भोपाल के तिरुपति अभिनव होम्स में चल रही संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन शुक्रवार को श्रद्धालुओं को आचार्य मधुर कृष्ण शास्त्री ने मंत्रमुग्ध कर दिया। आचार्य ने इस दिन सती चरित्र और ध्रुव चरित्र का प्रसंग सुनाते हुए भक्ति के महत्व को रेखांकित किया। कथा के दौरान आचार्य मधुर कृष्ण शास्त्री ने बताया कि कैसे दक्ष प्रजापति ने अहंकार के कारण बृहस्पति यज्ञ में भगवान शिव को स्थान नहीं दिया था और इस अंजाम से उनका पतन हुआ। आचार्य ने यह संदेश दिया कि मनुष्य को अहंकार त्याग कर, पूरी निष्ठा और निर्मलता के साथ भगवान की भक्ति करनी चाहिए। आचार्य ने ध्रुव चरित्र का वर्णन करते हुए कहा, “बालक ध्रुव की आयु केवल 5 वर्ष थी, लेकिन उन्होंने भगवान श्री हरि की भक्ति के लिए कठिन तपस्या की। भगवान स्वयं आकर ध्रुव को आशीर्वाद देने के लिए आए।” उन्होंने कहा कि भगवत भक्ति में अहंकार की कोई जगह नहीं होती, मन को पवित्र और निर्मल रखना चाहिए। इसके बाद आचार्य ने जड़ भरत की कथा सुनाते हुए कहा कि, “गुरु कृपा के बिना आत्मा का बोध नहीं होता। सद्गुरु की शरण में जाने से ही चंचल मन स्थिर होता है।” आचार्य ने भगवान के नाम की महिमा का वर्णन करते हुए कहा कि कैसे दुराचारी अजामिल ने अंत समय में अपने बेटे का नाम ‘नारायण’ लिया और संतों की कृपा से पापों से मुक्त होकर श्री हरि के धाम को चला गया। कथा के दौरान आचार्य मधुर जी के भव्य भजनों पर भक्तगण झूमते हुए अपने प्रभु के नाम में रमे नजर आए। कथा में भगवान वामन अवतार की झांकी भी प्रस्तुत की गई, जो भक्तों के लिए अत्यंत आकर्षक रही। कथा के इस अवसर पर परीक्षित गीता-श्रीकांत अवस्थी, परशुराम कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष विष्णु राजोरिया, ब्राह्मण समाज के अध्यक्ष राकेश चतुर्वेदी और अरुण द्विवेदी ने व्यासपीठ का पूजन किया। आचार्य श्रीकांत अवस्थी जी ने बताया कि आगामी शनिवार को श्री कृष्ण जन्मोत्सव और नन्द महोत्सव का आयोजन किया जाएगा, जिसमें मनमोहक झांकियों की प्रस्तुति की जाएगी।