एक मां-बेटा पासपोर्ट बनवाने के लिए पिछले 5 साल से कोर्ट की लड़ाई लड़ रहे हैं। दरअसल, दो बार इन्होंने पासपोर्ट के लिए आवेदन दिया। दोनों ही बार पुलिस ने नेगेटिव वैरिफिकेशन रिपोर्ट दी। वजह ये है कि महिला के ससुर का आपराधिक रिकॉर्ड है, जबकि उसके और बेटे के खिलाफ कोई मामला दर्ज नहीं है। पुलिस ने महिला के पति को भी अपराधी बताया था, बाद में अपनी रिपोर्ट में सुधार कर लिया। खास बात ये है कि जिस ससुर का पुलिस आपराधिक रिकॉर्ड बता रही है, वह पिछले 30 साल से लापता है। जिंदा है या नहीं, ये भी किसी को नहीं पता। मां-बेटे दो बार हाईकोर्ट में याचिका लगा चुके हैं। इस बार कोर्ट ने सख्त लहजे में पुलिस और पासपोर्ट ऑफिस के अधिकारियों को 6 हफ्ते में प्रक्रिया पूरी कर पासपोर्ट देने के लिए कहा है। तीन पॉइंट्स में समझिए क्या है पूरा मामला 2019 में पुलिस ने पहली रिपोर्ट दी: मंदसौर की रहने वाली फरजाना बानो और उनके बेटे मोहम्मद वाजिब छिपा ने साल 2019 में पासपोर्ट के लिए आवेदन किया था। एलएलबी की पढ़ाई कर रहे मोहम्मद वाजिब मास्टर्स की पढ़ाई लंदन के किंग्स कॉलेज से करना चाहता था। पासपोर्ट देने के लिए आवेदक का पुलिस वैरिफिकेशन होता है। पुलिस आवेदक का पर्सनल और क्रिमनल रिकॉर्ड खंगालती है। यदि किसी का क्रिमिनल रिकॉर्ड होता है तो नेगेटिव रिपोर्ट दी जाती है। इस केस में पुलिस ने आवेदकों के बजाय उसके परिवार की हिस्ट्री चेक की। 17 जून 2019 में मंदसौर के तत्कालीन एसपी ने पासपोर्ट आवेदन पर पहली रिपोर्ट दी। पुलिस ने पहली रिपोर्ट में लिखा कि आवेदक फरजाना बानो के पति मोहम्मद शाहिद और ससुर मोहम्मद शफी के ऊपर एनडीपीएस के केस है। इनके परिवार वालों के क्रिमिनल रिकॉर्ड है। इसलिए न तो फरजाना बानो को पासपोर्ट दिया जा सकता है और न ही बेटे मोहम्मद वाजिब को पासपोर्ट दे सकते हैं। पुलिस रिपोर्ट को हाईकोर्ट में चैलेंज: नेगेटिव वैरिफिकेशन रिपोर्ट मिलने के बाद आवेदकों ने पुलिस के अधिकारियों से बात की, लेकिन जब बातचीत से मामला हल नहीं हुआ तो आवेदकों ने 2021 में इस रिपोर्ट को हाईकोर्ट की इंदौर बेंच में चैलेंज किया। आवेदकों के वकील ने कोर्ट को दलील दी कि पासपोर्ट के लिए संबंधित व्यक्ति का क्रिमिनल रिकॉर्ड देखा जाना चाहिए। जबकि इस केस में परिवार की क्रिमिनल हिस्ट्री का हवाला देते हुए पासपोर्ट देने पर रोक लगाई गई है। ये गलत है। कोर्ट का डायरेक्शन: हाईकोर्ट ने मामले में सुनवाई के बाद कहा कि पुलिस ने आवेदकों का क्रिमिनल रिकॉर्ड नहीं देखा, ऐसा होता नहीं है। कोर्ट ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि इस केस को फिर से कंसीडर किया जाए। दोबारा आवेदन, फिर नेगेटिव रिपोर्ट और पासपोर्ट रिजेक्ट कोर्ट के डायरेक्शन के बाद फरजाना बानो और वाजिब ने दोबारा पासपोर्ट के लिए आवेदन किया। इस बार मां-बेटे को उम्मीद थी कि हाई कोर्ट के डायरेक्शन के बाद उनका पासपोर्ट बन जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। तत्कालीन मंदसौर पुलिस ने 13 जुलाई 2022 को पहले की तरह ही नेगेटिव रिपोर्ट दे दी। इस बार पुलिस ने रिपोर्ट में बदलाव किया। पहले वाली रिपोर्ट में पुलिस ने कहा था कि फरजाना बानो के पति मोहम्मद शाहिद पर एनडीपीएस का केस है। दूसरी रिपोर्ट में सुधार करते हुए लिखा कि पति मोहम्मद शाहिद एनडीपीएस केस से बरी हो चुके हैं, उन पर कोई मामला दर्ज नहीं है। रिपोर्ट में लिखा कि इनके ससुर मोहम्मद शफी के ऊपर आज भी केस चल रहा है इसलिए इनका पासपोर्ट फिर से रिजेक्ट करते हैं। पुलिस की इस रिपोर्ट के आधार पर 17 नवंबर 2022 को भोपाल पासपोर्ट ऑफिस ने पासपोर्ट रिजेक्ट करने के संबंध में एक लेटर भी फरजाना और उनके बेटे को भेज दिया। जिस ससुर पर केस बताया वो 30 साल से लापता पुलिस ने दोनों बार ससुर मोहम्मद शफी पर आपराधिक मामला दर्ज होने का हवाला देते हुए नेगेटिव वैरिफिकेशन रिपोर्ट दी है। मोहम्मद शफी के खिलाफ नीमच में एनडीपीएस एक्ट में मामले दर्ज हैं। हकीकत ये है कि मोहम्मद शफी पिछले 30 साल से लापता है। वो कहां है इसके बारे में परिवार भी नहीं जानता। मोहम्मद शफी जब लापता हुए थे तब उनकी उम्र 60 साल थी। यानी आज उनकी उम्र 90 साल होगी। सवाल ये भी है कि वह जीवित है या नहीं, इस बारे में किसी को कुछ नहीं पता। 2023 में एक बार फिर दायर की याचिका पासपोर्ट रिजेक्ट करने के बाद फरजाना बानो और बेटे मोहम्मद वाजिब की तरफ से हाईकोर्ट में 2023 में एक बार फिर याचिका लगाई गई। इस याचिका में हाईकोर्ट के पहले दिए आदेश का हवाला भी दिया। इसमें बताया गया कि हाई कोर्ट के डायरेक्शन के बाद भी न तो पुलिस ने अपनी रिपोर्ट में सुधार किया और न ही पासपोर्ट ऑफिस के अधिकारियों ने केस को कंसीडर किया है। पासपोर्ट ऑफिस के अधिकारियों ने भी कॉपी पेस्ट कर दिया। खुद से कोई संज्ञान नहीं लिया और आखिर में पासपोर्ट आवेदन रिजेक्ट कर दिया। अब जानिए हाईकोर्ट में किसने क्या कहा रीजनल पासपोर्ट अधिकारी: आवेदिका के पति के विरूद्ध एनडीपीएस का प्रकरण नीमच नारकोटिक्स विभाग ने कायम किया है। साथ ही उसके ससुर ड्रग तस्करी में शामिल रहे हैं। उन पर एनडीपीएस के मामले हैं। मारपीट के कई मामले थाना कोतवाली में चल रहे हैं। पुलिस की वैरिफिकेशन रिपोर्ट के अनुसार आवेदिका का फैमिली बैकग्राउंड क्रिमिनल है। ससुर निगरानी बदमाश है और कई मामलों में फरार है। इसलिए इन्हें पासपोर्ट नहीं दे सकते। एडिशनल सॉलिसिटर जनरल: एएसजी हिमांशु जोशी ने हाई कोर्ट में कहा कि याचिकाकर्ता की आपराधिक पृष्ठभूमि के कारण क्योंकि उसके पति और ससुर ड्रग्स से संबंधित मामलों में लिप्त रहे हैं, इसलिए उसे पासपोर्ट की सुविधा से भी वंचित किया जाता है। हालांकि, उन्होंने माना कि याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई आपराधिक मामला दर्ज नहीं है। आवेदक बोला- पढ़ाई के लिए जाना चाहता था विदेश: मोहम्मद वाजिब ने