मुंगावली क्षेत्र के चिरौली गांव की एक आदिवासी महिला की 5 दिन पहले घर पर ही डिलीवरी हुई थी। जिसके बाद वह अस्पताल नहीं पहुंची। अचानक से गुरुवार शाम को तबीयत बिगड़ गई। जिसके बाद परिजन मुंगावली स्कूल अस्पताल लेकर आए, जहां डॉक्टरों ने बताया कि महिला को केवल दो ग्राम ब्लड ही बचा हुआ है। प्राथमिक उपचार के बाद महिला को जिला अस्पताल रेफर कर दिया है। महिला का नाम कीर्ति आदिवासी है, जिसकी रविवार के दिन डिलीवरी हुई थी। महिला के पति ने बताया कि इस बार स्वास्थ्य विभाग की ओर से गर्भधारण के समय से ही किसी भी प्रकार के टीकाकरण नहीं किए गए। साथ ही उनका कहना है कि डिलीवरी के बारे में उन्होंने एंट्री भी नहीं की। गांव में डिलीवरी होने के बाद भी आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, एएनएम एवं आशा कार्यकर्ता ने अस्पताल नहीं भेजा। इसके अलावा आंगनवाड़ी के माध्यम से मिलने वाले पोषक आहार भी नहीं दिए गए जिससे महिला काफी कमजोर हो गई। 27 साल की प्रीर्ति आदिवासी को अब तक पांच बच्चे हो चुके हैं। जिनमें से तीन बच्चों की मौत हो चुकी है। इस बार स्वास्थ्य विभाग की ओर से समय-समय पर महिला का टीकाकरण ना होने व पोषक आहार न मिलने के कारण खुद ही उसकी तबीयत बिगड़ गई। फिलहाल महिला को उपचार के लिए भर्ती कराया है। मुंगावली सिविल अस्पताल के डॉक्टर अमित पांडे ने बताया कि महिला के शरीर में दो ग्राम ब्लड बचा है। यहां पर ब्लड की व्यवस्था नहीं है प्राथमिक उपचार के बाद उसे जिला अस्पताल रेफर किया गया।