संविधान दिवस आज: ग्वालियर में है कॉन्स्टिट्यूशन की मूल कॉपी:साल में सिर्फ 3 दिन कर सकते हैं दर्शन, सेंट्रल लाइब्रेरी में आज देखें

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क्या आप जानते हैं कि 26 नवंबर 1949 को जब भारतीय संविधान तैयार हुआ, तो इसकी 16 मूल हस्तलिखित प्रतियां बनाई गईं। इनमें से एक मूल काॅपी ग्वालियर के सिंधिया राजवंश को भेंट की गई थी। संविधान की वही मूल प्रति आज भी ग्वालियर में सुरक्षित है। संविधान की मूल प्रति को ग्वालियर के महाराज बाड़ा स्थित सेन्ट्रल लाइब्रेरी में सुरक्षित रखा गया है। भारतीय संविधान के बारे में हम सभी ने पढ़ा है और इसके महत्व को समझते हैं, लेकिन जिस पुस्तक में संविधान के नियम और कर्तव्य लिखे गए हैं, उसे बहुत कम लोगों ने देखा होगा। सेंट्रल लाइब्रेरी में रखी यह मूल प्रति भारतीय इतिहास का अनमोल दस्तावेज़ है। ऐसे में आज संविधान दिवस के मौके पर जानिए इस मूल प्रति के बारे… संविधान लागू होते समय मिली थी मूलप्रति 26 नवंबर 1949 में जब भारत का संविधान तैयार हुआ था, उस संविधान की हाथ से लिखी एक मूल प्रति की कॉपी ग्वालियर की सेंट्रल लाइब्रेरी में रखी हुई है। संविधान की इस प्रति में देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद और प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू सहित संविधान सभा के सदस्यों के हस्ताक्षर हैं। संविधान लागू होने के समय देशभर में कुल 16 मूल प्रतियां जारी की गई थीं। भारत सरकार ने एक मूल प्रति सिंधिया राजवंश को भी दी थी। लाइब्रेरी में रखी यह प्रति वही मूल कॉपी है, जो सिंधिया राजवंश ने सेन्ट्रल लाइब्रेरी को दी थी। साल में सिर्फ 3 दिन कर सकते है मूल प्रति का दर्शन दैनिक भास्कर से बात करते हुए सेंट्रल लाइब्रेरी के प्रबंधक विवेक कुमार सोनी ने बताया कि दो साल पहले तक संविधान की ऐतिहासिक मूल प्रति को पुस्तकालय में आने वाले लोग छूकर और उसके पन्ने पलटकर देख सकते थे। हालांकि, सुरक्षा कारणों से अब यह सीधे प्रदर्शित नहीं की जाती। इसे एक डिजिटल फॉर्मेट में बड़ी LED स्क्रीन पर दिखाया जाता है। विशेष अवसरों पर, जैसे 26 नवंबर (संविधान दिवस), 25 जनवरी और 14 अगस्त को, इसे आम जनता के लिए प्रदर्शित किया जाता है। संविधान में लिखे शब्द और स्याही आज भी लगती है सजीव सेंट्रल लाइब्रेरी के प्रबंधक विवेक सोनी बताते हैं कि आज भी इस हस्तलिखित संविधान की किताब में लिखे अक्षरों को पढ़ा जा सकता है। जिस स्याही से यह अक्षर गढ़े गए हैं, वह आज भी सजीव लगती है, जैसे कल ही लिखी गई हो। संविधान के अंदर विभिन्न नियमों और कर्तव्यों को समझाने के लिए कई प्रकार के चित्रों का भी प्रयोग किया गया है। प्रबंधक विवेक कुमार सोनी के अनुसार, ऐसा माना जाता है कि इस संविधान को लिखने के लिए जिस कागज का उपयोग किया गया है, उससे यह प्रति एक हजार साल तक सुरक्षित रह सकती है। संविधान की मूल प्रति देखने ऐसे आएं ग्वालियर देश में संविधान निर्माण और संविधान सभा में पारित होने के बाद 26 जनवरी 1950 को लागू होने के ऐतिहासिक क्षण के रूप में हस्त लिखित संविधान की 16 मूल कॉपी तैयार की गई थीं। यदि आपको यह ऐतिहासिक प्रति को देखना है या देखना चाहते हैं तो आपको ग्वालियर के महाराज बाड़ा पहुंचना होगा। जहां सेन्ट्रल लाइब्रेरी जाकर आप संविधान की इस पुस्तक को देख सकते हैं। साथ ही इस पर लिखें अक्षरों को पढ़ सकते हैं। साल 1956 में यह संविधान की प्रति यहां लाई गई थी सेंट्रल लाइब्रेरी के प्रबंधक विवेक कुमार सोनी ने बताया कि 1956 में संविधान की यह प्रति सेंट्रल लाइब्रेरी लाई गई थी। 16 प्रतियों में से यह एक प्रति है, जो सेंट्रल लाइब्रेरी में सुरक्षित है। हम संविधान दिवस, 14 अगस्त और 25 जनवरी को आम जनता को देखने के लिए इसे बाहर प्रदर्शित करते हैं। संविधान की प्रति को देखने के लिए इतना उत्साह रहता है कि शहर के लोगों के साथ-साथ अन्य जिलों से भी लोग इसे देखने आते हैं। संविधान में कई संशोधन हो चुके हैं। हाल में महिला आरक्षण को लेकर संशोधन हुआ है। प्रबंधक का कहना है कि ग्वालियर एक बहुत बड़ी रियासत रही है। संविधान की इस प्रति में 256 संविधान सदस्यों के हस्ताक्षर मौजूद हैं, जिनमें डॉ. राजेंद्र प्रसाद, जवाहरलाल नेहरू, बाबा भीमराव अंबेडकर सहित अन्य विभूतियों के हस्ताक्षर शामिल हैं।