मोदी 3.0 में एमपी के अफसर कितने पावरफुल:5 मंत्रालयों की कमान, पीएमओ- कैबिनेट सचिवालय में पदस्थ; खुफिया एजेंसी-हाई कमीशन को लीड कर रहे

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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का बजट संसद में पेश किया। जिन अफसरों की टीम ने बजट तैयार किया उनमें मप्र कैडर के आईएएस अधिकारी हरिरंजन राव भी शामिल थे। राव साल 2020 से केंद्रीय प्रतिनियुक्त पर हैं और इस समय पीएमओ में एडिशनल सेक्रेटरी हैं। इसी तरह संदिग्ध वित्तीय लेन-देन पर नजर रखने वाली फाइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट की कमान मप्र कैडर के आईएएस विवेक अग्रवाल के हाथ में हैं। केंद्र के टॉप 5 मंत्रालयों में शामिल सड़क, परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के सचिव एमपी कैडर के आईएएस अनुराग जैन हैं। खास बात ये है कि ये तीनों अफसर जब मप्र में पदस्थ थे, तब वे पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान की कोर टीम का हिस्सा रहे और अब केंद्र की मोदी सरकार में अहम जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। दरअसल मोदी सरकार के पिछले तीन कार्यकाल को देखा जाए तो एमपी के अफसरों को अहम जिम्मेदारी मिलती रही है। तीसरे कार्यकाल में पांच अहम मंत्रालयों की जिम्मेदारी एमपी के अफसरों के हाथों में हैं। इस समय केंद्र में 38 आईएएस और 21 आईपीएस विभिन्न पदों पर काम कर रहे हैं। इनमें से कई पीएमओ, कैबिनेट सचिवालय से लेकर इंटेलिजेंस ब्यूरो और हाई कमीशन में पदस्थ है। मंडे स्टोरी में पढ़िए एमपी के किस अफसर के पास क्या जिम्मेदारी है। सिलसिलेवार जानिए किस अफसर के पास क्या है जिम्मेदारी अनुराग जैन: एमपी में CMO में रहे तो केंद्र में 10 साल पीएमओ में रहे 10 साल पहले पीएमओ में संयुक्त सचिव रहे अनुराग जैन को मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल में सबसे अहम मंत्रालय रोड, ट्रांसपोर्ट एंड हाईवे की कमान दी गई है। भोपाल कलेक्टर के साथ जैन मप्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के दो बार सचिव रह चुके हैं। वित्तीय प्रबंधन के अच्छे जानकार कहे जाते हैं। 2019 में प्रतिनियुक्ति से लौटे तो कमलनाथ में वित्त विभाग की जिम्मेदारी संभाली। हरिरंजन राव: MP में ई-फाइलिंग सिस्टम लागू किया, अब केंद्र में सूचना प्रौद्योगिकी संभाल रहे पीएमओ में टेक्नोलॉजी और गवर्नेंस वर्टिकल्स देखते हैं। राव मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सचिव रह चुके हैं। पीएमओ का हिस्सा बनने से पहले वे टेलीकॉम मिनिस्ट्री में संयुक्त सचिव थे। केंद्र के बजट को तैयार करने में पीएमओ के पांच अफसरों की भागीदारी थी। जिसमें राव भी शामिल थे। राज्य मंत्रालय में ई-फाइलिंग सिस्टम को लागू करने में राव की अहम भूमिका रही। विवेक अग्रवाल : वित्तीय खुफिया यूनिट के निदेशक, 6 माह का कार्यकाल फिर बढ़ा 1994 बैच के आईएएस अफसर विवेक अग्रवाल वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग में अपर सचिव का पद संभाल रहे हैं। इसके साथ ही सरकार ने उन्हें जनवरी 2023 से वित्त खुफिया यूनिट (एफआईयू-इंडिया) के निदेशक की अतिरिक्त जिम्मेदारी भी सौंपी है। हाल ही में उनका कार्यकाल 6 माह बढ़ाया गया है। विवेक अग्रवाल भी पूर्व सीएम शिवराज के प्रमुख सचिव रहे। मनमीत सिंह नारंग : 14 साल से देश की खुफिया एजेंसी में तैनात मनमीत सिंह नारंग मध्य प्रदेश कैडर के 1994 बैच के आईपीएस अफसर हैं। 2010 से प्रतिनियुक्ति पर हैं और खुफिया एजेंसी आईबी में जॉइंट डायरेक्टर हैं। वे 2022 तक तीन साल के लिए लंदन स्थित भारतीय उच्चायुक्त में संयुक्त सचिव के पद पर रहे। गौरव तिवारी : MP में 500 करोड़ के हवाला का किया था खुलासा 2010 बैच के आईपीएस अफसर गौरव तिवारी मई 2023 से कैबिनेट सचिवालय में डायरेक्टर के पद पर कार्यरत है। केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाने से पहले वे मध्य प्रदेश एटीएस में एसपी के पद पर रहे। इससे पहले वे कटनी, बालाघाट, छिंदवाड़ा और देवास के एसपी रहे।