छिंदवाड़ा के चिमटीपुर गांव में दूषित पानी पीने से 8 दिन में महिला और ढाई साल के बच्चे की मौत हो चुकी है। 20 से ज्यादा लोग जिला अस्पताल में भर्ती हैं। सभी को उल्टी-दस्त की शिकायत है। इससे प्रशासन में हड़कंप है। जिस कुएं का दूषित पानी पीने से ऐसे हालात बने हैं, वह आज भी खुला है। दैनिक भास्कर की टीम जिला मुख्यालय से 85 किलोमीटर दूर पातालकोट के चिमटीपुर गांव पहुंची। रास्ता ऐसा कि एम्बुलेंस नहीं पहुंच पाती आदिवासी बाहुल्य चिमटीपुर गांव में 261 लोगों की आबादी है। पहाड़ी इलाके में बसे इस गांव तक पहुंचने का रास्ता भी दुर्गम है। मुख्य सड़क तक पहुंचने के लिए करीब 10 किलोमीटर चलना होता है। पूरी सड़क कच्ची है। गांव में कोई बीमार होता है, तो अंदर एम्बुलेंस भी नहीं पहुंच पाती। मरीज को मुख्य सड़क तक लाना पड़ता है। बारिश के दिनों में घाट वाले क्षेत्र में पहाड़ की मिट्टी सड़क पर बहकर आ जाती है। ऐसे में कीचड़ हो जाता है। अब बात बीमारी की… 18 जुलाई को ढाई साल की परीजा बिसन लाल की मौत हुई। दो दिन बाद यानी 20 जुलाई को गांव में भूरा सिंह उइके (50) और उसकी पत्नी अतरवती उइके (42) को उल्टी-दस्त की शिकायत हुई। 21 जुलाई को एम्बुलेंस नहीं पहुंची, तो निजी वाहन से दोनों को अस्पताल ले जाया गया। अस्पताल पहुंचने से पहले ही अतरवती ने दम तोड़ दिया। अतरवती की बेटी वंदना (6) और मिलन (3) को तामिया जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है। इसके बाद लगातार गांव में एक के बाद एक लोगों की तबीयत बिगड़ना शुरू हो गई। कुएं का गंदा पानी पीने से बिगड़ी तबीयत दरअसल, गांव में पहाड़ियों के नजदीक सरकारी कुआं है। इसी कुएं का पानी सभी गांव वाले पीते हैं। बारिश के दिनों में कुएं में आसपास का गंदा पानी आ जाता है। इससे पानी दूषित हो गया है। इसी कुएं का पानी पीने के कारण लोगों की तबीयत बिगड़ी है। हालांकि प्रशासन ने फिलहाल इस कुएं से पानी पीने पर प्रतिबंध लगा दिया है। पीएचई की टीम ने पानी का सैंपल भी लिया है। गांव में स्थित आदिवासी हॉस्टल से वैकल्पिक पेयजल की व्यवस्था की गई है। आठ दिन बाद भी कुआं बंद नहीं दैनिक भास्कर की टीम जब गांव पहुंची, तब कुएं का पानी हरा दिख रहा था। इसके आसपास और कुएं में गंदगी भी थी। दरअसल, पहाड़ी पर होने के कारण कुएं में गंदगी बहकर आ जाती है। भले ही प्रशासन ने प्रतिबंधित कर दिया हो, लेकिन इसे बंद नहीं किया गया है। यानी अब तक कुआं खुला पड़ा है। ग्रामीण बोले- गांव में एम्बुलेंस नहीं आ पाती भूरा लाल उइके ने बताया, ‘मेरी भाभी की तबीयत खराब हो गई थी। समय पर एम्बुलेंस नहीं पहुंच पाई, तो दो हजार रुपए खर्च कर निजी गाड़ी से अस्पताल ले जा रहे थे। रास्ते में उनकी मौत हो गई। हम लोग जिस कुएं का पानी पी रहे हैं, उसके ऊपर गंदगी है। भूरा सिंह ने बताया, ‘मेरी पत्नी अतरवती को पेट दर्द और उल्टी- दस्त की शिकायत हुई। 108 एम्बुलेंस को फोन लगाया, लेकिन एम्बुलेंस समय पर नहीं पहुंची। प्राइवेट गाड़ी से उसे अस्पताल ले जा रहे थे। रास्ते में पत्नी का निधन हो गया। गांव की रहने वाली अमरवती ने बताया, ‘कुएं का पानी पीते हैं, जिसमें बारिश की गंदगी है। अब साहब लोगों ने यहां का पानी पीने से मना कर दिया है। दूसरी जगह से पानी दे रहे हैं। मेरी भी 20 दिन पहले तबीयत खराब हुई थी। कल बॉटल लगी है। अभी ठीक हूं। 