बैतूल के जंगलों में साल 1930 के दौरान हुए जंगल सत्याग्रह की पृष्ठभूमि पर बनी फिल्म जंगल सत्याग्रह का रविवार को प्रीमियर शो आयोजित किया जाएगा। फिल्म में इस सत्याग्रह के मुख्य किरदार सरदार गंजन सिंह कोरकू समेत बैतूल के अन्य आदिवासी स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की भूमिका को चित्रित किया गया है। 2021 में से बन रही थी। फिल्म के लेखक, निर्देशक, निर्माता डॉ. प्रदीप उइके ने बताया कि फिल्म 1930 की घटना पर आधारित है। जो की एक सच्ची घटना है। फिल्म मे मुख्य रूप से सरदार गंजन सिंग, सरदार विष्णुसिंग, ठाकुर मोहकम सिंग, रामजी भाऊ, जुगरू गोंड, दीपचंद गोठी, बिहारीलाल पटेल, मनकी, सम्मो, सुमित्रा, मंशु ओझा सहित अनेक क्रांतिकारियों की भूमिका नजर आएगी। फिल्म में प्रेम, एंटरटेनमेंट, करुणा, क्रोध सभी का मिश्रण देखने मिलेगा। फिल्म का प्रीमियर 17 नवंबर को कांतिशिवा टॉकीज में होगा। जिसमें जिले के प्रभारी मंत्री नरेंद्र पटेल को आमंत्रित किया गया है। फिलहाल उनके पहुंचने की पुष्टि नहीं हुई है। नेताओं ने भी निभाई भूमिका इस फिल्म में पूर्व पीएचई मंत्री सुखदेव पांसे भी बिहारीलाल पटेल की भूमिका में नजर आएंगे। जबकि मुख्य कलाकारों में दो प्रोफेशनल कलाकारों ने अभिनय किया है। फिल्म में अधिकांशतः स्थानीय कलाकारों ने किरदार निभाएं है। रविवार को होने वाले प्रीमियर के बाद यह फिल्म करेक्शन के लिए भेजी जाएगी। इसके बाद इसे सेंसर सर्टिफिकेट के लिए भेजा जाएगा। बोर्ड के प्रमाणन के बाद निर्माता डिस्ट्रीब्यूटर से चर्चा करेंगे या फिर इसे किसी ओटीटी प्लेटफार्म को दे दिया जाएगा। इसलिए हुआ था जंगल सत्याग्रह इतिहास के जानकारों ने बताया कि मध्य प्रदेश का जंगल सत्याग्रह वर्ष 1930 में घोड़ाडोगरी क्षेत्र में आदिवासियों ने प्रारम्भ किया था। जंगल सत्याग्रह महात्मा गांधी द्वारा प्रारंभ किए गए नमक सत्याग्रह से प्रेरित था। इसका नेतृत्व डीपी मिश्रा, लाला वाजपेयी आदि नेताओं ने किया था। यह आंदोलन बैतूल, बंजारी, ढाल, छिंदवाड़ा, ओरछा, सिवनी , टूरिया, घुनघटी और हरदा के जंगलों में व्यापक रूप से हुआ। जंगल सत्याग्रह के दौरान घोड़ाडोगरी क्षेत्र के आदिवासी कंधे पर कंबल डालकर तथा हाथ में लाठी लेकर ब्रिटिश साम्राज्य को चुनौती देने हेतु गजन सिंह के नेतृत्व में जंगल से बाहर आ गए थे।