कटनी में पदस्थ रहते हुए उन्होंने 500 करोड़ रुपए का हवाला का खुलासा किया था। कॉर्पोरेट, खनन, डेयरी और विद्युत मंत्रालय भी एमपी के अफसरों के पास 1990 बैच की आईएएस अलका उपाध्याय 2016 से प्रतिनियुक्ति पर है। विभिन्न विभागों की जिम्मेदारी संभाल चुकी है। इस समय वे पशुपालन और डेयरी विभाग की सचिव के तौर पर पदस्थ है। साथ ही 1991 बैच के आईएएस मनोज गोविल कॉर्पोरेट मंत्रालय सचिव की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। मप्र राज्य निर्वाचन आयुक्त रहे वी एल कांताराव के पास खनन मंत्रालय के साथ रक्षा उत्पादन क्षेत्र के अतिरिक्त सचिव की जिम्मेदारी है। 1992 बैच के आईएएस पंकज अग्रवाल के पास विद्युत मंत्रालय जैसा अहम विभाग है। केंद्र में सबसे ताकतवर कैबिनेट सचिवालय, इसमें एमपी के तीन अफसर कैबिनेट सचिवालय केंद्र सरकार के सबसे शक्तिशाली अंग के तौर पर काम करता है। कैबिनेट सचिव भारत का सबसे ताकतवर नौकरशाह और प्रधानमंत्री का दाहिना हाथ होता है। वह प्रधानमंत्री को विभिन्न मुद्दों पर अपनी राय देता है। इस सचिवालय में मध्य प्रदेश कैडर के तीन आईपीएस अफसर पदस्थ हैं। ये तीनों अफसर देश की सुरक्षा से जुड़ी एजेंसियों के लिए काम कर रहे हैं। केंद्र में भी शिवराज के साथ ये दो अफसर केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान जब प्रदेश के मुख्यमंत्री थे तब 1996 बैच के आईएएस फैज अहमद किदवई मध्य प्रदेश में सामाजिक न्याय सहित अन्य विभागों में पदस्थ रह चुके हैं। विधानसभा चुनाव से पहले वे प्रतिनियुक्ति पर दिल्ली चले गए और अब वहां कृषि मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव हैं। वहीं शिवराज के पास ग्रामीण विकास मंत्रालय की भी जिम्मेदारी है यहां अतिरिक्त सचिव के तौर पर एमपी कैडर की आईएएस कैरेलीन खोंगवार देशमुख पदस्थ हैं। इंटेलिजेंस ब्यूरो से लेकर हाई कमीशन में फर्स्ट सेक्रेटरी तक एमपी के आईपीएस अफसर मध्य प्रदेश केडर के 21 आईपीएस अफसर प्रतिनियुक्ति पर केंद्र सरकार में विभिन्न पदों पर काम कर रहे हैं। 1994 बैच के अफसर मनमीत सिंह नारंग 14 साल से देश की सबसे बड़ी सुरक्षा एजेंसी आईबी में जॉइंट डायरेक्टर हैं। नारंग मंदसौर के रहने वाले हैं। नारंग के बैच के ही अंनत कुमार सिंह चार साल से इंडियन आइल के चीफ विजिलेंस आफिसर हैं। केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाने से पहले सिंह मप्र में एडीजी लोकायुक्त थे। इसी तरह 2006 बैच की श्रीमती टी अमोंगला अय्यर 9 साल से केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैं। वर्तमान में अय्यर सिंगापुर में फर्स्ट सेक्रेटरी हाई कमीशन के पद पर कार्यरत हैं। एक्सपर्ट बोले- जितने ज्यादा अफसर केंद्र में जाएंगे उतना राज्य को लाभ सीबीआई के डायरेक्टर रह चुके एमपी कैडर के रिटायर्ड आईपीएस ऋषि शुक्ला कहते हैं कि नियम के अनुसार किसी भी राज्य के कैडर में स्वीकृत आईएएस व आईपीएस अफसरों में से 40% केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर जा सकते हैं। वर्तमान में ये संख्या बेहद कम है। वे कहते हैं कि ऑल इंडिया सर्विस के अफसरों को राज्य और केंद्र में पदस्थ किया जा सकता है, लेकिन उनका केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर जाना अनिवार्य नहीं है। अफसरों को सरकारों की मंशा के मुताबिक काम करना होता है- आर परशुराम केंद्र में पदस्थ होने वाले अफसरों की राज्य और केंद्र की वर्किंग में क्या अंतर आता है। इस सवाल के जवाब में केंद्र में लंबे समय तक काम कर चुके मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव आर परशुराम कहते हैं कि अफसर सरकारों की मंशा के मुताबिक ही काम करते हैं। इतना जरूर है कि जब केंद्र से प्रतिनियुक्ति के बाद राज्य में लौटते हैं तो एक व्यापक सोच के साथ काम किया जाता है। और इस अनुभव का लाभ राज्य को अवश्य मिलता है।