उत्तर भारत में बर्फबारी होने से प्रदेश में सर्द हवाएं आ रही हैं। जिसके असर से सागर में ठंड का असर बढ़ा है। दिसंबर की शुरुआत से ही कड़ाके की सर्दी शुरू हो गई है। पिछले दो दिनों से सर्द हवाएं चलने से ठिठुरा देने वाली ठंड से लोगों के हाल बेहाल है। सुबह, रात के साथ ही दोपहर के समय हवाएं चलने से कंपकंपा देने वाली ठंड का एहसास हो रहा है। गुरुवार को सुबह से शहर का मौसम साफ रहा। धूप खिली। सर्द हवाओं से वातावरण में ठिठुरन रही। लोग गर्म कपड़े पहनकर बाजार में निकले। हवाएं चलने से दोपहर के समय भी वातावरण में कंपकंपा देने वाली ठंड रही। सुबह से सागर का अधिकतम तापमान 24.4 डिग्री और न्यूनतम पारा 10.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। सागर में अचानक बढ़ी ठंड को देखते हुए कलेक्टर ने स्कूलों के समय में बदलाव किया है। जिले के सभी स्कूल 9 बजे से पहले नहीं लगेंगे। वहीं स्वास्थ्य विभाग ने ठंड से बचाओ के लिए एडवाइजरी जारी की है। मौसम विभाग के अनुसार, उत्तर भारत में बर्फबारी होने से सर्द हवाएं प्रदेश में आ रही हैं। इस कारण से ज्यादातर हिस्सों में कड़ाके की ठंड पड़ रही है। पश्चिम-उत्तर भारत में 12.6 किमी की ऊंचाई पर 278 किमी प्रतिघंटा की गति से जेट स्ट्रीम हवाएं बह रही हैं। वेस्टर्न डिस्टरबेंस एक्टिव है। इस कारण से बर्फ पिघल रही है। जिससे हवा में ठंडक है। गुरुवार को सागर में सर्द हवाएं चलेंगी। आगामी दो दिनों तक ठंड अपना असर दिखाएगी। ठंड से होने वाले दुष्प्रभाव और बचाओ की एडवाइजरी जारी
जिले में अचानक बढ़ी ठंड और शीतलहर को देखते हुए सर्दी से होने वाले दुष्प्रभाव और बचाओ को लेकर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. ममता तिमोरी ने एडवाइजरी जारी की है। उन्होंने बताया कि ठंड के मौसम में वातावरण का तापमान अत्याधिक कम होने से सर्दी, जुकाम, बुखार, निमोनिया, त्वचा रोग, फेफड़ों में संक्रमण, हाइपोथर्मिया, अस्थमा, एलर्जी होने की आशंका बढ़ जाती है। यदि समय पर नियंत्रण न किया जाए तो स्थिति गंभीर भी हो सकती है प्रभावों से पूर्व बचाव के लिए समय अनुसार उचित कार्रवाई की जाने की स्थिति में प्राकृतिक विपदा का सामना किया जा सकता है। ठंड से बचने के लिए आवश्यक होने पर ही घर से बाहर निकले। शीतलहर में दीर्घकालिक बीमारियां जैसे-डायबिटीज, उच्च रक्तचाप, श्वांस संबंधी बीमारियों वाले मरीज, वृद्धजन, 5 साल से कम आयु के बच्चे, गर्भवती महिलाएं आदि को विशेष देखभाल की आवश्यकता होती हैं। शीतघात के दौरान शरीर को सूखा रखें। शरीर के गर्माहट बनाए रखने के लिए अपने सिर, गर्दन, कान, नाक, हाथ, पैर की उंगलियों को पर्याप्त रूप से ढक कर रखें। शरीर को गर्म बनाए रखने के लिए टोपी, हेंड, मफलर, जल रोधी जूतों को उपयोग करें, स्वास्थ्य वर्धक गर्म भोजन को सेवन करें। शीत प्रकृति के भोजन से दूर रहें। विटामिन सी से भरपूर ताजे फल खाएं। गर्म तरल पदार्थ नियमित रूप से पिएं। बुजुर्ग, नवजात शिशुओं और बच्चों का ध्यान रखें। जरूरत पड़ने पर तत्काल चिकित्सक की सलाह लें।