मार्कफेड के गोदाम में घुसे किसान, खाली पड़ा था:सुबह से हाथ में टोकन लेकर चक्कर लगाते रहे, नहीं मिली डीएपी

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मुरैना की कृषि उपज मंडी स्थित खाद के मार्कफेड गोदाम में सोमवार को खाद के लिए किसानों की लंबी लाइन लगी रही। डीएपी खाद का संकट इतना गहरा है कि यहां सिर्फ पुरुष नहीं बल्कि घर की महिलाएं और बच्चे तक खाद के लाइन में लगे रहे। सैकड़ों की संख्या में किसान हाथों में पर्ची लेकर घूमते रहे लेकिन लेकिन डीएपी नहीं मिला। मुरैना के इमलिया गांव निवासी किसान रावरन सिंह अपने हाथ में 4 नवंबर को खाद के टोकन (पर्ची) को लेकर मंडी प्रांगण में घूमते रहे, लेकिन उनको आज (18 नवंबर) तक डीएपी खाद नहीं मिली है। यही हाल बड़ागांव निवासी दुर्गेश राठौर का है, जिन्हें 12 नवंबर का डीएपी खाद का टोकन दिया, लेकिन आज तक डीएपी नहीं मिली है। यह दो किसान तो उदाहरण मात्र हैं, ऐसे सैकड़ों किसान हैं जो सोमवार को मंडी पहुंचे लेकिन डीएपी नहीं मिली। जब किसानों के सब्र का बांध टूट गया को वो मार्कफेड के गोदमों में घुस गए लेकिन एक गोदाम बिल्कुल खाली था और दूसरे गोदाम में यूरिया खाद रखी थी। सुबह 4 बजे से लाइन में लगे थे किसान दैनिक भास्कर की टीम सोमवार को जब मार्कफेड गोदाम पर पहुंची तो देखा कि वह महिलाओं और पुरुषों की लंबी-लंबी लाइन लगी हैं। यह लोग सुबह 4 बजे से ही डीएपी खाद के लिए लाइनों में लग गए थे। हालांकि, सुबह साढ़े दस बजे तक उन्हें लाइन में लगे होने के बावजूद खाद नहीं मिला। अंत में जब सब्र का बांध टूटा तो किसान मार्कफेड के दोनों गोदामों में घुस गए, लेकिन एक गोदाम बिल्कुल खाली था और दूसरे गोदाम में डीएपी की जगह यूरिया खाद रखी थी। किसानों को निराशा हाथ लगी। अपना स्कूल छोड़कर लाइन में लगीं छात्राएं 12वीं कक्षा की छात्रा अंजली अपनी मां के साथ डीएपी के लिए लाइन में लगी थी। जब उससे पूछा कि स्कूल क्यों नहीं गईं, इस साल तो तुम्हारे बोर्ड के इम्तहान हैं? इसके जवाब में वह बोली कि मजबूरी है। पूछने पर उसने बताया कि वह पिछले 15 दिन से लगातार डीएपी लेने लाइन में लग रही है, लेकिन अभी तक हाथ खाली है। उसके साथ में उसकी सहेली शिवानी, जो कि जतावर गांव से आई थी, उसने बताया कि वह भी अंजली के साथ पढ़ती है लेकिन मजबूरी में यहां आना पड़ता है। घर का काम छोड़कर लाइन में लगे गोलेका पुरा निवासी महिला ऊषा ने बताया कि वह अपने घर का कामकाज छोड़कर डीएपी के लिए लाइन में लगी हैं। पिछले एक माह से वह लगातार यहां आ रही है, लेकिन उन्हें खाद नहीं मिला है। उन्हें भी 4 नवंबर की पर्ची दी गई थी, लेकिन आज तक डीएपी के दर्शन नहीं हुए हैं। उसने बताया कि वह हर दिन अपना किराया खर्च करके आ रही हैं लेकिन हर बार उन्हें निराश होकर वापस लौटना पड़ता है। पांच पर्चियां मिल चुकीं लेकिन डीएपी नहीं मिली किसान प्रेम कुमार निवासी लोहरिया ने बताया कि उनके पास पांच पर्चियां एकत्रित हो गईं, लेकिन अभी तक डीएपी नहीं मिली है। हर बार पर्ची थमा दी जाती है और जिस दिन की पर्ची होती है, उस दिन आने पर खाली हाथ लौटना पड़ता है। यही हाल मुंगावली गांव निवासी बुजुर्ग सोवरन सिंह का हैं। उन्होंने बताया कि उनके पास पांच पर्चियां रखी हुई हैं। हर बार उन्हें एक नई पर्ची थमा दी जाती है, लेकिन आज 18 तारीख हो गई उन्हें डीएपी की एक बोरी तक नहीं मिली है। खेतों में बोवनी प्रभावित, बिना डीएपी के बर्बाद होगी फसल किसानों ने बताया कि उनके बोवनी का समय चल रहा है। इस समय डीएपी खाद की बहुत जरूरत है। अगर उन्हें डीएपी नहीं मिली तो उनकी बोवनी नहीं हो सकेगी जिससे उनकी फसल बर्बाद हो जाएगी। किसान ने बताया ट्रक और कंटेनर में भरकर आई थी डीएपी किसान श्रीकृष्ण ग्राम टिकटौली ने बताया क बीती रात 10 बजे वह मार्कफेड के गोदाम के पास आया था। वह यह सोचकर आया था कि वह लाइन में लग जाएगा। उसने देखा कि दो ट्रक वहां खड़े थे जिनमें एक कंटेनर था और दूसरा ट्राला था। दोनों खाद से भरे हुए थे। बाद में दोनों यहां से चले गए। अधिकारी बोले- खाद की कोई कमी नहीं आने दी जाएगी मुरैना के अपर कलेक्टर सीबी प्रसाद ने कहा कि डीएपी खाद की कमी है लेकिन उसे भी पूरा कर रहे हैं। यूरिया खाद मौजूद है जिसे बांटा जा रहा है। खाद की कोई कमी नहीं आने दी जाएगी। तस्वीरों में देखिए किसानों का हाल-