इंदौर के पहले स्वतंत्रता सेनानी की उपेक्षा:परीक्षा में आते हैं प्रश्न, पीएससी मुख्यालय के सामने टिन शेड में है स्मारक

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इंदौर के पहले स्वतंत्रता सग्राम सेनानियों में शामिल शहीद सआदत खां को उनके ही शहर में भुला दिया गया है। 1857 की क्रांति में इंदौर को अंग्रेजों से आजाद करवाकर दिल्ली कूच करने वाले सआदत खां पर अंग्रेजों ने पांच हजार रुपए का इनाम घोषित किया पर 17 साल तक फरार रहने के बाद वे बांसवाड़ा से पकड़े गए। दरअसल सआदत खां ने इंदौर में अंग्रेजों के गढ़ रेसीडेंसी एरिया को मुक्त कराया था। 17 साल बाद जब वे पकड़ में आए तो अंग्रेजों ने उन्हें रेसीडेंसी एरिया में ही फांसी पर चढ़ा दिया। बाद में उसी जगह (एमपी पीएससी ऑफिस के सामने) उनकी मजार बना दी गई। यहां से गुजरने वाले हजारों को लोगों को यह पता ही नहीं है कि यह किसकी मजार है। दिल्ली को आजाद कराने गए, असफल हुए तो बांसवाड़ा में रहने लगे, यहीं पकड़े गए इंदौर को अंग्रेजों से आजाद कराने के बाद सआदत खां साथियों के साथ दिल्ली कूच कर गए। 20 सितंबर को दिल्ली में अंग्रेजों ने फिर कब्जा कर लिया और मुगल सम्राट बहादुर शाह जफर को बंदी बना लिया। क्रांति के असफल होने के बाद सआदत खां फरार हो गए। वे छुपते-छुपाते बांसवाड़ा पहुंचे। वहां अपना नाम बदलकर अकबर खां कर लिया। उनकी तलाश में 5,000 का इनाम घोषित किया। लेकिन 17 साल बाद 1874 में चेहरे के ज़ख्म के निशान और मुखबिरी के कारण पहचान उजागर हो गई। अंग्रेज उन्हें बांसवाड़ा से गिरफ्तार कर इन्दौर ले आए। 1 अक्टूबर 1874 को सआदत खां को फांसी पर लटका दिया। (संदर्भ : भारत सरकार की वेबसाइट https://amritmahotsav.nic.in/unsung-heroes-detail.htm?12643।)