देवास जिले में साइबर अपराधों के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। शहर में तस्वीरों में छेड़छाड़ कर उन्हें वायरल करने और डिजिटल तरीके से गिरफ्तारी (डिजिटल अरेस्ट) दिखाकर रुपए मांगने जैसे गंभीर मामले सामने आए हैं। इस बढ़ते खतरे को देखते हुए और उनसे बचने के लिए ई-दक्ष केंद्र (ई-गवर्नेंस) के वरिष्ठ प्रशिक्षक आकाश सरमंडल और प्रशिक्षक नवीन जोशी ने आईटीआई देवास में आयोजित साइबर सुरक्षा जागरूकता कार्यक्रम में छात्रों को साइबर अपराधों के बढ़ते खतरे से अवगत कराया। कार्यक्रम के माध्यम से छात्रों को साइबर धोखाधड़ी, हैकिंग और अन्य ऑनलाइन खतरों से बचाने के लिए आवश्यक जानकारी दी गई। साइबर सुरक्षा जागरूकता कार्यक्रम के माध्यम से बताया गया कि साइबर अपराध आजकल आम हो गए हैं और छात्रों को इस बारे में जागरूक करना महत्वपूर्ण है। फिशिंग, स्मिशिंग और रैंसमवेय हमलों के बारे में बताया
साइबर सुरक्षा जागरूकता कार्यक्रम में प्रशिक्षकों ने छात्रों को साइबर अपराधियों के विभिन्न तरीकों, जैसे कि फिशिंग, स्मिशिंग और रैंसमवेयर हमले के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने छात्रों को बताया कि कैसे वे मजबूत पासवर्ड बनाकर, सार्वजनिक वाई-फाई का सावधानीपूर्वक उपयोग करके और संदिग्ध लिंक या ईमेल पर क्लिक करने से बचकर खुद को सुरक्षित रख सकते हैं। बचने का एक ही तरीका है ‘जागरूकता’
साइबर सुरक्षा जागरूकता कार्यक्रम में छात्रों को साइबर सुरक्षा के महत्व पर जोर दिया। जिस तरह आजकल साइबर फ्रॉड हो रहे हैं, उससे बचने का एक ही तरीका है जागरूकता। यदि आप जागरूक हैं और सतर्क हैं तो इस प्रकार के अपराधों से बचे रहेंगे।” छात्रों को सलाह दी कि वे साइबर सुरक्षा के बारे में नियमित रूप से अपडेट रहें और किसी भी संदिग्ध गतिविधि के बारे में तुरंत अपने शिक्षकों या अभिभावकों को सूचित करें। कंप्यूटर विभाग की प्रमुख, श्रीमती आरती धोते ने बताया कि यह कार्यक्रम छात्रों को साइबर दुनिया में सुरक्षित रहने के लिए आवश्यक कौशल प्रदान करने में मदद करेगा। उन्होंने कहा कि स्कूल और कॉलेजों में इस तरह के कार्यक्रमों का आयोजन करना बहुत जरूरी है ताकि छात्रों को साइबर अपराधों के खतरों के बारे में जागरूक किया जा सके।