एजेंटों की लड़ाई का खामियाजा भुगत रहे आवेदक:कामों की गति हुई कम, 75 प्रतिशत से अधिक आवेदक एजेंटों पर निर्भर

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मुझे गाड़ी ट्रांसफर करानी है। कई दिनों से फाइल एक एजेंट को दी है। कई दिनों तक काम नहीं हुआ तो मैं खुद सोमवार को आरटीओ पहुंचा। तब एजेंट ने मुझे मेरी फाइल वापस दे दी। मैं कार्यालय में गया तो मुझे बताया कि चेसिस नंबर घिस लाओ, यह सब मुझे नहीं आता है, और ना ही वहां कोई मेरी मदद कर रहा था, इसलिए मैं वापस आ गया। यह कहना है आवेदक वजाहत हसन का। उन्होंने कहा- मैं दूर रहता हूं। आरटीओ तक आना-जाना मुश्किल है, इसलिए एजेंट को फाइल दी थी, अब यह समझ नहीं आता काम होगा कैसे? मुझे कुछ दिन पहले पता चला था कि आरटीओ में काम नहीं हो रहे हैं। मगर कुछ लोगों ने बताया कि हो जाएगा, मगर मेरा खुद का अनुभव अच्छा नहीं रहा। विवाद के बाद एजेंटों की फाइलें लेना बंद 8 अगस्त को आरटीओ परिसर में एजेंटों में विवाद हुआ था। बताया जा रहा है कि कुछ एजेंटों ने आरटीओ भोपाल परिसर में एक युवक की पिटाई कर दी थी। हालांकि, इस मामले में कोई शिकायत नहीं हुई। लेकिन, आरटीओ जितेंद्र शर्मा के मौखिक आदेश पर एजेंटों की फाइलें आरटीओं में एक्सेप्ट करना बंद कर दीं थीं, जिसके बाद से आरटीओ भोपाल काम तो हाे रहे हैं मगर इसकी तादाद बहुत कम है, रोजाना 250 से अधिक बनने वाले लाइसेंस सोमवार को सिर्फ 50 से अधिक ही बने। जानकारी के अनुसार आरटीओ भोपाल में आने वाले आवेदक की संख्या में करीब 75 प्रतिशत से अधिक आवेदक एजेंटों द्वारा आते हैं। व्यवस्था आगे धीरे-धीरे बेहतर होगी: RTO आरटीओ जितेंद्र शर्मा ने बताया कि सभी आवेदकों का काम किया जा रहा है। यह व्यवस्था आगे धीरे-धीरे बेहतर होगी। वहीं, एजेंटों का कहना है कि दो लोगों की लड़ाई में पब्लिक का काम क्यों रोका गया। ये भी हुए परेशान एक नजर सोमवार के कामों पर