही अष्टमी लग जाएगी, जो रात्रि 2:20 बजे तक विद्यमान रहेगी। संयोग से नक्षत्र भी दोपहर से बदल जाएगा। जन्म के समय रोहिणी नक्षत्र और अष्टमी तिथि संयुक्त रूप से रहेंगे। सोमवार की मध्य रात्रि में रोहिणी नक्षत्र के होने से सर्वार्थ सिद्धि नाम का योग बन रहा है। यह योग विशिष्ट योगों की श्रेणी में आता है। इस दृष्टि से यह जन्माष्टमी का पर्व विशेष शुभ लक्षणों से युक्त है। पं. डिब्बावाला के अनुसार पंचांग की गणना में कई बार नक्षत्र व तिथि का अंतर आता है, किंतु इस बार तिथि और नक्षत्र एक ही दिन है। सोमवार को जन्माष्टमी मनाना शास्त्रोचित रहेगा। परंपराओं की बात करें तो वैष्णव परंपरा में दूसरे दिन मनाने का क्रम रहता है। शास्त्र तथा पंचांग की बात करेंगे तो 26 अगस्त को ही श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाएगा। प्रमुख मंदिरों में सोमवार को जन्माष्टमी पर्व मनेगा श्री महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी आशीष शर्मा ने बताया कि बाबा महाकाल के आंगन में 26 अगस्त सोमवार को श्री कृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाएगा। वहीं गोपाल मंदिर के प्रबंधक अजय ढकने ने बताया कि गोपाल मंदिर में 26 को जन्माष्टमी का पव मनाया जाएगा। इसी तरह, सांदीपनि आश्रम के पुजारी रूपम व्यास, इस्कॉन मंदिर के पीआरओ राघव पंडित दास और वैष्णव मंदिर से जुड़े विठ्ठल नागर ने बताया कि मंदिरों में भगवान श्री कृष्ण का जन्म उत्सव 26 अगस्त को ही मनाया जा रहा है। प्रमुख मंदिरों में तैयारियों का दौर भी शुरू हो गया है। जन्माष्टमी पर्व पर शश योग भी रहेगा- भारतीय ज्योतिष शास्त्र में पांच महापुरुष नाम के अलग-अलग प्रकार के मुख्य योग माने जाते है। यदि केंद्र में इनमें से कोई एक योग होता है तो उस योग की उपस्थिति विशेष रूप से मानी जाती है। साथ ही उस योग की साक्षी में कोई विशेष त्यौहार, व्रत पर्वकाल आता है तो उसकी शुभता बढ़ जाती है। इस बार जन्माष्टमी पर शनि का कुंभ राशि में केंद्र योग बनना साथ ही शनि का केंद्र में उपस्थित होना शश योग का निर्माण करता है। इस योग में विधिवत पूजन अर्चना मनोवांछित फल प्रदान करती है। इसी तरह, ग्रह गोचर की गणना के अनुसार नवग्रह में पराक्रम, प्रतिष्ठा, भूमि, भवन, संपत्ति का कारक ग्रह मंगल वृषभ राशि को छोड़कर मिथुन राशि में प्रवेश करेंगे। यह प्रवेश काल 26 अगस्त को दोपहर 3:27 पर होगा। वहीं, बुध का उदय पश्चिम दिशा में रात्रि 11:25 पर होगा। इनके परिवर्तन से बाजार में सुस्त चाल से निवृत्ति मिलेगी। व्यवसायिक हलचल में तेजी आएगी। विदेशी मुद्रा का भंडार बढ़ सकेगा। मंत्र माला हो या स्तोत्र पाठ करें शास्त्रीय परंपरा में देव पूजन का अपना महत्व बताया गया है। श्री कृष्ण की साधना, उपासना करने वालों पर वैसे ही आकर्षण का प्रभाव रहता है। विशिष्ट आकर्षण व प्रभावशीलता को बनाए रखने के लिए भगवान श्री कृष्ण की अलग-अलग प्रकार की साधना तपस्या करनी चाहिए, जिसमें मंत्र माला हो या स्तोत्र पाठ हो, इनके माध्यम से श्रीकृष्ण की साधना आराधना की जाती है, तो भगवान कृष्ण की कृपा प्राप्त होती है। व्यक्तित्व में आकर्षण के साथ-साथ प्रभावशीलता बढ़ती है। साथ ही, वाणी में सरलता और बुद्धि में अनुकूलता की प्राप्ति होती है।