सिंधी समाज के ब्रह्मलीन संत शिरोमणी हिरदाराम के 18 वें अवसान दिवस (21 दिसंबर) को पूजा-आराधना के साथ ही बीमार, लाचार व अन्य जरूरतमंदों की सेवा कार्य के साथ मनाया जाएगा। इसकी शुरुआत गुरुवार को संत समाधि स्थल पर अखंड सम्पट पाठ के साथ होगी। इस मौके पर शाम 4 बजे से संतश्री की कुटिया से भगवान राम-कृष्ण की प्रतिमाओं की शोभायात्रा निकलेगी जो साधु वासवानी पार्क पहुंचेगी। भक्त कुटिया से श्रीगुरु ग्रंथ साहिब को भी शीश पर रखकर इसी स्थान पर पहुंचेंगे। यहां शुक्रवार को 7 दिवसीय रामधुनी शुरू की जाएगी। इसका शुभारंभ संत सिद्धभाऊ करेंगे। संतश्री के विदेश में रह रहे कई भक्तों के आने की भी संभावना है। जो नहीं आ सकेंगे, वे समाधि के ऑनलाइन दर्शन करेंगे। जीव दया संस्थान के महेश दयारामानी ने बताया कि संतश्री के समाधि स्थल के द्वार 21 दिसंबर को सुबह 7 बजे से देर शाम तक खुले रहेंगे। इसे फूलों से सजाया जाएगा। संत नगर में कई स्थानों पर भंडारे होंगे, वहीं सेवा सदन में 100 गरीब नेत्र रोगियों की आंखों के निःशुल्क ऑपरेशन किए जाएंगे। मेडिकल जांच कैंप भी लगेंगे। बच्चों को दिलाएंगे सेवा कार्यों का संकल्प महेश दयारामानी ने बताया कि गुरुवार की सुबह सम्पट पाठ शुरू होंगे, जिसका 21 दिसंबर को समापन प्रसाद के साथ किया जाएगा। भोग साहिब के प्रसाद का वितरण होगा। संतश्री के अवसान दिवस पर शिक्षण संस्थाओं के बच्चों को सेवाकार्यों का संकल्प कराया जाएगा। स्कूलों में सुखमनी का पाठ भी होगा। इसी दिन संत सिद्ध भाऊ सुबह 7 बजे समाधि स्थल पर विभिन्न सेवा कार्यों से जुड़े श्रद्धालुओं को संतश्री के बताए मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करेंगे। पुण्यतिथि पर संतश्री की समाधि पर मत्था टेकने के लिए बड़ी संख्या में लोग श्रद्धा सुमन अर्पित करेंगे। नवयुवक सभा भवन में भंडारा होगा। इसमें 50 हजार से अधिक लोगों को प्रसादी बांटी जाएगी। इसके अलावा बेसहारा, दिव्यांगों के आश्रमों एवं निर्माणाधीन भवनों पर कार्यरत मजदूर को भी भोजन भेजा जाएगा। संतश्री ने 1964 में शुरू की थी रामधुनी: अखंड रामधुन आयोजन समिति के संयोजक अनिल चोटरानी ने बताया कि संतश्री ने रामधुनी 1954 में अपनी कुटिया में शुरू की थी। उनका मानना था कि इस रामधुन में जो भी व्यक्ति श्रद्धा से शामिल होता है, उसकी मनोकामना पूर्ण होती है।