मानस भवन भोपाल में रामकथा का शुभारंभ:सत्संग से ही हमारी आतंरिक दरिद्रता दूर होती है- मंदाकिनी रामकिंकर

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तुलसी जयंती समारोह 2024 के तहत भोपाल के मानस भवन में रामकथा का शुभारंभ मंगलवार को किया गया। कथा के पहले दिन मानस मर्मज्ञ मंदाकिनी रामकिंकर ने संत मिलन सम सुख जग नाहीं प्रसंग पर केन्द्रित करते हुए कहा कि दरिद्रता का सामान्य अर्थ है धन की कमी लेकिन आध्यात्मिक दृष्टि से दरिद्रता का एक अर्थ मानसिक दरिद्रता भी है। संतो ने दान के द्वारा धन की दरिद्रता को दूर करने का उपाय बताया है कि यदि हमारे पास आवश्यकता से अधिक धन है तो धन का दान देकर उसका सदुपयोग कर लें लेकिन यदि हममें यदि मानसिक या बौद्धिक दरिद्रता है तो वह दरिद्रता तो सत्संग से ही दूर हो सकती है। भौतिक समृद्धि सुख नहीं दे सकती-शिक्षामंत्री शिक्षा मंत्री उदयप्रताप सिंह ने कहा कि मानस भवन अध्यात्म संस्कृति का स्थायी पता हो गया है। जिन महापुरूषों ने मानस भवन की स्थापना में सहयोग दिया वे धन्य है। उन्होंने आगे कहा कि इस भौतिक युग में यह सिद्ध हो गया कि भौतिक समृद्धि सुख नहीं दे सकती। भगवान की कथा और संत दर्शन से ही शांति मिलती है। इस मौके पर मंत्री ने कथावाचक दीदी मंदाकिनी, मानस भवन के कार्याध्यक्ष रघुनंदन शर्मा तथा अन्य सभी पदाधिकारियेां के प्रति कृतज्ञता जताई। कार्यक्रम में विजय अग्रवाल, माघवसिंह दांगी, डॉ.मालती जोशी, सुशीला शुक्ला, ब्रदीनारायण औदिच्य, जानकी शुक्ला ने कथावाचक का स्वागत किया। समारोह तुलसी मानस प्रतिष्ठान के पूर्व कोषाध्यक्ष स्वर्गीय माधुरी सरन अग्रवाल की स्मृति को समर्पित है। कार्यक्रम का संचालन कमलेश जैमिनी एवं आभार प्रदर्शन माधवसिंह दांगी ने किया।