दमोह शहर के मानस भवन में शनिवार दोपहर स्कूली बच्चों के लिए कलेक्टर सुधीर कोचर ने मोटिवेशनल स्पीच कार्यक्रम आयोजित किया। इसमें कक्षा दसवीं से 12वीं के छात्र-छात्राओं को बुलाया गया। कार्यक्रम में जिला सत्र न्यायाधीश आनंद तिवारी, एसपी श्रुत कीर्ति सोमवंशी और कलेक्टर सुधीर गोचर ने बच्चों को भविष्य में आगे बढ़ाने के गुर सिखाए और उनके सवालों के जवाब भी दिए। जज ने कहा- जीवन में सकारात्मक सोच अपनाएं जिला न्यायाधीश आनंद तिवारी ने बच्चों को एक पानी की बोतल से उदाहरण देकर समझाया कि बोतल को देखकर आप इसे कह सकते हैं कि ये आधी भरी है या आधी खाली है। यह आपकी सोच पर निर्भर करता है। उन्होंने बताया कि सकारात्मक सोच इस बोतल को आधा भरा बताएगी और नकारात्मक सोच इस बोतल को आधा खाली बताएगी। आप सभी को यह ध्यान रखना होगा कि अपने जीवन में सकारात्मक सोच अपनाएं। कलेक्टर बोले- आपको पहले से तय करना होगा कि क्या करना है? कलेक्टर सुधीर कोचर ने कहा कि यही सही समय है। जब आप अपने भविष्य की इबारत लिख सकते हैं। उन्होंने कहा कि आपको पहले से तय करना होगा कि आपको क्या करना है? केवल परीक्षा में मेरिट में आकर आप कुछ अच्छा नहीं कर सकते। आपको सीखने की जरूरत है। ऐसा न हो कि आप किसी दिखावे में या किसी दूसरे की बातों में आकर या किसी वीडियो को देखकर आप कुछ भी बनने की बात कर लें और अपने अभिभावकों को परेशान करने लगे। आपको जीवन में जो भी करना है। पहले आप तय कीजिए कि वह किया कैसे जा सकता है? उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि जब वह स्कूलों में बच्चों से बात करते हैं तो ज्यादातर बच्चे कलेक्टर बनने की बात करते हैं। लेकिन जब हम उनसे पूछते हैं कि कलेक्टर आप कैसे बनेंगे? क्या तैयारी की है? तो उन्हें यह भी पता नहीं होता कि इसकी प्रतियोगी परीक्षा कैसे होती है? उन्होंने छात्रों से कहा कि यदि आपको किसी प्रतियोगी परीक्षा में शामिल होना है तो उसके लिए पहले आपको उसके सिलेबस और अनसोल्ड पेपर के बारे में जानना होगा। उसी से आप तय कर पाएंगे कि आप इस परीक्षा में पास हो सकते हैं या नहीं।? उन्होंने कहा कि यही सही समय है। इसके बाद समय आने वाला नहीं, यदि समय निकल जाएगा तो वापस फिर कभी नहीं आएगा। एसपी ने बच्चों को बताया टाइम मैनेजमेंट कैसे करें? एसपी सोमवंशी ने कहा कि ज्यादातर बच्चे अपना समय मोबाइल में निकाल देते हैं। वह भी बिना काम की चीज देखने में। यदि आप मोबाइल का उपयोग कर भी रहे हैं तो आपको अपने काम की चीज देखनी चाहिए। रील देखने से कुछ भी अच्छा नहीं होने वाला। आपको एक समय निश्चित करना होगा या आप दिन में केवल 1 घंटे या आधा घंटे अपने मोबाइल से मनोरंजन करेंगे। बाकी समय आप पढ़ाई में दीजिए, क्योंकि यदि इस समय आपने अपनी तैयारी नहीं की तो आने वाला समय आपके लिए कठिनाइयों से भरा होगा और फिर आप केवल बैठकर सोचेंगे कि हम उस समय यदि अपने आप को सिद्धांतों में बांध लेते तो हमारा जीवन कुछ और बेहतर हो सकता था।