एमपी की विजयपुर विधानसभा सीट से 2023 में कांग्रेस के टिकट पर 18 हजार वोटों से जीतने वाले रामनिवास रावत भाजपा के टिकट पर 7364 वोटों से चुनाव हार गए हैं। उन्होंने 30 अप्रैल 2024 को बीजेपी जॉइन की थी। तीन महीने बाद 8 जुलाई को कैबिनेट मंत्री बने। 10 जुलाई को विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देकर उपचुनाव लड़ा था। चुनाव से पहले सरकार ने विजयपुर विधानसभा में 400 करोड़ रुपए के विकास कार्य करवाए। सिंधिया को छोड़कर बीजेपी के बड़े नेता और सरकार के मंत्री विजयपुर में डेरा डाले रहे, लेकिन आदिवासी वोटर्स की नाराजगी में ये सब धरा का धरा रह गया। वहीं, बुधनी में भी शिवराज के जाते ही बीजेपी का जादू कम होता दिखा। एक लाख वोटों से जीतने वाले शिवराज के मिस्टर भरोसेमंद रमाकांत भार्गव की जीत का अंतर 10 फीसदी से भी कम आकर टिक गया। इन दोनों सीटों के नतीजों से बीजेपी और कांग्रेस की सियासत पर क्या असर पड़ेगा। पहले विजयपुर विधानसभा सीट की बात…. 1. तोमर ने संभाली कमान, सिंधिया नहीं गए
विजयपुर उपचुनाव की कमान विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर ने संभाली थी। ग्वालियर-चंबल की राजनीति का चेहरा कहे जाने वाले केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया इस उपचुनाव में एक बार भी प्रचार के लिए नहीं पहुंचे। जबकि, स्टार प्रचारकों की लिस्ट में 6वें नंबर पर उनका नाम शामिल था। बीजेपी के सूत्रों का कहना है कि रावत जब बीजेपी में शामिल हो रहे तब सिंधिया से इस बारे में कोई सलाह मशविरा नहीं किया था, क्योंकि लोकसभा चुनाव के दौरान नरेंद्र सिंह तोमर ने रावत की बीजेपी में एंट्री कराई थी। 2. रावत को मंत्री बनाने से बीजेपी के कई नेता नाराज
रामनिवास रावत के बीजेपी जॉइन करने के बाद विजयपुर में उनके खिलाफ चुनाव लड़ने वाले बाबूलाल मेवाड़ और सीताराम दोनों नेताओं की नाराजगी सामने आई थी। पार्टी ने सीताराम को सहरिया विकास प्राधिकरण का उपाध्यक्ष बनाकर साधा, तो मेवाड़ को राजनीतिक पद देने का भरोसा दिया। दूसरी तरफ अजय विश्नोई जैसे वरिष्ठ नेताओं ने भी रावत को मंत्री बनाए जाने पर नाराजगी जाहिर की थी। विश्नोई ने कहा था कि वो शर्तों के साथ ही बीजेपी में शामिल होते हैं, हम तो समर्पण भाव से काम करने वाले नेता हैं। 3. आदिवासियों को नहीं साध पाई बीजेपी
विजयपुर में आदिवासी वोटर्स की संख्या करीब 60 हजार हैं। ये यहां के निर्णायक मतदाता है। जानकार कहते हैं कि जब रामनिवास रावत कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ते थे तब उन्हें आदिवासियों का सपोर्ट मिलता रहा है, लेकिन इस बार कांग्रेस की तरफ से ही आदिवासी चेहरा मैदान में था। जाहिर तौर पर आदिवासी वोटर्स का रुझान कांग्रेस की तरफ था। जिस तरह से वोटिंग के दौरान आदिवासी गांवों में घटनाएं हुईं, उसका भी असर हुआ। इससे पहले भी कांग्रेस में रहते हुए रामनिवास के सामने बीजेपी ने आदिवासी चेहरे को टिकट दिया तो उनकी जीत का मार्जिन कम हुआ था। 2018 का चुनाव वे बीजेपी के सीताराम आदिवासी से हार गए थे। 4. वोटर्स का रुझान दल-बदलू चेहरे के खिलाफ
विजयपुर से पहले छिंदवाड़ा जिले की अमरवाड़ा सीट पर भी उपचुनाव हुआ था। वह भी आदिवासी बाहुल्य सीट है। मगर, गोंडवाना गणतंत्र पार्टी की वजह से यहां बीजेपी जीतने में कामयाब रही। विजयपुर में मल्होत्रा के अलावा कोई और प्रभावी चेहरा मैदान में नहीं था। कांग्रेस ने भी इस बात का पुरजोर तरीके से प्रचार किया कि शिवराज के केंद्रीय मंत्री बनने से बुधनी सीट खाली हुई जबकि रावत ने अपने व्यक्तिगत फायदे और मंत्री पद हासिल करने के लिए विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दिया, जिसकी कोई जरूरत नहीं थी। 5. विजयपुर कांग्रेस की परंपरागत सीट, रावत की नहीं
विजयपुर उपचुनाव के नतीजे से साफ हो गया कि ये कांग्रेस की परंपरागत सीट है न कि रामनिवास रावत की। कांग्रेस के नेता पहले ही दिन से यहां एकजुट नजर आए। पार्टी के 12 विधायक यहां सक्रिय रहे। कांग्रेस की तरफ से मुरैना लोकसभा सीट का चुनाव लड़े नीटू सिकरवार ने पूरी कमान संभाली थी। उनकी टीम ने पिछले एक महीने से विजयपुर में डेरा डाला हुआ था। दरअसल, लोकसभा चुनाव के दौरान रावत के बीजेपी में जाने से सिकरवार को नुकसान हुआ था। एक्सपर्ट बोले- कांग्रेस को ताकत मिलेगी, बीजेपी को झटका
विजयपुर की हार को लेकर वरिष्ठ पत्रकार रशीद किदवई का कहना है कि इस जीत से कांग्रेस को ताकत मिलेगी। जिस तरह से कांग्रेस की प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक में प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी भावुक हो गए थे, इस जीत ने उनके आंसू पोंछने का काम किया है। हाईकमान की नजर में भी पटवारी की पूछ परख बढ़ेगी। बीजेपी क्यों हारी इसकी वजह बताते हुए किदवई कहते हैं कि बीजेपी अति आत्मविश्वास की वजह से हारी। रामनिवास रावत बीजेपी में शामिल हुए और उन्हें मंत्री बना दिया। पार्टी को लगा कि बाकी चुनाव की तरह वह आसानी से चुनाव जीत जाएगी। सरकार को एक साल पूरे होने जा रहे हैं ऐसे में ये उसके लिए किसी झटके से कम नहीं है। वहीं नरेंद्र सिंह तोमर जो रावत को पार्टी में लेकर आए थे और उनके प्रचार की कमान भी उन्होंने ही संभाली थी, दिल्ली के सत्ता के गलियारों में उनकी पूछ परख कम होगी। ये खबर भी पढ़ें… कांग्रेस से भाजपा में आकर मंत्री बने रावत हारे:विजयपुर में 7 हजार वोटों से मात, री-काउंटिंग की मांग
कांग्रेस से भाजपा में आकर सरकार में वन मंत्री बने रामनिवास रावत विजयपुर सीट से उपचुनाव हार गए हैं। यहां कांग्रेस के मुकेश मल्होत्रा ने सात हजार से ज्यादा वोटों से जीत दर्ज की है। रावत 16वें राउंड तक आगे थे। भाजपा ने री-काउंटिंग की मांग करते हुए निर्वाचन अधिकारियों को आवेदन दिया है। पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें…