इच्छा नवमी के दिन शनिवार को महिलाओं ने व्रत रखकर शहर के अवध बिहारी मंदिर में आंवले के वृक्ष की परिक्रमा की। इस दौरान अपनी इच्छा पूर्ति के लिए विष्णु भगवान की आराधना की। साथ ही समूह में आंवले के वृक्ष की पूजा-अर्चना की। महिलाएं अपने-अपने घरों से पकवान बनाकर आंवले के वृक्ष के नीचे ले गई। भगवान विष्णु की आराधना की और पूजा के बाद सभी ने वृक्ष के नीचे बैठकर भोजन प्रसाद लिया। इच्छा नवमी की धार्मिक मान्यता अवध बिहारी मंदिर के पुजारी चंद्र प्रकाश लिटोरिया ने बताया कि इच्छा नवमी या आंवला नवमी का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है और इसे अक्षय नवमी का पर्व भी कहा जाता है। यह पर्व कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन आंवला के वृक्ष की पूजा करने से परिवार में सुख, समृद्धि और शांति आती है। जीवन से सभी कष्टों का नाश होता है। सुख-समृद्धि की कामना महिलाओं ने आंवला के पेड़ की पूजा करके अपने परिवार के सुख, समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य की कामना की। साथ ही उन्होंने समाज में भी सुख-शांति की स्थापना की आशा जताई। यह पर्व समाज में धार्मिक और सांस्कृतिक समरसता को बढ़ावा देने के लिए एक महत्पूर्ण अवसर बन चुका है।