9 दोस्तों की मौत यादकर सिहर उठती है मासूम:सागर अस्पताल में मां से कहती है- उन्होंने किसी का क्या बिगाड़ा था

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सागर के शाहपुर में दीवार गिरने से घायल 13 साल की खुशी 12 दिन बाद भी हादसे से पूरी तरह उबर नहीं पाई है। वह जिला अस्पताल के महिला सर्जरी वार्ड में भर्ती है। सिर में चोट है। पैर में टांके आए हैं। खुशी बेड पर गुमसुम लेटी रहती है। मां और वार्ड में मौजूद लोग बात कर उसे हंसाने की कोशिश करते हैं, लेकिन वह किसी की बात का ज्यादा जवाब नहीं देती। दैनिक भास्कर की टीम ने भी खुशी से अस्पताल में बात करने की कोशिश की, लेकिन वह इतनी डरी-सहमी है कि हादसे पर कोई बात करता है तो रो देती है। जब भी बात करती है तो मां बसंती पटवा से कहती है, ‘मुझे डॉक्टर बनना है, ताकि मैं और लोगों का इलाज कर सकूं।’ 4 अगस्त की वो दर्दनाक घटना खुशी के साथ-साथ शाहपुर के लोग भी नहीं भुला पा रहे हैं। उस रविवार को सुबह के 9 बजे थे। मंदिर में बच्चे-बड़े पार्थिव शिवलिंग बना रहे थे, तभी बगल में खड़े दो मंजिला जर्जर मकान की दीवार गिरने से 11 बच्चे दब गए। 9 की मौके पर मौत हो गई। घायलों में से एक खुशी पिता अमित पटवा भी है। पूछती है- इन बच्चों ने किसी का क्या बिगाड़ा था खुशी की मां बसंती पटवा ने कहा- हादसे के दिन मैं घर पर थी। बेटी खुशी कथास्थल पर पार्थिव शिवलिंग बनाने के लिए गई थी। जैसे ही दीवार गिरी, तो वहां मौजूद कुछ बच्चे दौड़कर घर आए और बोले- चाची जल्दी चलो, दीवार गिर गई है। खुशी को चोट लगी है। बच्चों की बात सुनकर मैं घबरा गई। दौड़कर मौके पर पहुंची। देखा तो खुशी खून से लथपथ पड़ी थी। उसे उठाया और बाजू में चबूतरे पर बैठाया। फिर पड़ोसी की मदद से शाहपुर अस्पताल लेकर पहुंची। यहां एक नर्स थी। उन्होंने देखा और जिला अस्पताल भेज दिया। 4 अगस्त से ही बेटी के साथ अस्पताल में हूं। बेटी गुमसुम पलंग पर पड़ी रहती है। बात करो तो बोलती नहीं है, रोने लगती है। आंखों से आंसू आ जाते हैं। रात में जब कभी वह बात करती है तो कहती है- मम्मी, मुझे डॉक्टर बनना है। मैं डॉक्टर बनूंगी और लोगों का इलाज करूंगी। 5 साल पहले पिता का निधन हो चुका खुशी 5 बहनें हैं। सबसे छोटा भाई 6 साल का है। पिता का 5 साल पहले बीमारी की वजह से निधन हो चुका है। खुशी घर की छोटी बेटी होने की वजह से सबकी लाड़ली है। तीन बड़ी बहनों की शादी हो चुकी है। शाहपुर के एक निजी स्कूल में 9वीं क्लास में पढ़ती है। बेटियों के भरोसे घर, मां अस्पताल में खुशी के परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर है। मां सिलाई का काम कर परिवार चलाती हैं। हादसे के बाद से मां बसंती घायल बेटी खुशी के साथ जिला अस्पताल में हैं। ऐसे में उनका 6 साल का बेटा और बेटियां घर में अकेले हैं। अस्पताल में मौजूद मां को हमेशा घर और बच्चों की फिक्र लगी रहती है। उनका कहना है कि अस्पताल में बेटी को इलाज तो मिला, लेकिन और कोई मदद नहीं मिली। घटना से जुड़ी ये खबरें भी पढ़िए… मौत से पहले बच्चों के डांस का आखिरी VIDEO सागर के शाहपुर में दीवार गिरने से जान गंवाने वाले पर्व विश्वकर्मा (10) ने 30 जुलाई को बर्थडे मनाया था। अपने दोस्त के जन्मदिन पर दिव्यांश साहू (10) और मयंक लोधी उर्फ वंश (10) खूब थिरके थे। 4 दिन बाद 4 अगस्त को जिन 9 बच्चों की हादसे में मौत हुई, उनमें ये तीनों भी थे। वीडियो और खबर पढ़ने के लिए क्लिक करें राखी से पहले बहनों ने खोए 9 भाई, सागर हादसे में मृतकों में 7 इकलौते बेटे थे सागर के शाहपुर में मकान की दीवार गिरने से जान गंवाने वाले 9 में से 7 बच्चे परिवार में इकलौते बेटे थे। इनमें से एक बच्चा तो 4 बहनों में अकेला भाई था। राखी से पहले अपने भाइयों को खोने वाली बहनों और मां-पिता के आंसू नहीं थम रहे। पूरी खबर पढ़िए