ठंड में खुले आसमान के नीचे सोने को मजबूर किसान:खाद के इंतजार में कट रही रातें, देखें अन्नदाता की बेबसी की तस्वीरें

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भिंड जिले के किसान डीएपी खाद के संकट से जूझते हुए दिन-रात संघर्ष कर रहे हैं। पुरानी गल्ला मंडी में हर दिन सैकड़ों किसान कतारों में खड़े होकर बारी का इंतजार करते हैं। दिन में तो ये किसान अपने हिस्से की खाद पाने की कोशिश करते हैं, लेकिन रात में मंडी प्रांगण में खुले आसमान के नीचे कंबल ओढ़कर सर्दी से जूझते हैं। दैनिक भास्कर की टीम जब मंगलवार रात 12 बजे मंडी प्रांगण पहुंची, तो वहां सोते और करवटें बदलते किसानों की बड़ी तादाद नजर आई। टीम को देख कुछ किसान बैठ गए। उनकी आंखों में थकी हुई चमक थी, लेकिन भास्कर की मौजूदगी से उम्मीद जगी कि शायद उनकी आवाज प्रशासन तक पहुंचे। अन्नदाता की बेबसी खेतों में गेहूं की बुवाई के लिए समय हाथ से निकला जा रहा है। बावजूद इसके किसानों को खाद के लिए लंबा इंतजार करना पड़ रहा है। कुछ किसान दिन में घंटों कतार में खड़े रहते हैं और रात में वहीं सोने पर मजबूर हैं। अमलेड़ी गांव के किसान कप्तान सिंह बताते हैं, “दो दिन से यहां हूं। जब मेरी बारी आती है, तब खिड़की बंद कर दी जाती है। सर्दी और भूख के बीच यही सोचते हुए सो जाता हूं कि शायद कल नंबर आ जाए।” न टूट रही कतार, न मिल रही राहत
अटेर के नरसिंहगढ़ के रहने वाले विकास बघेल ने बताया, “दो रातों से घर नहीं गया हूं। विवाद होने पर कर्मचारी खाद बांटना बंद कर देते हैं। हमें रात यहीं मंडी में काटनी पड़ती है। फसल की चिंता हमें सोने नहीं देती।” खेत तैयार, लेकिन खाद नहीं किसानों ने खेतों में पलेवा और जुताई का काम पहले ही पूरा कर लिया है। पर्याप्त नमी होने के बावजूद खाद की कमी से बुवाई शुरू नहीं हो पा रही। विनोद यादव कहते हैं, “11 नवंबर को टोकन कटवाया था। तब से हर दिन यहां कतार में हूं। बुवाई में देरी होने से खेत खराब हो सकते हैं। फसल नहीं उग पाई तो पूरे साल का खर्च चौपट हो जाएगा।” प्रशासनिक अनदेखी और सर्द रातों की चुनौती खाद वितरण में अव्यवस्था के चलते किसानों को कई दिनों तक इंतजार करना पड़ रहा है। किसानों का कहना है कि कर्मचारी सुबह 11 बजे आते हैं और 5 बजे खिड़की बंद कर देते हैं। इतने कम समय में कतार में खड़े हर किसान को खाद मिलना संभव नहीं हो पाता। मजबूरी में किसानों को रात मंडी में ही बितानी पड़ती है। सर्द हवाएं और खुले आसमान के नीचे रात गुजारना उनके लिए दोहरी चुनौती बन गया है। समाधान की दरकार किसानों के समय रहते खाद नहीं मिला तो उनके परिवारों की रोजी-रोटी भी संकट में आ जाएगी। अन्नदाताओं के इस संघर्ष और उनकी बेबसी से अफसर अनजान नही है फिर भी उनकी समस्या समाधान पर कोई ठोस कदम नही उठाया जा रहा है। तस्वीरों में देखें कैसे रात गुजारने को मजबूर हैं भिंड के किसान