जिले में मौसम में आए बदलाव ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। गेहूं, चना सहित रबी फसलों की 84 प्रतिशत बोवनी पूरी हो गई है। ऐसे में फसलों में सिंचाई के लिए पानी की जरूरत किसानों को महसूस हो रही है। अब भी कई क्षेत्रों में नहरों से पानी मिलने का इंतजार किसानों को करना पड़ रहा है। वहीं जिले के मौसम में उतार-चढ़ाव बना हुआ है। बीते एक सप्ताह से आसमान में बादल छाए हैं। इससे तापमान में बढ़ोत्तरी जरूर हुई है, लेकिन तेज धूप नहीं तपने से खेतों में नमी बरकरार है। जिले में 3.48 लाख हेक्टेयर में रबी. फसल बोवनी का लक्ष्य कृषि विभाग ने निर्धारित किया है। 2.93 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में गेहूं, चना, मटर, असली, मसूर, सारसों की बोवनी हो गई है। जिले में सर्वाधिक गेहूं का 2.78 लाख हेक्टेयर का क्षेत्रफल है, 2.25 लाख हेक्टेयर खेतों में किसानों ने गेहूं लगा दिया है। चना के साथ-साथ मटर, मसूर, सरसों, अलसी व गन्ना के क्षेत्रफल भी इस वर्ष बढ़ाया गया है। कृषि अधिकारियों का दावा है कि जिले में यूरिया खाद का पर्याप्त भंडार उपलब्ध है। इसलिए किसानों को किसी तरह की समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा। न्यूनतम तापमान में बढ़ोत्तरी आसमान में छाए बादलों के बीच तापमान में गिरावट व बढ़ोत्तरी का दौर जारी है। शुक्रवार को न्यूनतम तापमान 16.6 डिसे दर्ज किया गया। जबकि अधिकतम तापमान 28 डिसे दर्ज हुआ। एक दिन पहले अधिकतम तापमान 31 डिसे पहुंच गया था। जबकि न्यूनतम तापमान 15.4 डिसे दर्ज हुआ था। आसमान में बादलों के छाए रहने के कारण उत्तर से चल रही बर्फीली ठंडी हवाओं की रफ्तार धीमी पड़ गई है। वहीं आसमान में छाए बादलों से फसलों में बढ़ेगी कीट-व्याधि, तापमान में हुई बढ़ोत्तरी होगी।मौसम में हो रहे बदलाव का असर फसलों पर भी देखा जा रहा है। कृषि विज्ञानियों के अनुसार चना, मटर व अन्य दलहनी फसलों में इल्ली व कीट व्याधि बढ़ने की आशंका बढ़ गई है। हालाकि खेतों में फसल छोटी होने के कारण कोट-व्याधि का ज्यादा असर पड़ने की संभावना नहीं है। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार फिलहाल कोहरा पाला की स्थिति जिले के अधिकांश हिस्सों में देखने को नहीं मिल रही है। ऐसे में किसानों को फसलों की अतिरिक्त सिंचाई करने की जरूरत नहीं है। कृषि कल्याण विभाग के सहायक संचालक प्रफुल्ल घुड़ेश्वर का कहना है कि फसलों की बोवनी का कार्य लगभग पूरा हो गया है। फिलहाल जिले में सामान्य है, बादलों के छाए रहने से मौसम कुछ क्षेत्रों में कीट-व्याधि की समस्या आ सकती है। जिले में उर्वरक का पर्याप्त भंडार उपलब्ध है। कोहरा पाला पड़ने पर किसानों को खेतों की मेड़ पर धुआं करने के साथ हो रात में फसलों में सिंचाई करने से फसलों को नुकसान से बचाया जा सकता है।