कोर्ट में कहा-आज मेरी उम्र 27 साल है। पहली बार जब पासपोर्ट के लिए आवेदन किया तब मैं 22 साल का था। कोर्ट में याचिका चल रही थी उस समय में लॉ का स्टूडेंट था। दो साल पहले वकालत की पढ़ाई पूरी हो चुकी है। अब मैं एडवोकेट बन गया हूं। फिर भी मुझे पासपोर्ट नहीं दिया गया। वाजिब ने कहा कि पासपोर्ट पढ़ाई के लिए चाहिए था। एलएलबी के बाद एलएलएम की पढ़ाई किंग्स कॉलेज लंदन से करने का प्लान था। पासपोर्ट नहीं देने के कारण एलएलएम पढ़ाई की आगे की प्रोसेस रुक गई। 2019 में इसलिए आवेदन किया था ताकि 2022 तक लॉ की पढ़ाई पूरी हो जाएगी तो आगे की पढ़ाई के लिए विदेश चला जाऊंगा। अब 5 पॉइंट में जानिए हाई कोर्ट ने क्या फैसला दिया है मामले की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट इंदौर ने 7 नवंबर को फैसला सुनाया। इसमें कहा – पूर्व में अदालत द्वारा पारित आदेश का सही मायने में पालन नहीं किया और लापरवाह तरीके से विवादित आदेश पारित कर दिया। जिसमें पासपोर्ट आवेदन रिजेक्ट हुआ है। कोर्ट ने निष्कर्ष निकाला कि परिवार के सदस्यों के आपराधिक इतिहास के आधार पर याचिकाकर्ता का आवेदन खारिज करना वाला विवादित आदेश कानून की नजर में बरकरार नहीं रखा जा सकता। दोबारा लगी याचिका पर हाई कोर्ट ने सुनवाई के बाद पुलिस अधिकारियों की रिपोर्ट और पासपोर्ट ऑफिस के अफसरों के ऑर्डर को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने प्रतिवादियों जिसमें यूनियन ऑफ इंडिया सहित अन्य शामिल हैं उन्हें याचिकाकर्ता के मामले का पुनर्मूल्यांकन करने और कानून के अनुसार उचित आदेश पारित करने के निर्देश दिए। कोर्ट ने डायरेक्शन दिए है कि 6 हफ्ते के अंदर सभी कार्यवाही पूरी कर इन्हें सबसे पहले पासपोर्ट दिया जाए। क्या कहना है जिम्मेदारों का एसपी बोले- मामला मेरे संज्ञान में नहीं भास्कर से बात करते हुए मंदसौर एसपी अभिषेक आनंद ने कहा कि फरजाना बानो और उनके बेटे मो.वाजिब के पासपोर्ट का आवेदन पुलिस वैरिफिकेशन की नेगेटिव रिपोर्ट की वजह से खारिज हुआ है। पुलिस ने दो बार नेगेटिव वैरिफिकेशन रिपोर्ट दी है, ये मुझे पता नहीं है। पुलिस क्लियर रिपोर्ट दे, हम पासपोर्ट इश्यू कर देते हैं क्षेत्रीय पासपोर्ट अधिकारी शीतांशु चौरसिया ने भास्कर से बात करते हुए कहा कि इस केस के बारे में मुझे जानकारी नहीं है। यदि किसी को पासपोर्ट नहीं देना है तो उस संबंध में पुलिस ही एडवर्स रिपोर्ट देती है। वो एमपी पुलिस के पार्ट पर होता है। अगर पुलिस ने रिपोर्ट क्लियर दे दी तो हम पासपोर्ट इश्यू कर देते हैं। पुलिस ने कहा है कि इन्हें पासपोर्ट नहीं देना है तो फिर कोर्ट का आदेश लगता है। ये तो पुलिस ही बता सकती है कि उन्होंने एडवर्स रिपोर्ट क्यों दी। जैसा आप बता रहे हैं कि कोर्ट ने डायरेक्शन दिए है तो पासपोर्ट मिल जाएगा, लेकिन मैं संबंधित केस के बारे में बात नहीं कर रहा हूं, क्योंकि मुझे इस केस के बारे में पता नहीं है।