पेट्रोल डीजल का भाव 96 रुपए प्रति लीटर है। पेट्रोप पंप पर इस भाव से कम में नहीं मिलेगा। कोई भी पेट्रोल पंप से इस भाव से कम पर डीजल नहीं बेच सकता, लेकिन जिले में 25- 30 रुपए कम भाव पर भी डीजल उपलब्ध है। सागर से गढ़ाकोटा व सागर से नरयावली के बीच चल रहे कुछ ढाबों पर 75 से 85 रुपए प्रति लीटर के भाव पर डीजल बेचा जा रहा है। इन ढाबों पर डीजल लेने के लिए कैन या वाहन लेकर जाइए। जितना चाहिए उतना डीजल लेकर आ जाइए। इन ढाबों पर बड़ी मात्रा में डीजल का अवैध भंडारण भी किया जा रहा है। यह किसी भी दिन आगजनी का कारण बन सकता है। अवैध रूप से डीजल बेचने की सूचना की पुष्टि के लिए चनौआ के पास स्थित विनायक ढाबा से 10 लीटर डीजल खरीदा तो बिना किसी परेशानी के मिल गया। यहां हमेशा तेल कंपनियों के डीजल टैंकर खड़े देखे जा सकते हैं। इन्हीं टैंकर से डीजल चोरी कर ढाबे से बेचा जा रहा है। इसमें टैंकर चालक की मिलीभगत होती है। ढाबे के पीछे तरफ एक कमरे में प्लास्टिक टंकियों में डीजल भरकर रखा गया है।
10 लीटर डीजल खरीदा, 850 रुपए लिए
अवैध रूप से डीजल बेचने के प्रमाण जुटाने के लिए चनौआ के पास स्थित विनायक ढाबे से डीजल खरीदा। यहां काउंटर पर बैठे युवक से डीजल देने की बात कही तो उसने थोड़ा रुकने के लिए कहा। पता चला कि डीजल टैंकर से निकाला जा रहा है। दस मिनट बाद जब दोबारा युवक से डीजल देने के लिए कहा तो उसने अपने एक साथी को डीजल देने के लिए कहा। काउंटर के पास रखे कैन को लेकर वह युवक डीजल का टैंकर लेकर ढाबे के पीछे की ओर गया। साथ में खरीददार भी गया। पीछे बने एक कमरे में करीब एक दर्जन छोटी- बड़ी टंकियां रखी हुई थी। उनमें डीजल भरा हुआ था। एक टंकी से डीजल निकाला। 10 लीटर नाप कर कैन में भर दिया। इस दौरान डाबे पर बैठकर 10 रुपए में दो चाय पी। 5 रुपए की हरी मटर खरीदी। काउंटर पर बैठे युवक ने चाय, हरी मटर व 10 लीटर डीजल की कुल राशि 865 रुपए बताई। इसमें 15 रुपए चाय व मटर के और 850 रुपए डीजल के थे। यानी एक लीटर डीजल 85 रुपए का दिया।
यहां दिनभर खड़े रहते हैं तेल कंपनियों को टैंकर प्रत्येक टैंकर से 150 से 200 लीटर डीजल निकाला जा रहा
इस व्यवसाय से जुड़े लोगों के मुताबिक डीजल टैंकर 12 हजार या 20 हजार लीटर के होते हैं। प्रत्येक टैंकर में 4 भाग होते हैं। यानी 12 हजार वाले टैंकर में 3-3 हजार लीटर के चार भाग होते हैं। टैंकर से डीजल निकालने वाले प्रत्येक भाग से 40 से 50 लीटर डीजल एक पतले पाइप के माध्यम से निकालते हैं। यानी 3000 लीटर में 40-50 लीटर निकालते हैं। प्रत्येक टैंकर से 200 लीटर तक डीजल चुरा लिया जाता है। 12000 या 20000 लीटर से 200 लीटर की छोटी मात्रा निकाल लेने पर कमी नजर नहीं आती है। चोरी डिपो कर्मचारियों की मिलीभगत से ही संभव डिपो पर टैंकर भरने के बाद लॉक किए जाते हैं। इन्हें पेट्रोल पंप पर ही खोला जाता है। इस काम से जुड़े लोगों के मुताबिक इस चोरी में टैंकर लॉक करते समय साजिश की जा रही है। डिपो कर्मचारियों की मिलीभगत हो सकती है। टैंकर भरे जाने के बाद पूरी तरह से लॉक नहीं किया जा रहा है। टैंकर में ऊपर व नीचे दोनों तरफ लॉक होते हैं। ऊपर के लॉक को पूरी तरह से बंद नहीं किया जा रहा है। डिपो कर्मचारी ड्राइवर को भी लॉक करने चढ़ा देते हैं। वे अपनी सुविधा के मुताबिक यानी पाइप डालने के लिए जगह बनाकर ही बंद करते हैं। चोरी करने के लिए टैंकर के ऊपर के लॉक का ही उपयोग किया जा रहा है। सख्ती से कार्रवाई हो पेट्रोल पंप डीलर्स एसोसिएशन के जिला अध्यक्ष एड. राजेंद्र दुबे ने बताया कि इस तरह ह की सूचनाएं हैं कि टैंकर्स से डीजल निकाला जा रहा है। हमारे पंप के टैंकर्स से भी चोरी होने की बात सामने आई थी। यह गैरकानूनी तो है ही ढाबों पर डीजल पेट्रोल रखने से कभी भी बड़ी आगजनी हो सकती है। सख्ती से कार्रवाई करना चाहिए।