दीपावली की दूज के अवसर पर कारस देव मंदिर पर मेला लगा है। नागरिक यहां अपने मवेशियों के लिए मन्नत मांगने पहुंचे। मन्नत के तौर पर वह मंदिर से घंटी लेकर आए। साथ ही जिन नागरिकों ने पिछले साल मन्नत मांगी थी, उन्होंने मन्नत पूरी होने पर यहां भगवान कारस देव को शुद्ध घी और दूध का भोग लगाया। इसके बाद शुद्ध देसी घी से बने मालपूए और शुद्ध दूध से बनी खीर का भंडारा किया गया। बता दें, शहर से 10 किमी दूर स्थित कारसदेव मंदिर अपने आप में विशेष है। यहां नागरिक अपने मवेशियों की लंबी आयु और स्वस्थ जीवन की मन्नत लेकर पहुंचते हैं। मान्यता है कि यहां मन्नत मांगने के बाद कारसदेव भगवान स्वयं उनके मवेशियों की रक्षा करते हैं। जिन मवेशियों के प्रजनन नहीं होता, इस मंदिर से पूजन करवाकर घंटी ले जाकर उनके गले मे बांध दी जाती है। इससे प्रजनन हो जाता है। फिर मन्नत पूरी हो जाने के बाद मन्नत मांगने वाला एक के बदले दो घंटियां लाकर यहां भगवान को अर्पित करते हैं। मन्नत पूरी होने के बाद यहां भंडारे का आयोजन किया जाता है। दीवाली की दूज के दिन यहां मेले जैसा माहौल रहता है। यह मंदिर बमोरी विधानसभा के बरोदिया गांव में स्थित है। इस मंदिर की मान्यता हजारों साल पुरानी है। प्रदेश का यह इकलौता मंदिर है, जहां श्रद्धालु अपनी गाय, भैंस, बकरी सहित पशुधन के लिए मन्नत मांगते हैं। दूर-दूर से यहां श्रद्धालु आते हैं। राजस्थान, यूपी सहित मध्यप्रदेश के कई जिलों के नागरिक यहां मन्नत मांगने पहुंचते हैं। शाम तक 25 हजार लोग पहुंचे आज सुबह से ही श्रद्धालुओं का यहां पहुंचना शुरू हो गया था। शाम तक लगभग 25 हजार नागरिक मंदिर पर पहुंच चुके थे। यहां पहुंचे लोगों ने सबसे पहले भगवान कारस देव पर भोग लगाया। इसके बाद उन्हें नारियल अर्पित किया गया। इस बाद हवन किया गया। साथ ही अपने मवेशियों के लिए मन्नत मांगी गई। मन्नत के तौर पर वह यहां से एक घंटी निकाल कर ले गए। साथ ही शुद्ध देसी घी और दूध का भगवान को भोग लगाया। इसके बाद मंदिर परिसर में सैकड़ों जगह भंडारे आयोजित किए गए। मंदिर परिसर के खेत में ही जगह जगह मालपूए देसी घी से बनाए गए। साथ ही शुद्ध दूध से खीर बनाई गई। हजारों श्रद्धालुओं ने भंडारों में प्रसादी ग्रहण की। दिन भर में लगभग पांच ड्रम घी श्रद्धालुओं द्वारा चढ़ाया गया। इससे लगभग एक हजार किलो घी एकत्रित हुआ। लगभग इतना ही आटा भी चढ़ावे में इक्ट्ठा हुआ है। तस्वीरों में देखिए मेला…