मप्र की पहली नदी तालाब जोड़ो योजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई है। जिले के 11 चंदेल और बुंदेली तालाबों को भरने के लिए बनाई गई हरपुरा नहर हर साल टूट रही है। जिससे दर्जनों किसानों की फसलें बर्बाद हो रही है। करीब 15 दिन पहले बौरी गांव के पास नहर टूट गई थी, लेकिन अब तक मरम्मत का काम शुरू नहीं हुआ है। 1 साल पहले नहर की मरम्मत के लिए 8 करोड रुपए जारी हुए थे। दरअसल, साल 2012 में जिले के 11 प्राचीन तालाबों को भरने के लिए टीकमगढ़ में प्रदेश की पहली नदी तालाब जोड़ो योजना शुरू की गई थी। परियोजना के तहत हरपुरा गांव के पास जामनी नदी से मोहनगढ़ तक नहर का निर्माण शुरू किया गया। प्रदेश के तत्कालीन वित्त मंत्री जयंत मलैया ने हरपुरा गांव के पास 41 करोड़ की लागत से नहर परियोजना का भूमि पूजन किया था। नहर के निर्माण में करीब 2 साल का समय लगा, लेकिन निर्माण एजेंसी सारथी कंस्ट्रक्शन कंपनी ने नहर की गुणवत्ता पर ध्यान नहीं दिया। जिसके चलते पिछले 12 सालों के दौरान कई बार नहर क्षतिग्रस्त हो चुकी है। नहर निर्माण की गुणवत्ता पर उठ रहे सवालों के चलते 1 साल पहले नहर की रिपेयरिंग के लिए करीब 8 करोड रुपए का टेंडर जारी किया गया था। पिछले 1 साल से नहर की रिपेयरिंग का काम चल रहा है। इस दौरान एक बार फिर बौरी गांव के पास नहर टूट गई और बड़ी मात्रा में पानी बहकर किसानों के खेतों में भर गया है। पिछले 15 दिनों से नहर टूटी पड़ी है, लेकिन रिपेयरिंग शुरू नहीं हुई। कई किसानों की फसलें बर्बाद बार-बार नहर टूटने से किसानों के खेतों में पानी भर रहा है। बौरी गांव निवासी पुष्पेंद्र यादव, सोबरन यादव ने बताया कि 27 जुलाई को नहर फटने से करीब 5 एकड़ की फसल बर्बाद हो गई। प्रमोद यादव ने बताया कि हर साल नहर टूट जाती है। खेतों में मुरम और रेत भर गई है। करीब 2 दर्जन से ज्यादा किसानों की फसलें हर साल खराब हो जाती है। शिकायत के बाद भी कोई सुनने वाला नहीं है। नहर के निर्माण हुई गड़बड़ी समाजसेवी प्रमोद पटसारिया ने बताया कि हरपुरा नहर के निर्माण में तकनीकी खामियां हैं। कई जगह नहरें ऊंची कर दी गईं, जिससे पानी का बहाव रुक रहा है। यदि नहर का निर्माण सही ढंग से किया जाता तो सूखे से जूझ रहे किसानों को सिंचाई के लिए भरपूर पानी मिलता, लेकिन नहर बार-बार क्षतिग्रस्त होने से किसानों को बड़े पैमाने पर नुकसान हो रहा है। इन तालाबों तक नहीं पहुंच रहा पानी हरपुर नहर परियोजना से जिले के 11 तालाबों को भरा जाना था। इनमें हनुमान सागर, जगत नगर गांव के दो, पूर्वी गोर गांव के दो, दरगाय कला, दरगाए खुर्द, मोहनगढ़, कुम्हैड़ी, अर्चरा और वृषभानपुरा तालाब शामिल हैं। नहर निर्माण के 10 साल बाद भी ज्यादातर तालाबों तक नहर से पानी नहीं पहुंचा है। अधिकारी बोले 70% काम पूरा इस मामले में जल संसाधन विभाग के ईई दीपेंद्र सिंह का कहना है कि 1 साल पहले नहर की रिपेयरिंग के लिए 8 करोड रुपए का टेंडर जारी हुआ था। रिपेयरिंग का 70% काम पूरा हो चुका है। 15 दिन पहले बौरी के पास नहर क्षतिग्रस्त हो गई थी। जल्द ही उसकी रिपेयरिंग कराई जाएगी। सितंबर महीने में नहर से तालाबों को भरने के लिए पानी छोड़ा जाएगा।