शाजापुर कलेक्ट्रट कार्यालय परिसर में सोमवार दोपहर 12 बजे एक महिला दर्द से कराहते हुए चीख रहे थी। चार महीने पहले महिला की डिलीवरी जिला अस्पताल में हुई थी और उसके बाद से ही वह गंभीर रूप से बीमार है। परिजन उसके इलाज पर 7 से 8 लाख रुपए से ज्यादा खर्च कर चुके हैं। परिजन आज कलेक्टर को ज्ञापन देने के लिए पहुंचे थे। लेकिन कलेक्टर नहीं मिले तो परिजन बिना ज्ञापन दिए महिला का इलाज कराने भोपाल रवाना हो गए। परिजन महिला डॉ. पर लगाए लापरवाही के आरोप परिजनों ने महिला डॉ. स्मिता सिंह और आंगनवाड़ी कार्यकर्ता पर रुपए लेकर डिलीवरी में लापरवाही करने का आरोप लगाया। जिला अस्पताल में पदस्थ डॉ स्मिता सिंह को बीते दिनों शिकायत के कारण निलंबित कर दिया गया था और प्रशासन ने उनके अवैध रूप से संचालित किए जा रहे निजी क्लिनिक को भी सील कर दिया था। ये है पूरा मामला जितेन्द्र मेवाड़ा ने बताया कि मेरी पत्नी गंगा बाई को डिलीवरी के लिए 13 जुलाई को डा. स्मिता सिंह के निजी क्लिनिक पर लेकर गए थे। उन्होंने 25 हजार रुपए डिलीवरी की फीस बताई। परिजनों ने इतनी राशि देने से मना किया तो डॉक्टर ने उन्होंने हमे जिला अस्पताल भेज दिया। आंगनवाड़ी कार्यकर्ता अनुष्का देवड़ा ने हमसे सम्पर्क किया और बताया डॉ. मेडम जिला अस्पताल में डिलीवरी कर देगी। उसके लिए 16 हजार रुपए लगेंगे। परिजनों ने 16 हजार रुपए आंगनवाड़ी कार्यकर्ता को दिए और उसके बाद डॉ. स्मिता सिंह ने डिलीवरी करवा दी। 5 दिन बाद अस्पताल से छुट्टी कर दी गई और जैसे ही घर लेकर आएं पेट में दर्द शुरू हो गया। दर्द शुरू होने पर अस्पताल लेकर गए। वहां बताया टांके पक गए और शरीर में जहर फैल रहा है। चार महीने से हमने भोपाल और इंदौर इलाज करवाया। लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। चार महीने में हम 8 लाख रुपए से ज्यादा खर्च कर चुके हैं। परिजन ने डॉ. स्मिता सिंह और आंगनवाड़ी कार्यकर्ता अनुष्का देवड़ा के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।