पंजीयन विभाग संपदा-2 वर्जन पर कर रहा काम:पहले लोग मकान को खाली प्लॉट दर्शाते थे; अब लोकेशन पर पहुंचकर फोटो खींचना होगा

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पंजीयन विभाग के लिए संपदा-2 वर्जन की लॉचिंग हो गई है। स्थानीय पंजीयन विभाग में भी इस वर्जन को लेकर जिले में काम भी शुरू हो गया] इसमें खास बात यह है कि जब किसी प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री होगी तो उसमें उसकी अपडेट फोटो भी अपलोड करनी होगी। इसके अलावा अन्य नियम भी लागू होंगे। विभाग के काम अब इसी सिस्टम से होंगे। दरअसल, काम के इस बदलते स्वरूप का उद्देश्य उसे सरल और आसान करना है। ये सॉफ्टवेयर कार्य को बेहतर बनाने के साथ उसे सरल करेगा। इससे कर्मचारियों के साथ धारकों को भी लाभ मिलेगा। अब फिंगर प्रिंट और आधार के ओटीपी के माध्यम से ही रजिस्ट्री होगी। इससे धोखाधड़ी होने की संभावना कम होगी। वहीं, खरीदार गूगल की मदद से जमीनों की लोकेशन और उसकी सरकारी गाइडलाइन भी अपने मोबाइल की स्क्रीन पर देख सकेंगे। स्टांप ड्यूटी में होने वाले घपलों की संभावना भी कम रहेगी। फर्जीवाड़ा कम होगा
जिले की सरदारपुर तहसील में संपदा 2.0 के मध्यम से पहली रजिस्ट्री की गई। जिला वरिष्ठ पंजीयक डॉ. प्रभात वाजपेयी ने बताया कि सरदारपुर उप पंजीयक ओम प्रकाश दायमा द्वारा उप पंजीयक कार्यालय सरदारपुर में जिले में संपदा 2.0 के माध्यम से प्रथम दस्तावेज पंजीकृत किए गए। डॉ. वाजपेयी ने बताया कि जोलाना निवासी फतेह सिंह पिता महान महिपाल सिंह का दस्तावेज सेवा प्रदाता सावन कर्मा द्वारा व श्याम सुंदर निवासी ग्राम बरमंडल के दस्तावेज को सेवा प्रदाता धर्मेंद्र पाटीदार द्वारा पंजीयन के लिए तैयार किया गया था। पक्षकारों को तुरंत रंगीन प्रति जिला पंजीयक व उप पंजीयक द्वारा दी गई। उन्होंने बताया कि इस नई प्रणाली पूरी तरह से ऑनलाइन है, जिसमें फर्जीवाड़े की गुंजाइश नहीं रहेगी। पहले लोग मकान को खाली प्लॉट दर्शा देते थे, लेकिन अब लोकेशन पर पहुंचकर फोटो खींचना होगा, जो लोकेशन के माध्यम से सॉफ्टवेयर पर चढ़ेगा। इससे किसी भी तरह के फर्जीवाड़े की गुंजाइश नहीं रहेगी।
ऐप से ही दिखेगी गाइड लाइन दर
संपदा-2.0 उन्नत तकनीक पर आधारित सॉफ्टवेयर है। इसमें राजस्व वित्त विभाग और नगरीय प्रशासन के साथ जीएसटी और यूनिक आईडी आधार से भी इंटीग्रेटेड किया गया है। जमीन की कलेक्टर गाइडलाइन दर ऐप में लोकेशन के माध्यम से मालूम हो सकेगी। सॉफ्टवेयर से संपत्ति की जीआईसी मैपिंग होगी, बायोमैट्रिक पहचान और दस्तावेजों की फॉर्मेटिंग भी होगी। दस्तावेजों के पंजीयन के लिए व्यक्तिगत मौजूदगी की जरूरत नहीं होगी। घर बैठे ही दस्तावेज सत्यापन और पंजीकरण हो सकेगा। दस्तावेज की सॉफ्ट कॉपी वॉट्सऐप और ईमेल से आवेदक को प्राप्त होगी। वहीं, जानकारी के अनुसार रजिस्ट्री के माध्यम से जिले से प्रदेश सरकार को दो सौ करोड़ से ज्यादा का राजस्व मिलता है। बीते वित्तीय वर्ष में जिले से 222 करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त हुआ था। इससे पहले 194 करोड़ का राजस्व जिले से प्राप्त हुआ था। बीते चार चार सालों में जिले का राजस्व 126 करोड़ रुपए से बढ़कर 222 करोड़ हो गया है। वहीं इस साल इसके ढाई सौ करोड़ रुपए तक पहुंचने की उम्मीद है।
रजिस्ट्रीयों की सख्या बढ़ी
धार पंजीयक कार्यालय में पिछले चार साल में रजिस्ट्रियों की संख्या भी दोगुना हो गई। वहीं, जिले में रजिस्ट्रियों की संख्या भी लगातार बढ़ती जा रही है। बीते चार सालों की स्थिति देखी जाए तो यहां रजिस्ट्री भी लगभग दो गुना हो गई हैं। वर्ष 2019-20 में यहां करीब 18 हजार रजिस्ट्रियां हो रही थी। इसके बाद वर्ष 20-21 में करीब 25 हजार रजिस्ट्रियां हुई थी। इसके बाद वर्ष 22-23 में 30 हजार लगभग दस्तावेज पंजीयन हुए है। हालांकि इस बार जो रजिस्ट्रियां हुई हैं उनमें बैंकों में प्रॉपर्टी मॉर्टगेज वाली रजिस्ट्रियां ज्यादा हैं।