इसमें राजनीति नहीं, मानवता देखिए:गरीब मोची की पत्नी को कंधा देने कोई नहीं आया तो कांग्रेसी ले गए मुक्तिधाम तक, अंत्येष्टि कराई

Uncategorized

वीरपुर तहसील में मेन बाजार के पास रहने वाले एक गरीब मोची की पत्नी की शनिवार को मौत हो गई। मोची ने कुछ घंटे तक शव के पास बैठकर लोगों का इंतजार किया, लेकिन कंधा देने जब कोई नहीं आया तो शाम को अकेला ही शव ठेले पर रखकर ले जाने लगा। जब वह बाजार से गुजर रहा था, तभी कांग्रेस के वीरपुर मंडल अध्यक्ष रामनिवास मौर्य की नजर उस पर पड़ी। उन्होंने अपने साथियों राजू कौशल, सुरेंद्र कौशल, गिर्राज जाटव, जितेंद्र जाटव, हरि जाटव, पप्पू जाटव को बुलाया और ठेले से अर्थी उठवा कर कंधा देते हुए मुक्तिधाम तक ले गए। वहां वीरपुर ग्राम पंचायत के सरपंच जगदीश प्रसाद बंसल के जरिये 2 क्विंटल लकड़ी आदि का इंतजाम कर रात करीब 8 बजे अंत्येष्टि कराई। हालांकि इस बीच श्योपुर कलेक्टर किशोर कन्याल को इसकी खबर लगी। उन्होंने टीम भेजकर पीड़ित परिवार को प्रदेश सरकार की तरफ से 5 हजार रुपए की सहायता उपलब्ध कराई। साथ ही 3 क्विंटल लकड़ी की व्यवस्था की। कलेक्टर ने लोगों से अपील भी की है कि ऐसी कोई दिक्कत हो तो वह सीधा उन्हें फोन कर सकते हैं। मैं संबंधित क्षेत्र के अधिकारियों से बात कर मदद पहुंचाऊंगा।
जहरीले कीड़े के काटने से खराब हुई थी तबीयत 24 सितंबर के आसपास लख्खू जाटव की पत्नी जसवंती जाटव को किसी जहरीले कीड़े ने काट लिया था, तभी से महिला की तबीयत खराब थी। गरीबी और जागरूकता की कमी के चलते महिला का किसी अस्पताल में इलाज नहीं कराया गया। सही इलाज नहीं मिलने से शनिवार को उसकी मौत हो गई। महिला का पति लख्खू जूते-चप्पल जोड़ने और उन पर पॉलिश करने का काम करता है। उसने बताया कि वह दिन भर की मेहनत के बाद सिर्फ परिवार की आजीविका ही मुश्किल से चला पाता है। पत्नी के देहांत के बाद उसने जैसे-तैसे अंतिम यात्रा की तैयारी की, लेकिन शव को कंधा देने जब कोई नहीं आया तो बेबस होकर पत्नी की अंतिम यात्रा ठेले पर लेकर चल दिया था। मृतका की बेटी रानी जाटव का कहना है कि परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है, इसलिए बाहर इलाज कराने नहीं ले जा सके। ढाई बजे से हम लाश रखकर बैठे रहे। फिर मजबूर होकर ठेले से शव लेकर जाना पड़ा। हमारे पास अंतिम संस्कार के लिए पैसे नहीं थे। कलेक्टर साहब ने अधिकारियों को भेजकर मदद मुहैया कराई है।