मंडला में क्रांतिवीर स्मृति दिवस पर आयोजन:1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के शहीदों की याद में निकाला गया मशाल जुलूस

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प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के दौरान शहीद हुए मंडला जिले के क्रांतिकारियों को श्रद्धांजलि अर्पित करने के उद्देश्य से रविवार को क्रांतिवीर स्मृति दिवस कार्यक्रम का आयोजन किया गया। स्थानीय बड़ चौराहे में स्थित बरगद के वृक्ष में अनेकों क्रांतिकारियों को फांसी की सजा दी गई थी। अंग्रेजों ने 24 नवंबर 1857 को तो इस वृक्ष में एक साथ 21 क्रांतिकारियों को फांसी दे दी थी। ऐसे सभी गुमनाम क्रांतिकारियों के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने के उद्देश्य से रानी अवंति बाई स्मारक से बड़ चौराहे तक मशाल जुलूस निकाला गया और बड़ चौराहे में दीप प्रज्वलित कर सभी क्रांतिवीरों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। गुमनाम क्रांतिकारियों की होगी पहचान कार्यक्रम में पीएचई मंत्री संपतिया उइके शामिल हुईं। उन्होंने रानी अवंति बाई स्मारक में दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम की शुरुआत की और मशाल को थाम कर जुलूस का नेतृत्व किया। मुख्य मार्ग से होता हुआ जुलूस बड़ चौराहे पर पहुंचा। यहाँ सभी ने पुष्पांजलि अर्पित कर दीप प्रज्वलित किया। इस दौरान मंत्री संपतिया उईके ने गुमनाम क्रांतिकारियों की पहचान के लिए शासन स्तर पर प्रयास किये जाने और इस बरगद के वृक्ष की शाखा से पौधे तैयार कर जिले के गांव-गांव तक रोपित किये जाने की बात कही। राष्ट्रहित के लिए कार्य करना ही बलिदानियों को सच्ची श्रद्धांजलि कार्यक्रम के दौरान रामेश्वर अग्रवाल ने मुख्यवक्ता के तौर पर क्रांतिवीरों के शौर्य और पराक्रम की चर्चा की। उन्होंने स्वाधीनता की कीमत को समझ कर राष्ट्रहित के लिए कार्य कर बलिदानियों को सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित करने का आवाहन किया। आने वाली पीढ़ी समझे स्वाधीनता की कीमत कार्यक्रम के संयोजक विवेक अग्निहोत्री ने बताया कि इतिहासकारों का मानना है कि 24 नवंबर 1857 को बरगद के इस पेड़ पर एक साथ 21 क्रांतिकारियों को फांसी दी गई थी। दुःख की बात है कि इन बलिदानियों के नाम इतिहास में दर्ज नहीं है। कार्यक्रम के माध्यम से 1857 के संग्राम में जिले वासियों के पराक्रम और बलिदान की कहानी का स्मरण किया गया। जिससे आने वाली पीढ़ी क्रांतिकारियों को याद कर स्वाधीनता की कीमत समझ सके।