अपनी-अपनी आजादी:बुजुर्गों को स्वाभिमान, युवाओं को आत्मनिर्भरता और बच्चों को चाहिए सीखने की आजादी

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स्वतंत्र भारत में संविधान ने कई तरह के अधिकार और स्वतंत्रता दी हैं। सामाजिक स्तर पर जीने के लिए व्यक्ति को कई संघर्षों से गुजरना पड़ता है। इन संघर्षों के बीच हर व्यक्ति के लिए आजादी के मायने व स्वरूप अलग होते हैं । स्वतंत्रता दिवस के मौके पर भास्कर ने मनोविज्ञान से जुड़े विशेषज्ञों से जाना कि किस आयुवर्ग के लोग किस तरह की आजादी चाहते हैं। एक्सपर्ट बताते हैं कि स्वतंत्रता एक निरंतर प्रक्रिया है जो जीवन के हर चरण में विभिन्न रूपों में प्रकट होती है। हर व्यक्ति के लिए स्वतंत्रता का अर्थ व महत्व जीवन के अनुभवों और सामाजिक स्थितियों पर निर्भर करता है। भास्कर एक्सपर्ट {प्रो. भूपेंद्र सिंह, एचओडी, मनोविज्ञान विभाग, बीयू {डॉ. विनय मिश्रा, मनोवैज्ञानिक { डॉ. रचना सिंह ठाकुर, असिस्टेंट प्रोफेसर, एक्सीलेंस कॉलेज | रिपोर्ट { गिरीश उपाध्याय