विदिशा जिला अस्पताल में पोस्टमार्टम की प्रक्रिया ठप पड़ी हुई है। कर्मचारियों की कमी के कारण शवों को पीएम के लिए मेडिकल कॉलेज भेजा जा रहा है। जिला अस्पताल में 16 नवंबर से अब तक कोई भी पोस्टमार्टम नहीं हुआ है। दरअसल अस्पताल में तैनात स्वीपर मूलचंद वाल्मीकि को लकवा का अटैक आने के बाद वे भोपाल में भर्ती रहे, जबकि स्थाई कर्मचारी रामप्रसाद वाल्मीकि की हृदय गति रुकने से मौत हो गई। एक अस्थाई कर्मचारी बबलू वाल्मीकि भी पीएम कार्य में सहयोग करता था, लेकिन 16 नवंबर को पीएम के बाद वह गिरकर घायल हो गया और उसका हाथ फ्रैक्चर हो गया। इस काम के लिए तैयार नहीं कर्मचारी
जानकारी के अनुसार मेडिकल कॉलेज के बजाय शवों का पीएम जिला अस्पताल में न होने के कारण, मृतक कर्मचारियों के शवों का पीएम भी अब मेडिकल कॉलेज में ही किया गया। अब अस्पताल में बबलू वाल्मीकि के साथ एक अन्य अस्थाई कर्मचारी को भी पोस्टमार्टम कार्य के लिए तैनात करने की योजना है, लेकिन वो कर्मचारी इस कार्य के लिए इच्छुक नहीं है। सफाई की कमी और सुरक्षा की समस्या
अस्पताल में गंदगी भी एक गंभीर समस्या बन गई है। पीएम रूम के बाहर पिछले दो साल से गंदगी का अंबार पड़ा हुआ था, जिससे बबलू वाल्मीकि घायल हुए थे। अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही के चलते सफाई की ये स्थिति बनी है, जो कर्मचारियों के स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए खतरा बन रही है। कर्मचारियों की कमी से पोस्टमार्टम में समस्या
जिला अस्पताल के आरएमओ डॉक्टर पीसी मांझी ने बताया कि आउटसोर्स कर्मचारी बबलू वाल्मीकि के हाथ में फ्रैक्चर था, जिसे रविवार को ठीक कराया गया। इसके बाद उनके माध्यम से लंबे समय बाद पहला डीएनए टेस्ट करवाया गया। इसके अलावा अर्जुन नामक एक व्यक्ति को भी आउटसोर्स के तहत तैनात किया गया है। हालांकि आउटसोर्स कर्मचारियों की स्थिति अस्थिर है, क्योंकि ये कर्मचारी ठेकेदार और कंपनी से जुड़े हुए हैं। अगर कंपनी बदलती है तो इन कर्मचारियों की तैनाती भी बदल सकती है या उन्हें हटा दिया जाएगा। इस कारण अस्पताल में पोस्टमार्टम की प्रक्रिया में फिर से समस्या हो सकती है। इस दौरान पोस्टमार्टम करने वाले कर्मचारियों की कमी के कारण शवों को मेडिकल कॉलेज रेफर करने की प्रक्रिया लगातार जारी है।