खोजी पत्रकार और सिनेमा लेखक स्व. राजकुमार केसवानी के स्मरण दिवस पर मंगलवार को माधवराव सप्रे स्मृति समाचार पत्र संग्रहालय और शोध संस्थान में ‘आपस की बात’ कार्यक्रम आयोजित होगा। इस अवसर पर लेखक और निर्देशक रूमी जाफरी, फिल्म अभिनेता राजीव वर्मा, और बॉलीवुड डायरेक्टर पंकज पाराशर मौजूद रहेंगे। बता दें कि राजकुमार केसवानी भोपाल गैस त्रासदी को दुनिया के सामने लाने वाले पहले पत्रकार थे और इसी गैस कांड की रिपोर्टिंग ने उन्हें दुनियाभर में मशहूर किया। निधि कुलपति को मिलेगा राजकुमार केसवानी सम्मान इस साल टीवी पत्रकार निधि कुलपति को राजकुमार केसवानी सम्मान प्रदान किया जाएगा। सम्मान में 1 लाख रुपये, प्रशस्ति पत्र, और स्मृति चिह्न दिया जाएगा। 2023 में यह सम्मान पत्रकार और जेल सुधार कार्यों के लिए डॉ. वर्तिका नंदा को दिया गया था। ‘आपस की बात’ कॉलम को मिली थी बड़ी लोकप्रियता संग्रहालय के संस्थापक विजय दत्त श्रीधर ने कहा कि केसवानी विलक्षण पत्रकार थे। उन्होंने भोपाल गैस त्रासदी से ढाई साल पहले इसके खतरों का खुलासा किया था। लाखों पाठक केसवानी की फिल्मी लेखन की विशिष्ट शैली के कारण उनके मुरीद थे। दैनिक भास्कर के संपादक रहे केसवानी का कॉलम ‘आपस की बात’ बेहद लोकप्रिय था। उन्होंने दैनिक भास्कर में कई दशकों तक मशहूर कॉलम ‘आपस की बात’ लिखा। वे 2003 में दैनिक भास्कर इंदौर के रेसिडेंट एडिटर बने थे और उसके बाद 2004 से 2010 तक भास्कर की मैगजीन रसरंग के संपादक भी रहे। केसवानी ने दुर्घटना के ढाई साल पहले जताई थी भोपाल गैस कांड की आशंका वरिष्ठ पत्रकार एनके सिंह ने बताया कि राजकुमार केसवानी उनके अच्छे मित्र थे, जिन्हें वे पिछले 40 साल से जानते थे। केसवानी ने पहले साप्ताहिक मैगजीन ‘शहरनामा’ और साप्ताहिक अखबार ‘रपट’ का प्रकाशन किया। ‘रपट’ में उन्होंने भोपाल गैस कांड की आशंका जताते हुए ढाई साल पहले भविष्यवाणी की थी। उस समय मैं इंडियन एक्सप्रेस मध्य प्रदेश का संवाददाता था। गैस कांड को लेकर उन्होंने जनसत्ता में एक लेख लिखा था, जो काफी चर्चित हुआ था। एनके सिंह आगे कहते है- “मुझे 3 दिसंबर 1984 की गैस कांड की रात याद है। रात करीब 12:30 बजे केसवानी जी का फोन आया। उन्होंने पूछा, “शहर में कुछ हुआ है क्या? मेरा दम घुट रहा है।” उनका घर भोपाल के इतवारा इलाके में था। मैंने पुलिस कंट्रोल रूम फोन किया, लेकिन कहीं से कोई जवाब नहीं मिला। जब मैं बाहर निकला, तो देखा कि सड़क पर लोग भाग रहे थे। कुछ देर में मेरी भी आंखों में जलन होने लगी। पूछने पर कुछ लोगों ने बताया कि यूनियन कार्बाइड संयंत्र की गैस की टंकी फट गई है। यह एक अद्भुत संयोग था कि केसवानी जी ने गैस कांड के खतरों को लेकर सबसे पहले लिखा था और उस रात की घटना की जानकारी मुझे ही सबसे पहले दी थी। गीतकार इरशाद कामिल नहीं हो रहे कार्यक्रम में शामिल इस कार्यक्रम में गीतकार इरशाद कामिल भी शामिल होने वाले थे, लेकिन किन्हीं कारणों से वह अब इसमें भाग नहीं ले पा रहे हैं। उनकी जगह अब पंकज पाराशर इस कार्यक्रम में शामिल होंगे। इरशाद कामिल ने दैनिक भास्कर से खास बातचीत में पत्रकार राजकुमार केसवानी को याद करते हुए एक दिलचस्प किस्सा सुनाया: “एक कमरा है, कमरे में अंधेरा है और एक तिकोना टेबल है। टेबल के ऊपर लैंप जल रहा है और वहां कोई शख्स बैठा हुआ है। वह खिड़की से बाहर देख रहा है और कुछ सोच रहा है। एक वक्त के बाद फोन बजता है। वह अपने ध्यान में मग्न फोन उठा लेता है, बिना यह देखे या सोचे कि किसका फोन होगा। हेलो… क्या कर रहे हो?
सोच रहा हूं।
सोचना क्या होता है?
किसी के पास जवाब नहीं है। यह मैं हूं और सवाल करने वाले हैं राजकुमार केसवानी साहब। मैंने कहा, ‘कभी सोचा नहीं कि सोचना क्या होता है।’ वे बोले, ‘फिर तुम लेखक कैसे बन गए?’ मैंने कहा, ‘कभी यह भी नहीं सोचा कि लेखक क्या होता है।’ वे बोले, ‘तो फिर लिखने क्यों लगे?’ मैंने कहा, ‘दिल किया।’” पढ़ें पूरी खबर…