मध्य प्रदेश विधानसभा और लोकसभा चुनाव संपन्न होने के बाद तो जैसे राज्य और केंद्र सरकार कर्मचारियों को भूल ही गई। लगातार मांग करने और आंदोलन की चेतावनी देने के बाद भी मध्य प्रदेश के कर्मचारियों को 8 माह से 4 प्रतिशत डीए और रिटायर कर्मचारियों को महंगाई राहत का इंतजार है। अब कर्मचारियों का गुस्सा सिर चढ़कर बोल रहा है। उनका कहना है कि सरकार के पास लाड़ली बहनों के लिए पैसा है, निकायों के जनप्रतिनिधियों का मानदेय बढ़ाया जा रहा है, पर हमें हमारा हक नहीं दे रहे हैं। कर्मचारियों ने गुणा-भाग कर बताया कि प्रदेश के 7.50 लाख कर्मचारियों को 4 प्रतिशत डीए और 4.50 लाख पेंशनरों को जनवरी 2024 से महंगाई राहत न देकर राज्य सरकार ने पिछले 8 माह में 800 करोड़ रुपए बचा लिए हैं। डीए और महंगाई राहत न मिलने से कर्मचारियों को प्रत्येक माह 620 से 5640 रुपए तक का नुकसान हो रहा है। उधर, महंगाई लगातार बढ़ रही है। जिससे कर्मचारियों पर आर्थिक बोझ बढ़ रहा है। केंद्र से 4 प्रतिशत पीछे डीए के मामले में मध्य प्रदेश के कर्मचारी केंद्रीय कर्मचारियों से 4 प्रतिशत पीछे चल रहे हैं। वर्तमान में केंद्रीय कर्मचारियों को 50 प्रतिशत डीए दिया जा रहा है, जबकि राज्य के कर्मचारियों को 46 प्रतिशत ही डीए मिल रहा है। यह हालात तब हैं जब पूर्व मुख्यमंत्री कई बार घोषणा कर चुके थे कि राज्य के कर्मचारियों को भी केंद्रीय तिथि से ही केंद्र के समान महंगाई भत्ता और महंगाई राहत का लाभ दिया जाएगा। मुख्यमंत्री जल्द निर्णय लें तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ के प्रदेश सचिव उमाशंकर तिवारी ने कहा कि यह कर्मचारियों से जुड़ा बड़ा मुद्दा है। महंगाई लगातार बढ़ रही है। इसलिए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को इस मामले में संवेदनशीलता दिखाते हुए जल्द निर्णय लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि जुलाई 2024 से फिर भत्ता बढ़ना है। इसलिए संघ मांग करता है कि मुख्यमंत्री जल्द निर्णय लें।