मप्र माध्यमिक शिक्षा मंडल के मॉडल स्कूल को स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारी सरकारी नहीं मान रहे। अब स्थिति यह है कि यहां पढ़ने वाले ऐसे छात्र-छात्राएं जो नीट की तैयारी कर रहे हैं, उन्हें गवर्नमेंट स्कूल (जीएस) कोटे का लाभ नहीं मिल सकेगा। दरअसल, ऐसे विद्यार्थी जो सरकारी स्कूलों में कक्षा 6वीं से 12वीं तक पढ़ते हैं, उन्हें जीएस कोटे का लाभ मिलता है। इसके लिए जिला शिक्षा अधिकारी उनका वेरिफिकेशन करते हैं और तय फार्मेट में सील लगाकर संबंधित विद्यार्थी को देते हैं ताकि वे इस कोटे का लाभ ले सकें। प्रदेश में बोर्ड के तीन मॉडल स्कूल हैं। इनमें भोपाल, जवारा और रीवा शामिल है। लेकिन, राजधानी के मॉडल स्कूल के विद्यार्थियों को सरकारी स्कूल का नहीं माना जा रहा। अब विद्यार्थी माशिमं और डीईओ कार्यालय के चक्कर काट रहे हैं। लेकिन, उनकी सुनवाई नहीं हो रही। पूर्व डीईओ अंजनी त्रिपाठी ने बताया कि मॉडल स्कूल एग्जीक्यूटिव बॉडी द्वारा संचालित स्कूल है। इसे विशेष प्रक्रिया के तहत निर्धारित किया गया है। इस वजह से मॉडल स्कूल को सरकारी स्कूल नहीं मानकर प्राइवेट माना जाता है। माशिमं और डीईओ कार्यालय के चक्कर काट रहे विद्यार्थी, लेकिन सुनवाई नहीं 5 प्रतिशत का नुकसान होगा… मॉडल स्कूल के विद्यार्थियों ने बताया कि अगर उन्हें जीएस कोटे के अंतर्गत नहीं माना गया तो उन्हें सीधे-सीधे पांच प्रतिशत रिजर्वेशन का नुकसान हो जाएगा। वे छठवीं से 12वीं तक यहीं पढ़ रहे हैं। गौरतलब है कि चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा मप्र स्टेट कंबाइंड नीट-यूजी काउंसलिंग (एमबीबीएस-बीडीएस) 2024 का शेड्यूल जारी हो चुका है। इसके तहत सरकारी और प्राइवेट एमबीबीएस, बीडीएस कोर्स में राज्य और एनआरआई कोटे की सीटों पर प्रवेश दिया जाएगा। रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया शुरू हो गई है जो 20 अगस्त तक चलेगी। इसके बाद 21 अगस्त को कॉमन मेरिट लिस्ट प्रकाशित होगी। इनका बनता है जीएस सर्टिफिकेट: जीएस कोटा के लिए केवल वे ही छात्र-छात्राएं पात्र होते हैं जिन्होंने 6वीं से 12वीं तक की पढ़ाई एमपी के सरकारी स्कूल से की हो। या फिर 1 से 8 तक की पढाई प्राइवेट स्कूल से आरटीई के तहत की हो फिर 9 से 12 तक की पढ़ाई सरकारी स्कूल से की हो। नहीं मानते सरकारी स्कूल