बुरहानपुर के नागझिरी स्थित श्री कबीर निर्णय मंदिर में मंदिर के संस्थापक प्रथमाचार्य सद्गुरू श्री पूरण साहेब की पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में हर साल की तरह इस साल भी 187वीं वर्षगांठ का कार्यक्रम 15 से 18 नवंबर तक होगा। इस दौरान श्री कबीर निर्णय मंदिर नागझिरी में बीजक पाठ, भजन कीर्तन,गुरू पूजा और संतों के प्रवचन होंगे। 15 नवंबर से रविवार 17 नवंबर तक हर दिन बीजक पाठक सुबह 5.30 बजे से 6.30 बजे तक, आरती सुबह 8 बजे, भजन व प्रवचन सुबह 11 बजे से दोपहर 2 बजे तक बीजक पाठ, पूजा आरती और भजन प्रवचन शाम 7 बजे से रात 11 बजे तक होंगे। सोमवार 18 नवंबर को बीजक पाठ सुबह 5.30 बजे से 6.30 बजे तक, आरती सुबह 8 बजे, मुख्य गुरू पूजा कार्यक्रम दोपहर 12 बजे से शाम 6 बजे तक, भंडारा शाम 6 बजे से होगा। इसलिए होता है आयोजन नागझिरी में कबीर निर्णय पंथ मंदिर की स्थापना पूरण साहेब ने की थी। कबीर साहित्य की दिक्षा लेकर वह कबीरपंथ का प्रचार करते थे। प्रचार करते करते वह बुरहानपुर के ताप्ती किनारे पहुंचे और साधना की। उन्होंने कबीर के बीजक की टीका लिखी जिसे बीज की पहली टीका कहा जाता है। इस टीका का नाम त्रिज्या रखा गया। टीका पूर्ण करने के करीब तीन दिन बाद उन्होंने अपनी देह त्याग दी तभी से हर साल कार्तिक पूर्णिमा के दिन ताप्ती नदी के तट पर कबीर निर्णय मंदिर में कबीर पंथियों का मेला लगता है। इस साल उनकी 187वीं पुण्यतिथि मनाई जाएगी। कबीर निर्णय मंदिर करीब 200 साल पुराना है। यहां नेपाल के अलावा मप्र और देशभर के विभिन्न शहरों से संत, महात्मा, करीब 10 हजार से अधिक साधक पहुंचते हैं। दरअसल सद्गुरू कबीर के शिष्य पूरण साहेब ने कबीर के दोहों का सरल अनुवाद किया था। कबीर के बीजक को सभी समझ नहीं पाते थे। सरल भाषा बीजक को बीजक टीका कहते हैं। संत कबीर के निधन के 400 साल बाद तक भी किसी ने सरल भाषा में इसका अर्थ नहीं बताया था,लेकिन पूरण साहेब ने यह सरल अनुवाद बुरहानपुर के इसी कबीर निर्णय मंदिर में बैठकर किया था।