मुरैना में टोंग गांव के लोग इस सोच में डूबे हुए हैं कि न जाने अब आगे क्या होगा? फसल तो खराब हो ही चुकी है, क्या घर भी छोड़ना पड़ेगा? कहां जाएंगे, कैसे गुजारा करेंगे? यह दहशत यहां रिजर्व डैम के फूटने के बाद पसरी है। डैम से पानी लगातार बह रहा है। 24 घंटे पहले जो दरार 15 इंच की थी, वो बढ़कर 20 फीट हो गई है। इसकी चौड़ाई बढ़ती जा रही है। 4 गांव डूब चुके हैं, 20 गांवों में खतरा मंडरा रहा है। 12 गांवों में 400 बीघा से ज्यादा खेतों में खड़ी फसलें नष्ट हो चुकी हैं। ग्रामीणों का दावा है कि करीब 30 लाख रुपए की बाजरा की फसल खराब हुई है। विधायक सरला रावत प्रभावित लोगों से मिलने आईं और खानापूर्ति कर चली गईं। मंगलवार को दैनिक भास्कर की टीम जब मुरैना से 70 किलोमीटर दूर सबलगढ़ और यहां से 20 किलोमीटर दूर टोंग गांव में ग्राउंड जीरो पर पहुंची, तो लोग सड़कों या ऊंची जगहों पर बैठे और खड़े मिले। घबराहट से उनके माथों पर सिलवटें थीं, चेहरे पर बेचैनी दिख रही थी। एक महिला ने रोते हुए कहा, ‘सोमवार रात 8 बजे घर में पानी आ गया। जितना बना, उतना सामान लेकर घर छोड़ना पड़ा। रात सड़क पर ही कटी।’ इसके बाद हम टोंगा रिजर्व डैम की ओर बढ़े, तो सड़क किनारे बहता पानी और इसकी गड़गड़ाती आवाज ऐसी थी कि किसी का भी दिल बैठा दे। प्रशासनिक अधिकारियों ने बताया, ‘बांध में इतना पानी है कि दो दिन तक बहता रहेगा। इसके बाद ही टूटी दीवार की मरम्मत हो सकेगी। सोमवार शाम 4 बजे दरार दिखी, रात 8 बजे पानी गांव में घुस आया टोंगा गांव के लोगों का कहना है कि सोमवार शाम 4 बजे एक युवक बांध की ओर गया तो 15 इंच की दरार दिखी। तुरंत सिंचाई विभाग, जिला प्रशासन और पुलिस को सूचना दी गई। कलेक्टर अंकित अस्थाना, सिंचाई विभाग से इंजीनियर और पुलिस अधिकारियों को लेकर मौके पर पहुंचे। दरार देखी लेकिन इसे ठीक करने के प्रयास शुरू नहीं किए गए। कैचमेंट एरिया में पड़ने वाले 20 गांवों में अलर्ट जरूर कर दिया कि डैम से रिसाव हो रहा है। पानी का बहाव तेज हो सकता है। इस लापरवाही से यह हुआ कि रात 8 बजे पानी गांव में घुस आया। जब तक पूरा पानी नहीं निकलता, दरार की मरम्मत नहीं हो सकती मंगलवार को जब भास्कर की टीम पहुंची तो बांध की दरार फूटकर 20 फीट की हो चुकी थी। पानी का बहाव इतना तेज था कि हमारे सामने ही एक मोटी दीवार ढहकर बह गई। पूरे गांव में पानी भरा था और लोग घरों से बाहर डरे-सहमे बैठे थे। उनका कहना था कि जब तक पूरा पानी नहीं निकल जाता, दरार की मरम्मत नहीं हो सकती। लेकिन ऐसा होने पर गांव में पानी का संकट आ जाएगा। सबसे ज्यादा टोंगा, देवपुर गांव के हालात खराब; लोग सड़कों पर टोंगा रिजर्व डैम की दीवार में