48 बेड वाले मेल मेडिकल वार्ड में 80 से ज्यादा पेशेंट छिंदवाड़ा जिला अस्पताल के मेडिकल वार्ड में उल्टी-दस्त के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। हालत ये है कि 48 बिस्तरों वाले वार्ड में 80 से ज्यादा मरीज भर्ती हैं। ऐसे में जमीन पर मरीजों का इलाज करना पड़ रहा है। अस्पताल में भर्ती मथेलाल उइके (60) की हालत भी गंभीर है। मथेलाल के बेटे राकेश उइके ने बताया, ‘दूषित पानी पीने की वजह से पिता की तबीयत बिगड़ी थी। अभी हालत स्थिर है।’ महिला की मौत के बाद हरकत में प्रशासन अतरवती की मौत के बाद जिला प्रशासन हरकत में आया। गांव में डोर टू डोर सर्वे किया। इनमें से 20 लोग डायरिया से पीड़ित मिले। इनमें से 13 लोगों का तामिया सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया है। वहीं, गंभीर 3 लोगों को जिला अस्पताल रेफर किया गया है। बाकी का घर पर इलाज किया जा रहा है। गांव में स्वास्थ्य कैंप भी लगाया गया है। मंगलवार को CMHO एनके शास्त्री भी गांव पहुंचे। उन्होंने टीम को मरीजों की जांच के लिए बेहतर व्यवस्था बनाने की बात कही। जिम्मेदार क्या कहते हैं… तामिया के ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर डॉ. जितेंद्र उइके ने बताया कि चिमटीपुर में डायरिया की वजह से स्थिति गंभीर हो गई थी। एक महिला की मौत भी हो गई। महिला को कैंप से रेफर करते समय मौत हो गई थी। गांव में 7 बच्चों समेत 20 लोग बीमार 1) मथेलाल उइके (65) 2) करण उइके (12) 3) रज्जू उइके (25) 4) साधना उइके(3) 5) वंदना उइके (6) 6) अशोक कुमार (45) 7) रामकृष्ण (12) 8) नितेश उइके (14) 9) अर्चना उइके (9) 10) सिरोजवती (65) 11) सुखिया कुमरे (55) 12) पूनम उइके (18) 13) मोहिनी (डेढ़) 14) देवकुमार (35) 15) शंकर लाल कुडोपा (36) 16) चंद्राबाई पंद्राम (60) 17) कमलसा (62) 18) निहारिका 19) शंकर 20) अर्चना (7) ——————————————————————- भिंड- पांच दिन में 100 से ज्यादा लोग हुए बीमार, तीन की मौत भिंड के फूप में 10 जून से लेकर 15 जून तक दूषित पानी पीने से करीब 100 से ज्यादा लोग बीमार हुए थे। तीन लोगों की मौत भी हुई थी। उच्च स्तरीय जांच कमेटी भी बनाई गई थी। कमेटी ने पानी के सैंपल लिए थे। जांच रिपोर्ट में भी पानी में नाइट्रेट की मात्रा ज्यादा मिली थी। इसके बाद नगर पंचायत के वाटर सप्लायर क्लार्क को सस्पेंड किया गया। सागर- मेहर गांव में 250 लोग हुए थे बीमार इसी महीने सागर के मेहर गांव में भी 5 जुलाई हर घर में उल्टी-दस्त के मरीज मिले थे। गांव में 250 लोग बीमार हुए थे, जबकि एक की मौत हो गई थी। 70 से ज्यादा लोगों को अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती कराया गया था। यहां बोरिंग का पानी पीने के बाद लोगों की तबीयत बिगड़ी थी। सैंपल लेकर प्रशासन ने बोर बंद कर दिया था। डिंडौरी- एक हफ्ते में हुई थी 5 लोगों की मौत डिंडौरी जिले की अमरपुर जनपद पंचायत के मनोरी गांव में 14 जुलाई तक एक हफ्ते में डायरिया से पांच लोगों की मौत हुई थी। इसके बाद प्रशासन ने घर-घर जाकर सर्वे कर जांच की। एसडीएम राम बाबू देवांगन ने बताया था कि गांव में कुछ लोग सुअर पालन करते हैं। घरों के आसपास गंदगी है। ग्रामीणों को सफाई का ध्यान रखने की समझाइश दी गई थी।