बैतूल में कचरा गाड़ियों के अस्थाई कर्मचारी हड़ताल पर चले गए हैं। जिससे नगर में सफाई व्यवस्था चरमरा गई है। चारों तरफ कचरे का ढेर लगा है। हालांकि नगर पालिका ने दावा किया है कि स्थाई कर्मचारी व्यवस्था बना रहे हैं। अस्थाई कर्मचारियों ने ठेका कंपनी ओम साई विजन पर ईपीएफ न देने का आरोप लगाया है। वहीं कंपनी का कहना है कि कॉन्ट्रैक्ट में ईपीएफ की शर्त शामिल नहीं थी। बैतूल में सफाई व्यवस्था के लिए अस्थाई कर्मचारियों की नियुक्ति का ठेका सोम साई विजन को दिया गया है। कंपनी की ओर से नियुक्त कचरा गाड़ियों के ड्राइवर, हेल्पर और आईसी मेंबर का कहना है कि कोरोना काल के समय उनके कई साथियों को ईपीएफ का लाभ दिया गया था। इसको लेकर उनसे भी दस्तावेज मांगे गए थे, लेकिन अब उन्हें ईपीएफ नहीं दिया जा रहा है। धमकाकर चुप करवा रही कंपनी
हड़ताल कर रहे योगेश बेले का कहना है कि वे संस्था के साथ 2018 से नगरपालिका में काम कर रहे हैं। जब भी वो ईपीएफ का मुद्दा उठाते हैं तो प्रोजेक्ट मैनेजर उन्हें काम से निकालने की धमकी देता है। विजय जैसवाल ने बताया कि ठेकेदार का कार्यकाल खत्म हो गया है। उनकी मांग सिर्फ ईपीएफ और अनुभव प्रमाणपत्र की है। जिस पर कंपनी हमें धमकाकर चुप करवाना चाहती है। कॉन्ट्रैक्ट में ईपीएफ शामिल नहीं
कंपनी के डायरेक्टर संतोष अग्रवाल ने बताया कि कर्मचारियों के साथ किए गए कॉन्ट्रैक्ट में पीएफ शामिल नहीं था। उनकी ओर से लिए गए ठेके में पीएफ देना जरूरी नहीं है। वहीं सीएमओ ओपी भदौरिया ने बताया कि नगरपालिका के स्थाई कर्मचारी नगर में सफाई व्यवस्था बनवा रहे हैं। सोम साई विजन का कार्यकाल 10 दिन का ही बचा है। 2017 में ये संस्था सफाई के लिए नियुक्त की गई थी। उस समय ईपीएफ की शर्त शामिल नहीं थी। ईपीएफ 2020 में शुरू हुई है। नगर पालिका ने नए टेंडर में हमने ईपीएफ का प्रावधान रखा हुआ है।