दरार और उसके फूट जाने के बाद सबलगढ़ के 20 गांवों में हालात खराब हो गए हैं। सबसे ज्यादा खराब स्थिति टोंगा, देवपुर, कुतघान का पुरा, कोरी का पुरा, पासौन, रानी का पुरा गांव में है। यहां खेतों-घरों में पानी भर गया है। पोल टूटने से बिजली भी गुल है। रानी का पुरा की सायरा बानो उर्फ मुमताज, पति और दो बच्चों के साथ सबलगढ़ की 6 नंबर पुलिया के पास सड़क पर रह रही हैं। मंगलवार सुबह 6 बजे ढह गई दीवार, बाढ़ आ गई मंगलवार सुबह करीब 6 बजे टोंगा रिजर्व डैम में पानी के बहाव ने 15 इंच चौड़ी दरार के ऊपर बनी दीवार को ढहा दिया। पानी तेज रफ्तार में बहना शुरू हो गया। 6 गांवों में बाढ़ जैसे हालात बन गए। प्रशासन का अलर्ट तो था ही, जब घरों में पानी भरने लगा तो लोगों ने आनन-फानन में सामान समेटा और बाहर निकल गए। हालात बदतर होने पर एनडीआरएफ के रेस्क्यू दल भी गांव के आसपास तैनात कर दिए गए। 6 गांवों की 400 बीघा से ज्यादा जमीन पर फसल खराब टोंगा, देवपुर, कुतघान का पुरा, कोरी का पुरा, पासौन, रानी का पुरा गांव में रिजर्व डैम से बहकर आए पानी ने तबाही मचाई है। यहां घर-खेतों में पानी भर गया है। कई परिवार तो ऐसे हैं, जिनके पास 2 से 3 बीघा जमीन है और उस पर ही अपने गुजारे के लिए अनाज पैदा करते हैं। अब फसल नष्ट होने से आर्थिक संकट आ गया है। सिंधिया स्टेट के समय बनाया गया था रिजर्व डैम स्थानीय बुजुर्गों के मुताबिक, सबलगढ़ के टोंगा गांव में 1889 में इस डैम का निर्माण सिंधिया राजघराने ने कराया था। लगभग सवा सौ साल से यह डैम आसपास के 20 गांवों की सिंचाई और पेयजल की जरूरतें पूरी कर रहा है। तहसीलदार-पटवारी की लापरवाही, कैचमेंट में प्लॉट काट दिए टोंगा गांव के विजय सिंह रावत ने आरोप लगाया कि यह तहसीलदार और पटवारी की लापरवाही का नतीजा है। तीन नाले डैम से निकलते थे। दो पर प्लॉटिंग हो चुकी है। लोगों की फसलें बर्बाद होने के बावजूद सुनवाई नहीं हो रही है। छगन सिंह रावत ने कहा कि उन्होंने दरार के बारे में खुद प्रशासन को बताया था। सोमवार शाम 4 बजे प्रशासन और सिंचाई विभाग के लोग आए। ग्रामीणों ने कहा- इसे जल्द बंद करवा दो। हम भी आपकी मदद करेंगे, लेकिन किसी ने नहीं सुनी। देखिए, रिजर्व डैम के फूटने से हुई तबाही की 6 तस्वीरें… घटना से जुड़ी ये खबर भी पढ़िए… लापरवाही छिपाने चूहों पर लगाया इल्जाम
जल संसाधन विभाग के चीफ एग्जीक्यूटिव इंजीनियर दिनेश रत्नाकर ने कहा, ‘सोमवार दोपहर 12 बजे ही तालाब का निरीक्षण किया गया था। ऐसा कुछ नहीं मिला, जिससे तालाब के फूटने की आशंका हो। चूहों के बिल बनाने की वजह से हादसा हुआ है। ग्रामीणों ने इससे पहले ऐसी कोई भी शिकायत नहीं की थी।’ पूरी खबर पढ़िए