बालाघाट जिले में 25 अक्टूबर (शुक्रवार) को दीवान बहादुर मानेकजी मेरवान मुलना साहब का जयंती बड़े धूमधाम के साथ मनाया जाएगा। इस दौरान बस स्टैंड पर स्थित उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण किया जाएगा। आकाशवाणी पर स्थित समाधिस्थल पर श्रद्धांजलि दी जाएगी। साथ ही जिले में उनके योगदान को याद किया जाएगा। मुलना समिति सदस्य विजय वर्मा ने बताया कि दानवीन मुलनाजी के दान की गई जमीन पर बने पॉलिटेक्निक कॉलेज परिसर में उनका बंगला आज भी है। जिसे पॉलिटेक्निक कॉलेज ने रिनोवेट किया है। जिसे अब मुलना समिति म्यूजियम बना रही है। जिसका कल लोकार्पण किया जाएगा। जिसमें उनके जीवन में उपयोग की गई कुर्सी, टेबल और किताबें है। जिन्हें मुलना समिति ने संजोकर रखा हैं। ऐसे मिली थी दीवान बहादुर की उपाधि दरअसल, मुंबई से बालाघाट आकर बसे मानेकजी मेरवान मुलना का जन्म 25 अक्टूबर 1868 में मुंबई में हुआ था। नौकरी छोड़ने के बाद उन्होंने वकालत को अपना पेशा चुना था। इसके बाद बालाघाट ही बस गए। वे डिस्ट्रिक्ट बोर्ड के प्रथम अध्यक्ष के साथ ही केंद्रीय बैंक में करीब 38 साल तक अध्यक्ष और एक बार नगरपालिका अध्यक्ष भी रहे। 1935 में विधानसभा की समितियों के सदस्य का भी दायित्व निभाया। द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान शासन को सहायता देने पर उन्हें दीवान बहादुर की उपाधि मिली। दीवान बहादुर मानेकजी ने बालाघाट की अपनी अचल संपत्ति को शिक्षा, खेल और नगरहित में समर्पित कर दिया। जिस पर आज पॉलिटेक्निक कॉलेज, स्टेडियम और जल शोधन संयंत्र के रूप में दिखाई देता है। स्व-खर्च से बनाए गए जल शोधन संयंत्र को उनकी 156वीं जन्म जयंती पर नगरपालिका जलशोधन संयंत्र को उनका नाम देने जा रही है। कल दीवान बहादुर का जन्मजयंती मनाया जाएगा। जिसे लेकर प्रशासन पूरी तैयारी में जुटा है। जिसमें बस स्टैंड, समाधिस्थल और पॉलिटेक्निक में कार्यक्रम होगा। जिनके नागपुर में निवासरत परिवार के सदस्य भी शामिल होंगे। यहां देखिए तस्वीरें…